दिव्या भारती खुबसुरती की एक मिशाल
तुम नही हो लेकिन तुम फिर भी यादों मै आज भी ज़िन्दा हो 💐💐💐
महज 19 साल की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाली दिव्या भारती कम समय में ही युवाओं के दिल की धड़कन बन गई थीं।
उनकी खूबसूरती और जबरदस्त एक्टिंग ने दर्शकों का दिल मोह लिया था।
05 अप्रैल 1993 से अब तक दिव्या को गुजरे 28 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी वो लोगों के दिलों में जिंदा हैं।क्या दिव्या भारती बॉलीवुड की जातीय भावना की शिकार तो नही हुई?
Vidrohi Sagar Ambedkar
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बॉलीवुड की मशहूर अनुसूचित जाति की फ़िल्मी अदाकारा,बॉलीवुड की धड़कन, हम सब की पसंदीदा अदाकारा दिव्या भारती की निधन 5 अप्रैल 1993 को मुंबई के वर्सोवा हाउस में मृत्यु हुई थी!वास्तव में दिव्या की रहस्यमयी मृत्यु की अनेक अनसुलझी गुथीयां आज भी विद्यमान है।मीडिया के माध्यम से बहुत सारी हवा में उछालने का प्रयत्न किया गया।परंतु उन मुद्दों से बढ़कर मुझे ऐसा लगता है कि जिन डायरेक्टर के साथ दिव्या भारती का झड़प हुई थी उन लोगों ने ही दिव्या भारती के प्रतिपक्ष उसके चेहरे की तरह एक ब्राह्मणी अदाकारा श्री देवी को पर्दापण करने की कोशिश की गई थी ।बॉलीवुड में जाति का कहर आज की तरह उस वक्त कहीं ज्यादा था। दिव्या भारती की रहस्यमयी मृत्यु पर पर्दा डालने का काम सर्वप्रथम इस देश की ब्राह्मणी मीडिया,पुलिसतंत्र तथा क्राइम ब्रांच की विफलता का प्रमुख कारण है।इन लोगों ने श्री देवी की मौत पर जिस तरह का माहौल देश में बनाया था ऐसा माहौल दिव्या भारती के समय में इस देश की तंत्र ने क्यों दिलचस्पी नही दिखाई।यह एक महत्वपूर्ण विषय है।क्या यह नही कहा जा सकता है कि जातीय दंश की शिकार दिव्या भारती को झेलना पड़ा है।जिन लोगों ने फिल्में देने से मना किया उन लोगों के साथ दिव्या भारती की तनाव के किस्से उनकी मां की जुबानी यूट्यूब पर सुनी जा सकती है।अपनी बुलंदियों पर पहुंच कर एक से बढ़कर एक हिट फिल्में कर रही थी तो उसी बॉलीवुड के कई डायरेक्टर ने मिलकर हमशक्ल श्री देवी को उसके प्रतिपक्ष में तैयार करवाया। दिव्या भारती की ड्रग्स पीने का खबर, साजिद नाडियाडवाला से शादी करने की खबर,स्व आत्महत्या करने की खबर मीडिया ने बड़े जोर शोर से उठाया था लेकिन सारे मामले बेबुनियाद बम्बई कोर्ट ने1997 में खत्म कर दिया। इन सब से बढ़कर यह मामला जातीय दंश का लगता है जिसने दिव्या भारती की रहस्यमयी मृत्यु और उसकी गहन जांच की रिपोर्ट बहुजन समाज के जनमानस पटल पर आज भी केंद्रित तथा रहस्यमय बनी हुई है।
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