बहिन जी समझदार तो हैं पर कांशी राम से ज्यादा नहीं ✍👇👇
[02/12, 3:59 am] SAGAR GAUTAM NIDAR 🐘: आपके लिए आवश्यक जानकारी मै आपको बता दू मै 15 वर्ष से BSP का झण्डा डंडा और सम्भाल रहा हूँ और साहब कांशी राम जी का एक ईमानदार फॉलोअर हूँ बिना किसी लालच के जो मुझे जानते है उनसे जानकारी ले सकते हो :-
एक व्यक्ति 15 वर्ष मै 3 बार पी एच डी कर सकता है अगर आर्थिक सम्पन्न हालात उचित हो तो खैर मुद्दा ये नहीं है मुद्दे पर आता हूँ :-
मै पूरी जिम्मेवारी से बोलता हूँ की कल आप जैसे लोग कहेंगे की रविदास समझदार थे लेकिन बुद्ध से ज्यादा नहीं, फुले समझदार तो थे लेकिन रविदास से ज्यादा नहीं, अंबेडकर समझदार तो तो थे लेकिन फुले से ज्यादा नहीं इसका एक क्रम ही बन जायेगा जिसका बनाना दुनिया की सबसे बड़ी बेवकूफी होगी बात बहिन जी की हो तो मै यही कहूंगा की बहिन जी अभी गुजरे हुये लीडरों से बेहतर हैं तभी तो सबकी जिम्मेदारी को अपने कंधो पर संभाल रही हैं जो बहुजन हिस्ट्री मैं पहली बार हो रहा है की पितृ सत्तात्मक समाज से जूझकर एक महिला महापुरुषों के समस्त मिशन को संभाल रही है हर महापुरुष के जन्म के समयानुसार उसका संघर्ष रहा है इसमे कोई कंप्टिशन डालना मूर्खता है रही बहिन जी बात तो उनकी उम्र के पुरुष भी बिस्तर पर पड़े पड़े कल्हर रहे हैं सुबह से शाम माला जपते हैं वहीं बहिन जी आज भी 18 से 20 घण्टे काम करती हैं संगठन और पार्टी का और अपनी किताबो को लिखने का जो आसान नहीं है सोच कर देखो आज भी जब देश के सभी राज नैतिक संगठन BSP के विरोधी हैं तब उसको जिन्दा रखा है वो भी ऐसे समय पर जब साहब कांशी राम के समय के ज्यादातर लोग पार्टी छोड़ चुके हैं और दूसरों के पैरों मैं पड़े हैं आपके मन को फिर भी शांति ना मिले तो एक जानकारी और की कभी ये आयरन लेडी साहब कांशी राम जी के पास खुद चलकर नहीं गयी थी बल्कि ऐसा कारनामा कर दिया था जो इतिहास का सबसे बेस्ट कारनामा हो सकता है की साहब कांशी राम मजबूर होकर उनके पास चलकर आये थे अपनी काबलियत का लोहा मनवा दिया था और BSP का बेस्ट रिजल्ट साहब कांशी राम जी के सामने नहीं उनके बाद आया है अब आप क्या मान कर चलते हो ये आपकी सोच पर निर्भर करता है अगर मैं कहना चाहू तो दूसरे शब्दों मैं कह सकता हूँ की बहिन जी साहब से ज्यादा समझदार हैं लेकिन मैं ऐसे फितूर दिमाग मैं नहीं पालता आप भी निकाल ही दीजिये
लखनऊ-नोएडा आदि जगहों में जब अंबेडकर स्मारक-कांशीराम स्मारक-बुद्ध स्मारक- ज्योतिबा फुले - कबीर दास जी -रविदास जी-सावित्रीबाई फुले जी -रमाबाई अंबेडकर जी के स्मारकों का जब बसपा सरकार निर्माण करवा रही थी, तब मुलायमसिंह यादव-अखिलेश यादव आदि समाजवादी पार्टी के नेता यह कहते थे कि मायावती पत्थरो में धन की बर्बादी कर रही हैं।
जबकि सच यह था कि बहन जी ने बहुजन समाज का गौरवमयी इतिहास का निर्माण किया था।
