गांधी को हरिजन क्यों नहीं कहते
क्या गांधी जी को ( हरिजन ) दलित अपना हितैषी मानते हैं? जबकि उन्होंने " हरिजन "अखबार निकाला , ताकि दलितों को हरि का जन घोषित किया जा सके क्योंकि बाकी का तो भगवान से कोइ मतलब है ही नहीं.....कांग्रेस ने दलितों के यहाँ भोजन करना गाँधी जी से ही सीखा , हालांकि गाँधी जी ऐसे मौकों पर ज्यादातर उपवास रखते थे और दूध के लिए बकरी साथ रखते थे। गाँधी जी के चेले कांग्रेसी जब दलितों के यहाँ भोजन कार्यक्रम रखते हैं तो खाना होटल से माँगते हैं और पानी बिसलरी का पीते हैं। यही सब आज कांग्रेस की टीम बी भाजपा कर रही है।
दिलीप मंडल जी , घोर बहुजन समाज हितैषी हैं अब तो मनुमिडिया ने उन्हें बहुजन प्रवक्ता भी घोषित कर दिया है।लेकिन जहाँ तक मुझे याद पड़ता है कि श्री वी पी सिंह व श्री अर्जुन सिंह जी ने कभी भी मंडल कमीशन के समर्थन में देश में कोई आंदोलन नहीं किया।
अगर भारत में गंभीरता पूर्वक किसी ने मंडल कमीशन के लिए समर्थन में आंदोलन चलाया है तो वह एकमात्र #मान्यवर_कांशीराम_साहब ने #बहुजन_समाज_पार्टी के माध्यम से देशभर में पांच सौ सेमिनार करना,वोट क्लब पर लगातार धरना प्रदर्शन करना व दिल्ली की सड़कों को " मंडल कमीशन लागू करो , वरना कुर्सी खाली करो " के नारे से गुंजायमान करना ।
इसी सब के दबाववश जनता दल को #बसपा के समर्थन से सरकार चलाने के वास्ते #BSP की तीन प्रमुख माँगें
1- बाबा साहब को भारतरत्न ,
2-SC/ST ACT लागू करना व
3- मंडल कमीशन रिपोर्ट लागू करना
।
मानने पर मजबूर होना पड़ा ।
इसी प्रकार श्री अर्जुन सिंह या बाबू जगजीवन राम जी ने कांग्रेस में रहते हुए जो कुछ भी बहुजन समाज के हित में कार्य किये वह समवैधानिक हितों की रक्षा करने का काम किया है न कि बहुजन समाज पर कोई अहसान...!!!
यह नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस के समय में ही उप्र में दिहुली ,साडूपुर और बिहार में परसबीघा ,कफल्टा ,पिपरा जैसे कांडों को अंजाम दिया गया।वही सब आज भाजपा के समय मे मॉबलिंचीग ,सहारनपुर, ऊना ,रोहित वेमुला हो रहा है।
#बहन_सुश्री_मायावती_जी का उप्र का चार बार का शासन उप्र तो क्या देश के इतिहास में इस बात का गवाह है कि बहन जी के शासन में #एक_भी_दंगा_न_होना
गाँधी जी /बाबू जगजीवन राम जी बहुजन समाज की नर्स (आया) हो सकते हैं लेकिन माँ बहुजन समाज की बाबा साहब ही होगें।
वी पी सिंह /अर्जुन सिंह बहुजन समाज की नर्स हो सकते हैं लेकिन माँ मान्यवर कांशीराम साहब ही होगें।
1996 में बसपा राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी थी लेकिन श्री प्रभु चावला जैसे
पत्रकारों ने उसे कभी भी अपने इंडिया टुडे में रहते बहुजन समाज पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा नहीं दिया।
इसलिए प्रभु चावला बहुजन समाज की नर्स हो सकते हैं लेकिन माँ तो #श्री_दिलीप_C_मंडल_जी ही कहलायेंगे...!!!
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