मनुस्मृति भारत का कलंक है।
मनुस्मृति में SC ST जातीयों को अंत्यज तथा वर्णशंकर तथा शूद्र तथा वर्णशंकर आज की पिछड़ी जातीयों को कहा गया है।
“अन्त्यज अपने जिस अंग से द्विज को मारे (सेल्फ डिफेंस etc) उसका वही अंग काटना चाहिए” (8/279)
“ब्राह्मण वर्ण के साथ आसन पर बैठे तो उसके चूतड़ का मांस कटवा दे” (8/281)
“हाथ उठाया हो तो हाथ और लात मारे तो पैर काट देना चाहिए” (8/280)
मनुस्मृति चैप्टर 10 में SC ST जातीयो की उत्पति चंडाल तथा निषाद इत्यादि से बतायी गई है और शुद्र की ही भाँति वर्णशंकर तथा अत्यंत निन्दित बतायी गई है।
“निषाद जाति से वैदेह पत्नी में उत्पन्न पुत्र करावर नाम की चमार जाति उत्पन्न होती है ये ग्राम से बाहर घर बनाकर रहते है” (10/36)
“चांडाल से पुक्कसी स्त्री में सोपाक उत्पन्न होते है वे अपने मूल व्यवसाय (वधिक वृत्ति यानी जीव जंतुओं को मारना) को करने वाले होते है। हमेशा पाप करने वाले होते है” (10/38)
“निषाद जाति की स्त्री चाण्डाल से अंत्यावसायी पुत्र को उत्पन्न करती है जो चाण्डाल से भी हीन होता है”(10/39)
“धिग्वणों का कार्य चमड़ा बेचना है और ये श्मशान पहाड़ या किसी पेड़ के नीचे रहे ” (10/49-50)
“चाण्डाल और श्वपचो का स्थान गांव से बाहर रहना चाहिए । इनका पात्र मिट्टी का होना चाहिए और कुत्ता और गधा इनका धन है, मुर्दों के उतारे कपड़े इनके वस्त्र है, टूटे-फूटे वर्तनों में भोजन करना चाहिए” (10/51-52)
“इनको अपने नौकरों से टूटे- फूटे बर्तनों से अन्न दिलावे। ये रात में ग्राम या नगर में न घूमे” (10/54)
“जहाँ जिस देश में वर्णशंकर उत्पन्न होते है, वह देश प्रजा के साथ शीघ्र ही नष्ट हो जाता है” (10/61)
निश्चित तौर पर मनुस्मृति में शूद्र जिसे वर्णशंकर कहके यानी आज के पिछड़े वर्ग ओबीसी जातियो के लिए बेहद ही खतरनाक ढंग से ज़हर बोया गया है उनके सारे हक अधिकार छीन उनको भयंकर ज़लील किया गया है लेकिन साथ में SC ST को भी अंत्यज और वर्णशंकर कहके उनके भी हक़ अधिकार छीन उन्हें भी ज़लील किया गया है ।
इसलिए मनुस्मृति पढ़ना भी जरूरी है अन्यथा फेक न्यूज़ के शिकार भी हो सकते है और साथ ही सभी भारतीयो को इससे जागरूक करने के लिए #मनुस्मृति_दहन_दिवस भी याद करना करवाना भी जरूरी है।
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