भारत कैसे बौद्धमय हो सकता है 🤔

भारत बौद्धमय हो सकता है। 
लेकिन कैसे ?

करुणा के सागर तथागत गौतम बुद्ध से सम्बंधित संगठन का नाम अलग अलग हो सकता है, लेकिन भारत को बौद्धमय करने के लिए "बुद्ध" और "बुद्धवार" को आधार बनाना अतिआवश्यक है।

1- सामाजिक:--
बुद्ध गौतम के नाम,
बुद्धवार के शाम,
देश के हर गाँव में,
सामुहिक वन्दना काम।
(वन्दना बहाना है, मिलना जुलना निशाना है)
समाज में समता ममता स्थापित करने के लिए अनिवार्य शर्त है।
(What a wonder, when we wish weekly Wednesday Wisdom Waves wander world wide.)

2- पारिवारिक:--
अ.- रात का भोजन एक साथ, माता पिता एवं परिवार के सभी सदस्य। परिवार में प्रेम स्थापित करने के लिए अतिआवश्यक है।
ब.- परिवार में बुद्धवार "विशेष भोजन", (बुद्ध की खिचड़ी या सुजाता की खीर) सभी सदस्य एक साथ ग्रहण करने से बुद्धवार विशेष दिवस "बुद्ध दिवस" और परिवार में आपसी "प्रेम दिवस" साबित हो सकता है। 

3- व्यक्तिगत:--
प्रतिदिन "बुद्धगया दिशा में" साधना/ध्यान करने से मन शीघ्रता से बौद्धमय हो सकता है। तभी भारत बौद्धमय हो सकता है।

4- मासिक:--
हर पूर्णिमा को बुद्ध व्याख्यान एवं सुजाता की खीर का जलपान। इससे गाँव/मुहल्ले में बुद्ध विचारधारा का प्रचार प्रसार हो सकता है।

5- वार्षिक:--
महापुरुषों की जयंती/क्रांति दिवस मनाना बहाना है, महापुरुषों के कारनामों से "प्रेरणा" लेना निशाना होना चाहिए।

6- जीवन के संस्कार:--
जन्मोत्सव, शादी, उद्घाटन, बुद्ध गौतम के नाम, बुद्धवार को बुद्ध वन्दना से शुरुआत।

7- ड्रेस कोड/पहचान:--
कोई भी बौद्धिक सांस्कृतिक अवसर पर यथासंभव महिलाएं, बच्चे एवं पुरुषों को सफेद ड्रेस/पोशाक में रहना चाहिए।

8- आवास कोड/पहचान:--
अपने मकान/आवास पर पंचशील का झंडा होना ही चाहिए।

9- धम्म स्थान:--
बुद्ध विहार (न कि बुद्ध मन्दिर)

10- वन्दना:-- 
बुद्ध वन्दना (न कि बुद्ध प्रार्थना)
11- अभिनन्दन:--
नमो बुद्धाय। 
जबाब भी नमो बुद्धाय (न कि प्रणाम/ जय श्री राम)

12- कामना:-- मंगल कामना (न कि आशीर्वाद/खुश रहिये)
Thought of Buddha bless you, (not that 
Buddha bless you.)

13- राज्य का नाम-- विहार क्योंकि यहाँ बुद्ध विहार ही हुआ करता था। बिहार शब्द ही अशुद्ध और सेंसल्स है। विहार का अपभ्रंश है।

14- देश का नाम:-- 
प्रबुद्ध भारत (क्योंकि विश्व में बुद्ध और बुद्धत्व भारत देश की ही देन है।)

15- देश की भाषा:--
पाली ही होना चाहिए क्योंकि देश की मूल भाषा मागधी, प्राकृत और पाली ही है। संस्कृत तो पाली का ही अपभ्रंश है।

16- नामकरण:--
नाम के आगे राम है, तो वह ओ बी सी होगा। जैसे- राम मनोहर लोहिया।
नाम के पीछे राम है, तो  वह एस सी होगा। जैसे- जगजीवन राम।
नाम- राम प्रवेश राम, लेकिन मन्दिर में प्रवेश नहीं। 
कोई ब्राह्मण नाम में राम नहीं लगाता है जबकि राम के नाम पर धंधा/कमाई और मन्दिर की ठीकेदारी वही करता है।

17- महिला एवं पुरूष का नाम ऐतिहासिक आधार पर ही होना चाहिए, जैसे- अशोक, महेन्द्र, आम्रपाली चन्द्रकला इत्यादि (और न कि ईश्वर, परमेश्वर, महेश्वर इत्यादि)
नाम के बाद पदनाम (टाइटल) में जाति सूचक शब्द-- राम, रजक, सिन्हा, सिंह, पूछी के जगह द्रविड़, नागवंशी, बौद्ध, गौतम,  वर्द्धन, अम्बेडकर, इत्यादि रखने का प्रयास/अभ्यास करना चाहिए।

18- सामुहिक शव यात्रा:--

गाँव/मुहल्ले में किसी के देहांत/ मृत्यु होने पर सभी परिवार से लोगों को शव यात्रा में न केवल शामिल होना चाहिए बल्कि सभी जातियों के लोगों को शव यात्रा में  कंधा भी लगाना चाहिए। इसी से भेद भाव और छुआ छूत भी खत्म हो सकता है। तभी आपस में आत्मिक प्रेम पैदा हो सकता है।

19- सामुहिक झंडोत्तोलन:--

गाँव/मुहल्ले के सभी सदस्यों के द्वारा सामुहिक रूप से व्यवस्था करके सबसे बुजुर्ग जीवित महिला या पुरूष द्वारा ही औपचारिक झंडोतोलन होना चाहिए। इससे गाँव/मुहल्ले के सभी सदस्य सम्मानित समझे जा सकते हैं।

20- कम से कम इतना करने पर ही बौद्धमय भारत की "कल्पना" कर सकते हैं अन्यथा केवल "सपना" ही देखते देखते जीवन और अनगिनत जेनरेशन गुजर सकतीं है।

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