CHAMAR

ऐसा चाहूँ राज मै जहां मिले सबन को अन्न, !!!
छोट बड़े सब सम बसै, रविदास रहें प्रसन्न, !!!
         मन चंगा तो कठौती मै गंगा, !!!
पराधीनता पाप है है जान लिहो रे मीत,
रविदास दास पराधीन से कौन करे है प्रीत,
    पढो, जुड़ो और जोड़ो,,,!!!
   सतगुरू रविदास जी के इन वचनो मै मुझे कोई भी शब्द धार्मिक नहीं लगा क्योंकि वो कभी धार्मिक थे ही नहीं एक पूर्ण राज नैतिक व्यक्ती को ब्राहमण वाद ने धार्मिक बना दिया और हमारा समाज उन्हे धार्मिक समझने लगा,,,!!!
          सतगुरू रविदास के वचनों को पढ़ने और समझने की आवश्यकता बौद्धों को भी है अम्बेडकर वादियों को भी है और स्वयं रविदासियों को भी है ज़िन्होने हमारे महांपुरूषो को बांट रखा है 
और उन लोगों के लिये भी दो शब्द बोलना चाहता हूँ जो रोज मुझे चमार होने का एहसास दिलाते हैं हाँ हूँ मै चंवर वंशी नाग वंशी बुद्ध वंशी चमार,,,!!!
 मै जातिवाद चाहता हूँ नही,,, बिलकुल नहीं चमार शब्द पर मेरा तर्क है रविदास के शब्दो मै चमार का अर्थ भी समझने का प्रयास करो चमार शब्द को जाति से जोडने से पहले यही चमार शब्द चंवर था चीवर था आप की सभी बातो से सहमत हूँ लेकिन जब भी चमार शब्द का मजाक उडांओगे तो मुझे याद करना भाई,
और सुनो भाई बौद्ध काल मै 99.9% लोग चीवर धारी थे प्रतीक्रांती हुई बौद्धकाल को शुंगकाल मै परिव्रतित किया गया उसके बाद उनकी चीवर धारियो मै से जो भंग अवस्था का ग्यान रखते थे उनको भंगी बना दिया गया बाकी बचे लोगों को चमार बनाया गया, !!!
 आगे मनु विधान लागू हुआ जाति व्यवस्था का निर्माण हुआ तो भंग और चंवर को  6743 टुकडो मै बांट दिया गया ज़िसे आगे चलकर साहब कांशी राम जी ने बहुजन का नाम दिया,,,!!!
बुद्ध का कारवां सतगुरू रविदास वही रविदास ज़िन्होने 

चमार के तीन शब्द को इस तरह बताया,,,!!!
च = चमड़ा ( चाम )
म = मांस 
र = रक्त 
उन्ही रविदास 
के कंधों पर चलकर 643 वर्ष पहले बुद्ध का आन्दोलन 
फुले तक फुले से चलकर शाहू तक शाहू से चलकर अम्बेडकर तक अम्बेडकर से साहब कांशी राम जी और साहब कांशी राम जी से बहिन मायावती तक आया ज़िसे बहिन जी ने लाख विरोध के बाद भी अब तक संभाल रखा है है भाइयो इसीलिये सबसे पहले अपना इतिहास जानो बाबा साहब के शब्दों मै जो कौम अपना इतिहास  नहीं जानती वो अपना इतिहास निर्माण नहीं कर सकती,,,
मै विद्रोही सागर अम्बेडकर आप सभी के विचारों का सम्मान करता हूँ कृपया मुझे गलत ना समझा जाये जो भी पढ़ा सीखा और जाना है अपने महाँ पुरूषो से उससे तो यही निष्कर्श निकलता है...!!!
बाकी आप सभी प्रबुद्ध जन खुद ही समझदार हैं 
नमो बुद्धाय जय भीम जय गुरूदेव जय शाहू जय फुले जय पेरियार जय साहब कांशी राम जी 
बहिन जी ज़िन्दाबाद...!!!
SAGAR GAUTAM NIDAR 

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