संसद में दलित प्रोन्नत आरक्षण का बिल सपा सांसद ने फाड़ कर दलित विरोधी सपा की विचारधारा होने का प्रमाण दिया था।
परंतु आज यह देख कर दुख हुआ की दलितों के मसीहा बाबा साहेब अंबेडकर को कांग्रेस ने दफन कर सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित कर दिया था, वही मान्यवर कांशीराम और बहन मायावती ने बाबा साहेब को सारे भारत में जिंदा कर दिया है।
बाबा साहेब के नाम पर अपना पेट पालने वाला उनका पोता प्रकाशराव अंबेडकर बसपा नेत्री बहन कुमारी मायावती के विरोधी सपा नेता अखिलेश यादव के मंच में आकर बहुजन मूवमेन्ट के खिलाफ जाने का संकेत दिया है।
मैं युवा हूं मैं बुद्ध और बाबा साहेब की पदचिन्हों पर चलकर शासन-सत्ता की लड़ाई लड़ने वाली बसपा का समर्थन करता रहूंगा!
अखिलेश यादव के मंच पर पूर्व सांसद सावित्रीबाई फूले के साथ बाबा साहेब के पोता प्रकाशराव अंबेडकर जो महाराष्ट्र में कुछ करने के लायक नहीं हैं वह यूपी की राजनीति में दलितों को गुमराह करने का संदेश दे रहे हैं।
वहीं जिस प्रकार चुनाव के दौरान भाजपा की सरकार बनवाने के लिए कुछ बिकाऊ बौद्ध भिक्षु नरेंद्र मोदी का प्रचारक बने थे, वैसे ही भंते सुमितरत्न महाथेरा भी शायद बिकाऊ भिक्षुओं के पदचिन्हों पर चलकर दलित-पिछड़े-बहुजन समाज की विचारधारा के विरोधी सपा नेता का समर्थन करने का निर्णय किये हैं।
आज बहुजन समाज पार्टी को खत्म करने की औकात भाजपा-कांग्रेस-सपा की नहीं है, परन्तु दलित-पिछड़े नेताओं की बसपा नेत्री के खिलाफ लामबंदी जरूर बहुजन मूवमेन्ट को कमजोर कर मनुवादी दलित-पिछड़ों की विरोधी पार्टियों को लाभान्वित करेगी।
मैं उत्तर प्रदेश के दलित-पिछड़े वर्ग के लोगों से यह जानना चाहता हूं कि समाजवादी पार्टी की भी उत्तर प्रदेश में कई बार सरकार बन चुकी है, सपा सरकार में बुद्ध-बाबा साहेब-कबीर-रविदास-जोतिबा फूले-साहूजी महाराज-सावित्रीबाई फूले आदि महापुरुषों की विचारधारा को फैलाने में क्या कोई काम किया है।
बसपा सरकार में बहन जी ने महामाया पेंशन योजना लागू की थी, जब अखिलेश यादव की सरकार बनी तब महामाया पेंशन योजना का नाम बदल कर रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर लागू किया था, कुछ माह बाद रानी लक्ष्मीबाई का भी नाम बदल कर समाजवादी पेंशन योजना कर दिया था।
बहुजन समाज पार्टी एक मूवमेंट है
महापुरुषों के विचारधाराओं का एक कारवां है जो मिशन के रूप में काम करती है!
जिसके तहत सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के पद चिन्हों पर चलकर देश में खुशहाली लाना चाहती हैं!
और मैं सदैव बहन जी का समर्थन करता था करता हूं और करता रहूंगा !
जय भीम जय बसपा और आज मेरी तरफ से पहली बार जय बहिन जी 🥰
SAGAR GAUTAM NIDAR ✍
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