मीडिया का चाल चरित्र और चेहरा


मृत्यु की दो खबरें पढिये-

जब एम के गांधी की हत्या  हुई थी तो ब्राह्मण संपादक उस  ख़बर को ऐसे छापता है   " Mahatma Gandhi Assassinated at Delhi" Country Wide Grief "

शब्दो के चयन पर ध्यान दीजिए , एम के गांधी को " महात्मा " शब्द के साथ संबोधित करते हुए लिखता है  " country wide grief" अर्थात पूरा देश शोक में डूबा हुआ है ।

वंही जब बाबा साहब अंबेडकर की मृत्यु हुई तो ब्राह्मण संपादक छापता है - Ambedkar Dead" House of Parliament Adjourn" 

अर्थात - अंबेडकर मर गए, पार्लियामेंट कुछ देर के लिए रोक दी गई" 
बात खत्म!यही नही ब्राह्मण संपादक आगे लिखता है कि अंबेडकर आधुनिक मनु थें। आधुनिक मनु अर्थात शूद्रों  महिलाओं और अति शूद्रों के लिए संविधान लिखने वाले मनु । 
और नाथूराम को लिखता है मराठा फ्रॉम पूना...ये नहीं लिखता ब्राह्मण फ्रॉम पूना !

ब्राह्मण संपादक यह नही लिखता की बाबा साहब की मृत्यु पर पूरा देश शोक में डूबा हुआ है। कोई शोक संदेश नही, कोई श्रद्धांजलि नही। वह कहता है बस मरे और पार्लियामेंट कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई।

मानसिकता की भिन्नता पता चली आपको ?यह खेल पता चला आपको ? 

आज भी जब कोई ब्राह्मण नेता मरता है तो ऐसी ही ख़बर चलाई जाती है कि पूरा देश शोक में डूबा हुआ है, रो रहा है। फिर, चाहे उसका चरित्र कैसा भी रहा हो। चाहे बहुजन विरोधी ही क्यों न रहा हो, पर मीडिया कहंता है कि आप भी उनकी मृत्यु का शोक मनाइए ..... और आप हैं कि फटा-फट मनाने भी लगते हैं।

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