बसपा मैं ब्राह्मण 👇👇
सतीशचंद्र मिश्रा को मान्यवर
कांशीरामजी के उपस्थिति में ही सन 2002
को पार्टी में शामिल कर लिया था
उससे पहले सन
1986 में ही टोपाज कंपनी के मालिक जयंत
मल्होत्रा नामक इस सवर्ण हिंदू को मान्यवर
कांशीरामजी ने बसपा में शामिल कर लिया थाउन्हें राज्यसभा में एम.पी. बनाकर भेज दिया, ब्राम्हणों की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के साथ समझौता करके उ.प्र. में बसपा की सरकार बनायी ।
बसपा की सरकार गिर जाने के बाद मान्यवर कांशीरामजी ने सन 1995 में रामवीर उपाध्याय और सीमा उपाध्याय इन दो ब्राम्हणों को पार्टी में शामिल कर लिया था.हाथरस से उन्हें उम्मीदवार बनाया और लोकसभा चुनाव जितकर संसद पहुंचाया था ।
इसके तुरंत बाद ब्रजेश पाठक पार्टी में मान्यवर कांशीरामजी के उपस्थिती में शामिल हुए थे2002 में मान्यवर कांशीराम ने उ.प्र. के विधानसभा चुनाव में 37 टिकिटे ब्राम्हणों 10 सीटे वैश्य
और 15 सीटे क्षत्रिय समाज को देकर सर्वजन
हिताय और सर्वजन सुखाय का नारा बुलंद किया था।
अवसरवादी राजनीती जो साहब ने सिखायी कांशीराम जी के ही अवसरवादी सिद्धांतो पर बहन मायावतीजी चल रही है।बाबासाहब ने ब्राम्हण राजेंद्र प्रसाद के हाथों 1951 में मिलिंद कॉलेज का उद्घाटन किया था,1925 में समता समाज संघ ,संगठन की स्थापना की थी।
ब्राम्हणों को भी शामिल करने की बात की थी बाबासाहब ने लोकमान्य तिलक पुत्र श्रीधरपंत तिलक को पुना जिले का समता समाज संघ का अध्यक्ष भी बनाया था ।ऐसा करके सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का नारा इस देश में पहली बार बाबासाहब ने बुलंद किया था
बाबासाहब से लेकर बहन मायावतीजी का एक ही उद्देश रहा है ,इस देश के शोषित वंचित दमित पिडित दुःखी गरीब लोगों को इस देश का हुक्मरान समाज बनाया जाए और इस देश में समतामूलक समाज की स्थापना कि जाए।तथागत बुद्ध, सम्राट अशोक, संत कबीर, संत रविदास, गुरु घासिदास, गुरुनानक, महात्मा फुले, शाहू महाराज, संत गाडगेबाबा, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर,
मान्यकांशीरामजी ये सब महापुरुष इस देश में जाति विहिन समाज की रचना चाहते थे ।बहन मायावती ने समय के अनुसार प्रचार में परिवर्तन करके सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय का नारा इस देश में फिर से बुलंद किया है. क्योंकी बाबासाहब ने सन 15 अक्तूबर 1956 को नागपूर के दीक्षाभूमी में कहा था
"हमें समय के बदलती परिस्थिती के अनुसार
प्रचार में परिवर्तन करना चाहिए जय भीम, जय बसपा
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