ब्राह्मण क्या है 👇👇
भारत की समृद्धशाली परंपरा में #बाम्हन_बाभन शब्द का प्रयोग:-
चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा लिखित वृहद अभिलेख का चतुर्थ संदेश है
#बाम्हन_समण के प्रति लोग आदर का भाव रखें।
अब यहां ध्यान दें कि पाली वाक्य में जब दो या दो से अधिक संज्ञा नाम का प्रयोग करना होता है तो उन सबों के बीच में #च का प्रयोग होता है।
जैसे:- बुद्धों भूपालस्स च अमच्चानं च धम्मं देसेस्सति।
लेकिन
सम्राट ने अपने अभिलेख में #बाम्हनसमण के बीच #च का प्रयोग नहीं किये है। जिस वजह से इसे निरंतरता से पढ़े और इसका अर्थ भी एक ही साथ करें।
(याद रखें कि पाली में बाम्हन का अर्थ विद्वान होता है, और समण का अर्थ नष्ट करने वाला, बुझाने वाला होता है।
जैसे:- #अग्नि_शमन_वाहन।)
यानी
सम्राट द्वारा समण (#भिक्खु) को ही बाम्हन ( #विद्वान) भिक्खु कहकर संबोधित कर रहें हैं।
उसी प्रकार सम्राट #समुद्रगुप्त का इलाहाबाद स्तम्भ लेख में भी #बाभनेआजीवको लिखा हुआ मिला है।
यानी यहां भी आजीवक को ही विद्वान (बाभने) कह रहे हैं।
अब भारत में धूर्तों का समूह ने जब जाति निर्माण करना शुरू किया तो अपने द्वारा निर्मित धूर्त समूह का नाम उसी बाम्हन को संस्करारित करते हुए ब्राह्मण से संबोधित किया ,
तो उसमे पूर्व के बाम्हन, बम्ह, बम्ही जैसे शब्दों का क्या दोष?
दोष तो आज के लोगों का है कि जानकारी मिलने के बाद भी लोग इस शब्द को धूर्तों से मुक्त नही रहा रहे हैं।
ऐसे आज के लोगों को छोटी सी भूखंड की जानकारी अगर मिल जाए कि यह भूखंड मेरे पूर्वज का है तो उसके लिए कोर्ट का चक्कर लगाने को तैयार रहतें हैं।
इन सब बातों को नीचे लगे अभिलेख में देख सकतें है।
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