आदमी पैदा होता है मर जाता है। महापुरुष पैदा होता है कभी नहीं मरता।
सन् 1927 में, जब बाबा साहेब डॉ.भीम राव अम्बेडकरजी कोलंबिया यूनिवर्सिटी-U.K. में पी.एच.डी. की पढ़ाई करने गये तो वहाँ की लाइब्रेरी में दीवार के ऊपर दो लाइनें लिखी हुई थीं :-
"आम आदमी पैदा होता है और मर जाता है ।
महापुरुष पैदा होता है जो कभी नहीं मरता ।।"
बाबा साहेब ने, जो नीचे की लाइन थी उसे काली स्याही से काट दिया और वहां से चले गये। उसके बाद पूरी यूनिवर्सिटी में हंगामा मच गया। प्रसाशन की तरफ से उन्हें नोटिश मिल गया कि कल 12 बजे तक अपना स्पष्टीकरण दें, अगर स्पष्टीकरण गलत पाया गया तो आपको यूनिवर्सिटी से निकाल दिया जायेगा। दूसरे दिन पूरा हाल खचा-खच भरा हुआ था, यह जानने के लिये कि बाबा साहेब क्या स्पष्टीकरण देते हैं। बाबा साहेब आये और पूरे कॉन्फिडेंस के साथ उन्होंने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि ऊपर की लाइन बिल्कुल सही है कि "आम आदमी पैदा होता है और मर जाता है" लेकिन दूसरी लाइन ( महापुरुष पैदा होता है जो कभी नहीं मरता ) से में सहमत नहीं हूँ। उन्होंने आगे कहा कि …..
"महापुरुष पैदा होता है, अगर उसके विचारों को नष्ट कर दिया जाये तो वो भी मर जाता है।"
बाबा साहेब का स्पष्टीकरण सुनकर पूरा हाल तालियों से गड़गड़ाने लगा।
हाँ, महापुरुष की विचार-धारा नष्ट कर दी जाये तो महापुरुष की मृत्यु हो जाती है। जैसे भारत में जिस दिन तथागत गौतम बुद्ध की विचार-धारा को नष्ट कर दिया गया, उसी दिन उनकी मृत्यु हो गयी थी।
और बाबा साहेब के इस स्पष्टीकरण के बाद उस प्रथम लाइन के नीचे "वही लाइन" लिख दी गयी जो बाबा साहेब ने अपने स्पष्टीकरण में कही थी। तभी तो बाबा साहेब को आज पूरा विश्व "ज्ञान का प्रतीक" (Symbol Of Knowledge) मानता है।
कोटि-कोटि नमन् बाबा साहेब को
Sagar Gautam Nidar ✍️
जय भीम नमो बुद्धाय
Comments
Post a Comment