विद्रोही नायिका फूलन देवी

"जहां सहनशीलता की सीमा समाप्त होती हैं,वही से विद्रोह का उदय होता है।"
विश्व की सबसे बड़ी क्रांतिकारी ,बैंडिट क्वीन,विद्रोह का प्रतीक और द रियल आयरन लेडी फूलन देवी की पुण्य तिथि (25 जुलाई) पर कोटि कोटि नमन एवं चरण कमलों में श्रद्धा सुमन अर्पित ।

फूलन देवी को प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन पत्रिका ने इतिहास की 16 सबसे विद्रोही महिलाओं की सूची में चौथे नंबर पर रखा था! 
ऐसी महिला जो 11वीं लोकसभा के माध्यम से संसद मे पहुँच कर गरीबो की आवाज का प्रतीक बनी थी! 
दिवंगत शक्ति स्वरूपा फूलन देवी को भारतीय गरीबों ,शोषितों,पिछड़ों,दलितों,वंचितों,एवं अत्याचार से पीड़ित व बहुजन समाज के संघर्ष को स्वर देने वाली देवी ,बैंडिट क्वीन,द रियल आयरन लेडी ,विद्रोह का प्रतीक व् क्रान्तिकारी देवी के रूप मे सदैव याद किया जाता रहेगा।
दुनिया में इंसान के लिये इज्जत और स्वाभिमान ही सब कुछ होता है ।लेकिन जब किसी के साथ कुछ गलत व्यवहार ,ज्यादती,जुल्म,अत्याचार,शोषण एवं अन्याय होता है और उसको न्याय नही मिलता है तो वह हथियार उठा लेता है ।
फिर उसे लोग नक्सली ,उग्रवादी ,आतंकवादी का  नाम दे देते है ऐसी ही एक महिला हुई है जिसका नाम है फूलन देवी।लेकिन हमारे दबे कुचले शोषित पीड़ित समाज के लिए एक मिशाल कायम की जिसे कभी नही भुलाया जा सकता।

अस्सी के दशक में फूलन देवी का नाम फिल्म शोले के गब्बर सिंह से भी ज़्यादा ख़तरनाक बन चुका था। कुछ महिलाओं को फूलन देवी की धमकी और मिसाल देते अक्सर सुना जाता था। कहा जाता था कि फूलन देवी का निशाना बड़ा अचूक था और उससे भी ज़्यादा कठोर था उनका दिल।

फूलन देवी (10 अगस्त 1963 - 25 जुलाई 2001) डकैत से सांसद बनी एक भारत की एक राजनेता थीं। एक निम्न जाति में उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गोरहा का पूर्वा में एक मल्लाह के घर हुअा था। फूलन की शादी ग्यारह साल की उम्र में हुई थी लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था। बहुत तरह की प्रताड़ना और कष्ट झेलने के बाद फूलन देवी का झुकाव डकैतों की तरफ हुआ था। धीरे धीरे फूलनदेवी ने अपने खुद का एक गिरोह खड़ा कर लिया और उसकी नेता बनीं।

गिरोह बनाने से पहले गांव के कुछ लोगों ने कथित तौर पर फूलन के साथ दुराचार किया। फूलन इसी का बदला लेने  की मंशा से फूलन ने बीहड का रास्‍ता अपनाया। डकैत गिरोह में उसकी सर्वाधिक नजदीकी विक्रम मल्‍लाह से रही। माना जाता है कि पुलिस मुठभेड में विक्रम की मौत के बाद फूलन टूट गई।

आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में (रॉबिनहुड) की तरह गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। सबसे पहली बार (1981) में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊँची जातियों के चौबीस लोगों का एक साथ तथाकथित (नरसंहार) किया जो जाति के (ज़मींदार) लोग थे। 

बाद में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार तथा प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशे की। इंदिरा गाँधी की सरकार ने (1983) में उनसे समझौता किया की उसे (मृत्यु दंड) नहीं दिया जायेगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जायेगा और फूलनदेवी ने इस शर्त के तहत अपने दस हजार समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश के भदोही सीट से (लोकसभा) का चुनाव जीता और वह संसद पहुँची। 25 जुलाई सन 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गयी। उसके परिवार में सिर्फ़ उसके पति उम्मेद सिंह हैं। 1994 में शेखर कपूर ने फूलन पर आधारित एक फिल्म बैंडिट क्वीन बनाई जो काफी चर्चित और विवादित रही। फूलन ने इस फिल्म पर बहुत सारी आपत्तियां दर्ज कराईं और भारत सरकार द्वारा भारत में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गयी। फूलन के साथ जमिदारों ने बलात्कार किया था।

