वामन मेश्राम पर खास रिपोर्ट 10/10/2019
*Deviation from ideology*
*(विचारधारा से भटकना)*
अर्थात
*वामन का असली बामन-अवतार*
1) साल 1984 में पहले सामाजिक जागृति जरुरी हैं बताकर मा. कांशीराम साहब के द्वारा चलाए सामाजिक-राजनैतिक आंदोलन (BSP) की मजाक करने वाले वामन ने 40 साल की (अ)सामाजिक विफलता के बाद खुद राजनैतिक पार्टी (BMP) बनायी। मा. कांशीराम साहब की मेहनत से 1984 से ही विधानसभा में 10,000 वोट लेने वाली सामाजिक-राजनैतिक पार्टी(BSP) का मजाक उड़ाने वाले वामन की खट़िया 40 साल की (अ)सामाजिक (कु) क्रांति के बाद भी 40 वोटों पर खड़ी हो गयी।
राजनैतिक आंदोलन का विरोध कर BAMCEF का रजिस्ट्रेशन(?) करने और उसके ऊपर एकाधिकार करने कोई भी कसर नहीं छोड़ी। अगर वामन को 40 सालों में 40 वोट लेने वाली राजनैतिक(मौकापरस्त) पार्टी बनानी थी तो 35 साल पहले 10,000 वोट लेने वाली बसपा का विरोध करने का कारण क्या था?
2) बहन मायावती को धन बटोरने वाली कहकर बदनाम करने कोई कसर नहीं छोड़ने वाली व्यवस्था के दलाल मिडिया के इशारे पर वामन ने पुरी मौकापरस्ती की और खुद बहुजन समाज को लुटने के लिए 60 दुकानें लगाकर बैठ़ गया।
3) बसपा में बामनों का विरोध करने वाला वामन खुद अपने लोकतांत्रिक जनता दल के संयोजक को जिसमें BMP का विलय किया गया था, जिसको वामन ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया था बामन राहुल गांधी और सिताराम यंचुरी के साथ 15 अगस्त 2018 को किसकी विरासत बचाने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में संम्मेलन ले रहा था?
4) बसपा में बामनों का विरोध करने वाला वामन खुद 29 जनवरी 2019 को दिल्ली के Constitution club में मनोज सिन्हा (भुमिहार बामन) के साथ बहुजनों की कौन सी लड़ाई लड़ रहा था?
5) बसपा से बामनों को निकालने पर अपने गुट को बसपा में शामिल करने की घोषणा करने वाला वामन एक तरफ सद्भावना का मुखौटा ओढ़कर बहुजनों को मुर्ख बना रहा हैं तो दुसरी तरफ बसपा-सपा गठबंधन को कमजोर करने अर्थात कांग्रेस-भाजपा को जिंदा रखने बसपा-सपा के घरभेदी शिवपाल की चालिसा पुरे उत्तरप्रदेश में गा रहा हैं। शिवपाल चालिसा गाने का मतलब बसपा-सपा को कमजोर कर कांग्रेस-भाजपा को फायदा पहुंचाना है।
6) आंबेडकरवाद का मुखौटा पहनकर खुद गांधी के जेल जाकर महात्मा बनने की वकालत कर गांधीवादी बन गया।
7) गांधी द्वारा ग्रेजुएशन धारक एवं इनकम टैक्स देने वाले को मताधिकार देने की पैरवी करना अर्थात बहुजनों को मताधिकार से दुर करने का षड़यंत्र वामन 5 करोड़ मत-पहचानपत्र वापस कर पुरा करता पाया गया।
8) सुबह महाराष्ट्र में राजनैतिक आरक्षण का विरोध करने वाला वामन शाम को छत्तीसगढ़ में राजनैतिक आरक्षण की मांग करता पाया गया।
9) लोकतांत्रिक होने का दावा करने वाला वामन खुद के गुट में अलोकतांत्रिक तरीके से कर्मचारी, पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओंका शोषण करता है, उनको एक प्रकार से वसूली एजेंट बनाकर रखा है।
