बुद्ध को रामायण में गाली क्यों

बाल्मीकि रामायण में बुद्ध को गाली देने की ज़रूरत क्यों पड़ी? इससे एक बात तो साबित हो ही गई की रामायण बुद्ध के बाद ही लिखी गई है। 
    
बड़ी छोटी कहानी है जंबूदीप में सम्यक् सभ्यता हुआ करती थी। 
फिर ये सम्यक् सभ्यता पूरे एशिया सहित यूरोप, अमेरिका तक पहुँच गई थी। 

एशिया के तमाम देश बुद्धिस्ट जातक कथाओं का अनुवाद करके अपने अपने देश में ले गये। 

दशरथ जातक कथा जिसके नायक बोधिस्तव राम थे, वो कहानी भी दूसरे बुद्धिस्ट देशों में पहुची। 

नाम भी बदलकर रामायण हो गया यानी बोधिसत्व राम का आयन यानी राम का पथ। 

सभी ने कहानियो को अपने अनुसार थोड़ा मोड़ा मॉडीफ़ाइड कर लिया लेकिन राम बोधिसत्व ही रहे.
उदाहरण के तौर पर इंडोनेशिया में योगेश्वर कृत रामायण का काविन, कंपूचिया में रामकेर्ती, थाईलैण्ड में रामकियेन, लाओस में राम जातक, वर्मा में रामवत्थु, मलेशिया  में हिकायत सेरी राम, फ़िलीपींस में महालादिया लावन, तिब्बत में राम कथा, चीन में दशरथ कथानम और अनामक जातकम, खोतान में राम कथा, मंगोलिया की राम कथा, जापान की राम कथा, श्रीलंका की राम कथा, नेपाल में भानुभक्तकृत रामायण। 

इंडोनेशिया, फ़िलीपींस, मलेशिया देशों में तो बुद्ध का इस्लामिकरण हो गया और भारत में ब्राह्मणीकरण!

नतीजा यह हुआ कि मुस्लिम होने के वावजूद इंडोनेशिया, फ़िलीपींस, मलेशिया ने बोधिसत्व राम कथा को बचाये रखा, हालाँकि कहानी का भी थोड़ा बहुत इस्लामीकरण हो गया। 

उसी तरह भारत में भी दशरथ जातक कथा रामायण बना, लेकिन बौद्ध के बाद क़ब्जा ब्राह्मणवादियों का हो गया और बोधिसत्व राम अब हिंसक राम बन गये?

क्या आपको नहीं लगता पूरी दुनिया में जहां जहां भारत से बुद्ध जातक कथाये गई, वहाँ के रामकथा में राम बोधिसत्व है, जबकि भारत में बोधिस्तव राम का ब्राह्मणीकरण करके ब्राह्मणवादी राम दिखाने के लिए बाल्मीकि रामायण, अयोध्याकांड सर्ग 108 में बुद्ध को गाली देनी पड़ी?

Comments

Popular posts from this blog

जब उत्तर प्रदेश बना उत्तम प्रदेश

अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ

बोधिसत्व सतगुरु रैदास