दिल्‍ली के तिहाड़ जेल में कैद अपराधी शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्‍या की। हत्‍या से पहले वह देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल से फर्जी तरीके से जमानत पर रिहा होने में कामयाब हो गया। हत्‍या के बाद शेर सिंह फरार हो गया। कुछ समय बाद शेर सिंह ने एक वीडियो क्‍िलप जारी करके अंतिम हिन्‍दू सम्राट पृथ्‍वीराज चौहान की समाधी ढूढंकर उनकी अस्थियां भारत लेकर आने की कोशिश का दावा किया। हालांकि बाद में दिल्‍ली पुलिस ने उसे पकड़ लिया। फूलन की हत्‍या का राजनीतिक षडयंत्र भी माना जाता है। उसकी हत्‍या के छींटे उसके पति उम्‍मेद सिंह पर भी आए। हालांकि उम्‍मेद आरोपित नहीं हुआ।

#विरांगना #फूलन देवी पुर्व सांसद ,जिन्होंने अपने व अपने समाज पर हुए अत्याचार के बदले में 22 बलात्कारियों को लाईन में लगाकर उनके सीने को #गोलियों से छलनी कर दिया था ,वो दलित महिला जिसे  नामर्द नोच नोच कर अपना निवाला बनाते थे लेकिन मरी नहीं और ना ही #जोहर किया ,वह अत्याचारियों को जवाब देने के लिए उठ खड़ी होती है और लड़ती है ,अन्याय के खिलाफ मरने को तैयार रहती हैं 
  समाज की गंदगी का हर पहलु जीती है लेकिन हार नहीं मानती ,बदले के लिए हथियार उठाती है ,गरीबी झेलकर #बीहड़ के रास्ते #संसद तक का सफर तय करती है 
  विद्रोह तेवर, #चम्बल की #शेरनी ,और अत्याचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाली विरांगना #फूलन देवी
को आज ही के दिन (25 जुलाई 2001) को  को दिल्ली के सांसद आवास से पार्लियामेंट जाते हुए उनकी  हत्या कर दी थी आज उनके शहादत दिवस पर कोटि कोटि नमन करते हुए भावपूर्ण सच्ची श्रद्धांजली अर्पित करता हुँ।👏
जय भीम,जय फूलन ,जय संविधान,जय मूलनिवासी"जहां सहनशीलता की सीमा समाप्त होती हैं,वही से विद्रोह का उदय होता है।"
विश्व की सबसे बड़ी क्रांतिकारी ,बैंडिट क्वीन,विद्रोह का प्रतीक और द रियल आयरन लेडी फूलन देवी की  पुण्य तिथि (25 जुलाई) पर कोटि कोटि नमन एवं चरण कमलों में श्रद्धा सुमन अर्पित ।

फूलन देवी को प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन पत्रिका ने इतिहास की 16 सबसे विद्रोही महिलाओं की सूची में चौथे नंबर पर रखा था! 
ऐसी महिला जो 11वीं लोकसभा के माध्यम से संसद मे पहुँच कर गरीबो की आवाज का प्रतीक बनी थी! 
दिवंगत शक्ति स्वरूपा फूलन देवी को भारतीय गरीबों ,शोषितों,पिछड़ों,दलितों,वंचितों,एवं अत्याचार से पीड़ित व बहुजन समाज के संघर्ष को स्वर देने वाली देवी ,बैंडिट क्वीन,द रियल आयरन लेडी ,विद्रोह का प्रतीक व् क्रान्तिकारी देवी के रूप मे सदैव याद किया जाता रहेगा।
दुनिया में इंसान के लिये इज्जत और स्वाभिमान ही सब कुछ होता है ।लेकिन जब किसी के साथ कुछ गलत व्यवहार ,ज्यादती,जुल्म,अत्याचार,शोषण एवं अन्याय होता है और उसको न्याय नही मिलता है तो वह हथियार उठा लेता है ।
फिर उसे लोग नक्सली ,उग्रवादी ,आतंकवादी का  नाम दे देते है ऐसी ही एक महिला हुई है जिसका नाम है फूलन देवी।लेकिन हमारे दबे कुचले शोषित पीड़ित समाज के लिए एक मिशाल कायम की जिसे कभी नही भुलाया जा सकता।

अस्सी के दशक में फूलन देवी का नाम फिल्म शोले के गब्बर सिंह से भी ज़्यादा ख़तरनाक बन चुका था। कुछ महिलाओं को फूलन देवी की धमकी और मिसाल देते अक्सर सुना जाता था। कहा जाता था कि फूलन देवी का निशाना बड़ा अचूक था और उससे भी ज़्यादा कठोर था उनका दिल।

फूलन देवी (10 अगस्त 1963 - 25 जुलाई 2001) डकैत से सांसद बनी एक भारत की एक राजनेता थीं। एक निम्न जाति में उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव गोरहा का पूर्वा में एक मल्लाह के घर हुअा था। फूलन की शादी ग्यारह साल की उम्र में हुई थी लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था। बहुत तरह की प्रताड़ना और कष्ट झेलने के बाद फूलन देवी का झुकाव डकैतों की तरफ हुआ था। धीरे धीरे फूलनदेवी ने अपने खुद का एक गिरोह खड़ा कर लिया और उसकी नेता बनीं।

