कलिंग युद्ध

*लेख न.580*
*कलिंग का युद्ध*

   अपने पूर्वजों की भांति अशोक साम्राज्य विस्तार की नीति को भी जारी रखा | अपने शासनकाल के तेरहवें वर्ष में वह कलिंग पर आक्रमण किया | कलिंग नंदवंश के अंतिम राजा घनानंद के शासनकाल में मगध साम्राज्य का ही अंग था | नंदवंश के पतन एवं मौर्यवंश की स्थापना के संक्रमण काल में वह बहुत चतुराई से अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर लिया था | वह एक प्रबल राज्य बन गया था | उसके पास विशाल सेना थी | राजा के पास 60,000 पैदल,1,000 घुड़सवार तथा 7,000, लड़ाकू हाथी थे |
   मौर्यो के लिए अपने पड़ोस में इस प्रकार का एक समृद्ध राज्य असह्य था | दूर-दूर के प्रदेशों पर जिसका प्रभुत्व हो और पड़ोस में न हो ऐसा होना मौर्य को खलने लगा था | अतः अशोक ने एक योजनाबद्ध तरीके से विशाल सेना संगठित की | तैयारी पूरी हो जाने पर उसने कलिंग पर आक्रमण किया | तेरहवां अभिलेख बताता है कि भीषण युद्ध हुआ | इस युद्ध में बड़ी संख्या में नरसंहार हुआ |एवं हृदयविदारक रक्तपात हुआ |अंततोगत्वा कलिंग पर अशोक का अधिकार हो गया | किसी भी इतिहासकार ने कलिंग के शासक का नाम नहीं लिया है | उस युद्ध के भयानक परिणाम को तेरहवां अभिलेख इस प्रकार बयान करता है—" इसमें एक लाख पचास हजार व्यक्ति बंदी बनाकर निर्वासित कर दिए गये | एक लाख लोगों की हत्या कर दी गई |इससे भी कई गुना मारे गये | युद्ध में भाग लेने वाले ब्राह्मणों, श्रमणों तथा ग्रहस्थियों को अपने संबंधियों के मारे जाने पर अपार कष्ट हुआ | सम्राट ने इस भारी नरसंहार को अपनी आंखों से देखा |"
    इस प्रकार कलिंग को जीतकर मगध साम्राज्य का एक प्रांत बना लिया गया | राजकुल का कोई कुमार वहां उपराज नियुक्त कर दिया गया | कलिंग में दो प्रशासनिक केंद्र स्थापित किये गये |' तोसिल' को उत्तरी तथा 'जौगाद' को दक्षिणी राजधानी बनाया गया | मौर्य साम्राज्य की पूर्वी सीमा बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत हो गई |
सम्राट ने अपनी आंखों के सामने एक हृदय विदारक हिंसात्मक नरसंहार देखा | उसने लाखों नौजवानों को शोणित का सैलाब देखा | युद्ध भूमि में तड़पते, मरते लोगों को देखकर उसका हृदय विदीर्ण हो उठा | उसका रोम-रोम सिहर उठा | वह सोचने लगा— मेरी राज्य लोलुपता के कारण ही लाखों माताओं की गोद सूनी हो गई |  लाखों सुहागिनों का सुहाग खून में घुल गया | मैं पापी हूं, पापी | उसने प्रतिज्ञा की, अब वह राज्य पाने के लोभ में कभी भी युद्ध नहीं करेगा | कलिंग युद्ध ने एक दूरगामी परिणाम दिया |
   हेमचंद राय चौधरी ने कलिंग युद्ध पर टिप्पणी किया है—" मगध तथा भारत के इतिहास में कलिंग विजय एक महत्वपूर्ण घटना थी | इसके बाद मौर्यो का जीतो तथा राज्य विस्तार का वह दौर समाप्त हो गया जो बिम्बिसार द्वारा अंग राज्य को जीतने के बाद से प्रारंभ हुआ था | इसके बाद एक नये युग का सूत्रपात हुआ और यह युग था— शांति, सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार का | यहीं से सैन्य विजय तथा दिग्विजय का युग समाप्त हुआ तथा आध्यात्मिक युग का प्रारंभ हुआ, धम्म विजय का युग प्रारंभ हुआ |"
 कलिंग युद्ध ने अशोक के ह्रदय में एक महान परिवर्तन कर दिया |उसका ह्रदय मानवता के प्रति दया एवं करुणा से भर गया | उसने भविष्य में सदा के लिए युद्ध को बंद कर देने का संकल्प लिया | यह एक आश्चर्यजनक परिवर्तन था | संसार के इतिहास में यह एक बेजोड़ परिवर्तन था | उसी समय से सम्राट बौद्ध बन गया |उसने अपने साम्राज्य में सभी उपलब्ध साधनों को जनता के भौतिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक कल्याण में नियोजित कर दिया |
   सम्राट में अनुभव किया था कि किसी युद्ध का प्रभाव न केवल मैदान में जूझने वाले योद्धाओं पर पड़ता है ,बल्कि उसका प्रभाव संपूर्ण नागरिक समुदाय तथा उस पर आश्रित मातहतों पर 
पड़ता है  |


*संदर्भ:- प्रियदर्शी सम्राट अशोक ,पेज नंबर 20 व 21*

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