झूठ ही झूठ

ब्राह्मण ग्रंथों में लिखी कथाओं को "इतिहास समझना, देश के 85% लोगों की सबसे बड़ी भूल है और यही इन लोगों के पिछड़ने का मुख्य कारण है।

1️⃣ #धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों के जन्म - 
महाभारत कि कथा -  गांधारी के गर्भ से निकले मांस पींड के 100 टुकड़े करके- 100 मटकों में घी के साथ रखने से 2 साल बाद 100 पुत्र निकलते है [आदिपर्व 114]

2️⃣  #पांडव पुत्रों के जन्म -
कुंती  5 अलग अलग देव पुरुषों को पास बुलाकर उनसे  5 पुत्रों पांडवो को जन्म देती है...(आदिपर्व 122)

🔘#कर्ण का जन्म -
कुंती ने दुर्वासा ऋषी के वरदान को परखने के लिए सुर्य को पास बुलाया. सुर्य कहने लगा मेरे साथ समागम करो. कुंती बदनामी के कारण मना कर देती है। सुर्य उसे समझाता है कि तुम कन्या हि बने रहोगी.,,
उसके बाद समागम करने पर कुंती ने कर्ण को जन्म दिया.!
(आदिपर्व 110)

3️⃣#कृपाचार्य 
शरद्वान गोतम तप कर रहा था तब इंद्र कि अप्सरा जानपदी का सौंदर्य देखकर शरद्वान गोतम का विर्य स्खलित होकर सरकंडे के पौधों पर गिरा. और विर्य दो भागो मे बट गया जिससे कृप (कृपाचार्य) नामक लडका और कृपी नामक लडकी बन गयी...! (आदिपर्व 129)

4️⃣#द्रोणाचार्य ...!
भारद्वाज ऋषी गंगा के किनारे स्नान करने के लिए गये थे ! वहा स्नान के करने गयी अप्सरा घृताची का वस्त्र थोडा निचे खिसक गया, उसको देखते ही भारद्वाज का विर्य स्खलित हो गया और विर्य द्रोण मे गिरा जिससे द्रोणाचार्य हुआ...! 

5️⃣ #भारद्वाज
उतथ्य कि पत्नी ममता गर्भवती थी, परंतु उतथ्य के छोटे भाई बृहस्पती ने ममता के साथ जबरदस्ती समागम किया था... 
इसलिए उस पुत्र का नाम भारद्वाज पडा. द्वाज [यानी दोनो का पुत्र]....!
नोंट :-- गिताप्रेस के आदिपर्व 104 मे पहले ये कथा उपलब्ध थी लेकीन नये संस्करणो से गिताप्रेस वालो ने ये कथा हटा दी है...!
आर्य समाजी मनसाराम शास्त्री ने 'पौराणिक पोल प्रकाश पृष्ठ 134 पर आदी पर्व 104 का संदर्भ देकर ममता बृहस्पती कि कथा का उल्लेख किया है....!!

6️⃣#द्रोपदी और #धृष्टधुम्न
राजा द्रुपद ने संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ हवन कराया था, हवनकुंड कि अग्नि कि लपटों से जन्में थे दोनो बहन भाई..!!

7️⃣ #व्यास का जन्म
पाराशर ऋषी को 12 वर्षीय सत्यवती नाव में बैठाकर दरिया पार कराने गयी तो दरिया के बीच में बूढ़े ऋषी कि वासना जाग गयी और ऋषी ने कन्या के साथ समागम कर डाला और कुंवारी से व्यास जी का जन्म हुआ..?

8️⃣ महाभारत के आदि पर्व में लिखा है कि
जब परशुरामजी ने पुरे संसार से क्षत्रियों का विनाश कर दिया तो क्षत्रणियां ब्राह्मण ऋषियों के पास आई और संतान प्राप्ति की इच्छा प्रकट की तब नियोग विधी से क्षत्रणियों के साथ संभोग किया उन स्त्रियों से फिर से क्षत्रिय जन्में!!
-आदि पर्व अध्याय - 64,
"मनुस्मृति"  अध्धाय 9, श्लोक 320 में भी लिखा है कि क्षत्रिय ब्राह्मण कि संतान है।
और इन सभी ग्रंथों के लेखक पंडित है।। 

🔘 कहीं पर ब्राह्मण ऋषी के वरदान से, कहीं पर ब्राह्मण कि मंत्र शक्ति से, कहीं पर ब्राह्मण के श्राप से, कहीं पर ब्राह्मण के विर्य के निगलने से, कहीं पर विर्य बिखरने से, कहीं पर ब्राह्मण के जबर्दस्ती संभोग करने से, कहीं पर ब्राह्मणों के नियोग विधी से संभोग करने से, कहीं पर ब्राह्मण के आशिर्वाद से संताने उत्पन की गयी है। और लोगों के काल्पनिक वंश चलाए गये हैं।। ताकि देश के सभी लोग ब्राह्मणों को अपना बाप समझकर पूजते और पालते रहे ।।
तथा देश के मूलनिवासी अपना असली इतिहास खोजने की कभी कोशिश ही नहीं कर सके।।

Comments

Popular posts from this blog

जब उत्तर प्रदेश बना उत्तम प्रदेश

अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ

बोधिसत्व सतगुरु रैदास