बहुजन क्रांति की राह के रोड़े
~ बहुजन क्रांति के रोड़े ~
मध्यप्रदेश में बसपा कभी यूपी जैसी बहुजन क्रांति के दौर में थी. बसपा का ये उभर तब सामने आय जब फूलसिंह बरैया के रूप में एक फायरब्रांड नेता बसपा में अचानक उभरे. बरैया कांग्रेस और बीजेपी दिनों को उखाड़ फेंकने का आवाहन करते थे. भोपाल की रैली में बहनजी ने भी डिक्लेयर कर दिया कि पार्टी की तरफ से फूल सिंह बरैया ही मुख्यमंत्री होंगे.
फिर अचानक घटनाये अक्टूबर 2003 में घटनाएं तेजी से चौंकाती हैं. होता यूँ है कि नवम्बर 2003 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी अपनी जीत निश्चित करना चाहती थी. बीजेपी ने बरैया को लालच दे अपनी तरफ कर लिया और प्लान ये था कि चुनाव के बाद बरैया बसपा की पूरी मध्य प्रदेश इकाई को तोड़ कर एक अलग पार्टी बनाकर बीजेपी को सपोर्ट करेंगे. इस साजिश में फूल सिंह बरैया और संत कुमार शामिल थे.
बहनजी को बरैया और बीजेपी के नेताओं से मुलाकातों की खबरें मिल रही थी. लेकिन उन्हें लगा की शायद बात संभल जाये. इसी उम्मीद के साथ ही उन्होंने अक्टूबर 2003 के शुरू में हुई भोपाल की रैली में ये साफ़ कर दिया कि बहुमत की स्थिति में पार्टी की तरफ से फूल सिंह बरैया ही प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये जायेंगे. पता नहीं बीजेपी ने बरैया को मुख्यमंत्री पद से भी बड़ा क्या लालच दिया था?
फिर अचानक 28 अक्टूबर 2003 को बहनजी को खबर मिली कि पार्टी कार्यालय से बहनजी के कुछ पत्र और प्रचार सामग्री गायब है और अब पार्टी तोड़ने का प्लान चुनाव से पहले का ही है. इसलिए रातोंरात डिसीजन ले बरैया और संत कुमार को पार्टी से निष्कासित किया गया. बरैया ने चुनाव भर पार्टी विरोधी काम किये और नतीजा ये कि बसपा कुछ खास नहीं कर पाई लेकिन बीजेपी को बहुमत मिल गया.
वैसे ये शोध का विषय है कि क्यों जो नेता बसपा में अच्छा कर रहे होते हैं, तरक्की कर रहे होते हैं फिर अचानक मनुवादियों के हाथ बिक कैसे जाते हैं? 2017 यूपी विधान सभा चुनाव से पहले मौर्या और सिद्दीकी को ही देख लो. और ऐसा भी नहीं कि पार्टी विरोधी काम करके वो आगे कुछ और तरक्की कर गए हों. क्या हैं बरैया, मौर्या और सिद्दीकी? क्यों है बहुजन समाज में इतना लालच, दब्बूपन? क्यों अभी भी आत्मसम्मान की कमी से गुजर रहे हैं बहुजन नेता? क्यों हमारे उभरते नेता बड़ी आसानी से मनुवादी कांग्रेस-बीजेपी के प्रभाव में आकर मिशन से ही समझौता कर लेते हैं? RPI बर्बाद हुई, बामसेफ बर्बाद हुई. ये तो गजब जिगरा हैं बहनजी का जो मनुवादियों के धनबल, बाहुबल और सत्ताबल का सामना करते हुए बसपा को सिंगल पीस में बचाये रखा है
कांशीराम तेरी नेक कमाई, बहनजी ने और बढ़ाई!
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