10) शादी नहीं करुंगा कहकर मा. कांशीराम बनने की वामन की चाह भी उसे इंद्र (बामन देवता) भक्त (जिसने बच्ची के साथ शादी की) बनने से नहीं रोक पायी, इस तरह से वामन बाहर से आंबेडकरवादी तो अंदर से गांधीवादी हैं।
11) बामनों की व्यवस्था जो क्रिया करती हैं उसके उपर केवल प्रतिक्रिया देने के अलावा वामन ने व्यवस्था के क्रिया-कलापों से मुक्ति के लिए कोई भी कार्ययोजना नहीं दी। सुबह -शाम बामनों को कोसने वाले वामन ने बामनों के द्वारा दिये हुये मुद्दों पर बहुजन समाज का मदारी की तरह तो अच्छा मनोरंजन किया लेकिन उन समस्याओं का निश्चित उपाय आंबेडकर के पास खोजने के बदले गांधी के पास खोजता पाया गया।
12) बामनों के द्वारा दिये हुये EVM के मुद्दे पर मनोरंजन के अलावा वामन ने अभी तक यह नहीं बताया की VVPAT की गिनती करने से या EVM हट़ाने से क्या हमारे असली प्रतिनिधि चुनकर आयेंगे? क्या EVM लाने के पहले हमारे असली प्रतिनिधि चुनकर जाते थे? अगर नहीं तो बामनों ने दिये हुये मुद्दों पर मनोरंजन कर बहुजन समाज का समय, बुध्दी और पैसा जाया ना करें।
13) बेशक EVM में गड़बड़ी (Malpractice) हो रही हैं, लेकिन क्या Malpractice रोकने के लिए बाबासाहब डॉ आंबेडकर जी के द्वारा हुक्मरान बनाने के लिए दिये गये संवैधानिक अधिकार को मत-पहचानपत्र लौटाकर खुद खारिज करना आंबेडकरवाद को खत्म कर गांधीवाद बढ़ावा देना नहीं हैं? गांधीवाद अर्थात वर्णवाद को जिंदा रखने के लिए क्या यही असली वामन-अवतार नहीं है?
14) व्यवस्था परिवर्तन तथा जन-आंदोलन के नाम से कर्मचारियों का आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक शोषण कर सवाल पुछने पर कार्यकर्ताओं की बदनामी कर समाजिक- हत्या करना बामन(वामन)वाद नहीं हैं? पढ़े-लिखे नौजवानों को व्यवस्था परिवर्तन तथा जन-आंदोलन की नशा पिलाकर अपनी आर्थिक महत्त्वाकांक्षा पुरी करना और नौजवानों का भविष्य खत्म करना बहुजन विरोधी काम नहीं हैं?
15) लोकतंत्र-संविधान खतरें में हैं कहकर उसे बचाने की गला फाड़-फाड़कर नौटंकी करने वाला, बहुजन समाज में भाईचारा कायम करने की बात करने वाला वामन और उसके तोते लोकतंत्र-संविधान बचाने के लिए काम आने वाले बहुजन नेता बहन मायावती-अखिलेश यादव पर सामाजिक हमला बोल देते हैं। क्या वामन लोकतंत्र-संविधान बामनों (जिन्होंने कभी लोकतंत्र-संविधान को माना ही नहीं) के भरोसे बचाना चाहता है?
उपरोक्त वर्णित मुद्दों पर गौर करने से एक बात निश्चित रूप से कहीं जा सकती हैं कि, जिन-जिन विचारों का वामन विरोध करता गया उन विचारों से समय-समय पर समझौता करता गया। तब सवाल यह खड़ा हो जाता हैं अगर वामन को 40 सालों के बाद उन्हीं तत्त्वों को मानना था तो पहले विरोध क्यों किया? अगर राजनैतिक अवसरवादीता 40 सालों के बाद पसंद हैं तो पहले विरोध क्यों किया? कभी शरद तो कभी शिवपाल चालिसा गाने का मतलब सिधा हैं कि, वामन के निशाने पर बामन नहीं तो बहन मायावती-अखिलेश हैं। क्या वामन बहुजन सामाजिक एवं राजनैतिक आंदोलन को कुचलने के लिए व्यवस्था के द्वारा 40 पहले ही तैयार किया हुआ पैरासाइट नहीं हैं?
बहनजी जिंदाबाद 🐘🐘🐘
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