गिरोह बनाने से पहले गांव के कुछ लोगों ने कथित तौर पर फूलन के साथ दुराचार किया। फूलन इसी का बदला लेने  की मंशा से फूलन ने बीहड का रास्‍ता अपनाया। डकैत गिरोह में उसकी सर्वाधिक नजदीकी विक्रम मल्‍लाह से रही। माना जाता है कि पुलिस मुठभेड में विक्रम की मौत के बाद फूलन टूट गई।

आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में (रॉबिनहुड) की तरह गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। सबसे पहली बार (1981) में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊँची जातियों के चौबीस लोगों का एक साथ तथाकथित (नरसंहार) किया जो जाति के (ज़मींदार) लोग थे। 

बाद में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार तथा प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहुत सी नाकाम कोशिशे की। इंदिरा गाँधी की सरकार ने (1983) में उनसे समझौता किया की उसे (मृत्यु दंड) नहीं दिया जायेगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जायेगा और फूलनदेवी ने इस शर्त के तहत अपने दस हजार समर्थकों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया। 1996 में फूलन ने उत्तर प्रदेश के भदोही सीट से (लोकसभा) का चुनाव जीता और वह संसद पहुँची। 25 जुलाई सन 2001 को दिल्ली में उनके आवास पर फूलन की हत्या कर दी गयी। उसके परिवार में सिर्फ़ उसके पति उम्मेद सिंह हैं। 1994 में शेखर कपूर ने फूलन पर आधारित एक फिल्म बैंडिट क्वीन बनाई जो काफी चर्चित और विवादित रही। फूलन ने इस फिल्म पर बहुत सारी आपत्तियां दर्ज कराईं और भारत सरकार द्वारा भारत में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गयी। फूलन के साथ जमिदारों ने बलात्कार किया था।

दिल्‍ली के तिहाड़ जेल में कैद अपराधी शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्‍या की। हत्‍या से पहले वह देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल से फर्जी तरीके से जमानत पर रिहा होने में कामयाब हो गया। हत्‍या के बाद शेर सिंह फरार हो गया। कुछ समय बाद शेर सिंह ने एक वीडियो क्‍िलप जारी करके अंतिम हिन्‍दू सम्राट पृथ्‍वीराज चौहान की समाधी ढूढंकर उनकी अस्थियां भारत लेकर आने की कोशिश का दावा किया। हालांकि बाद में दिल्‍ली पुलिस ने उसे पकड़ लिया। फूलन की हत्‍या का राजनीतिक षडयंत्र भी माना जाता है। उसकी हत्‍या के छींटे उसके पति उम्‍मेद सिंह पर भी आए। हालांकि उम्‍मेद आरोपित नहीं हुआ।

#विरांगना #फूलन देवी पुर्व सांसद ,जिन्होंने अपने व अपने समाज पर हुए अत्याचार के बदले में 22 बलात्कारियों को लाईन में लगाकर उनके सीने को #गोलियों से छलनी कर दिया था ,वो दलित महिला जिसे  नामर्द नोच नोच कर अपना निवाला बनाते थे लेकिन मरी नहीं और ना ही #जोहर किया ,वह अत्याचारियों को जवाब देने के लिए उठ खड़ी होती है और लड़ती है ,अन्याय के खिलाफ मरने को तैयार रहती हैं 
समाज की गंदगी का हर पहलु जीती है लेकिन हार नहीं मानती ,बदले के लिए हथियार उठाती है ,गरीबी झेलकर #बीहड़ के रास्ते #संसद तक का सफर तय करती है 
  विद्रोह तेवर, #चम्बल की #शेरनी ,और अत्याचार के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाली विरांगना #फूलन देवी
को आज ही के दिन (25 जुलाई 2001) को   को दिल्ली के सांसद आवास से पार्लियामेंट जाते हुए  उनकी  हत्या कर दी थी आज उनके शहादत दिवस पर कोटि कोटि नमन करते हुए भावपूर्ण सच्ची श्रद्धांजली अर्पित करता हूं। 
लेकिन इन सभी बातों के बीच एक तथ्य गुम होकर रह जाता है मान्यवर कांशीराम जी और फूलन का ??? फूलन देवी पर साहब कांशी राम जी का बहुत गहरा प्रभाव रहा होगा मैं सर Sobran Singh जी से अनुरोध करता हूं आप अपनी लेखनी द्वारा फूलन देवी और साहब कांशी राम जी के विषय मैं विस्तृत जानकारी देने का कष्ट करें। 
जय भीम,जय फूलन ,जय संविधान
Sagar Gautam Nidar

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