जीवन का काला सच

#जीवन_क़ा_एक_कड़वा_सत्य_
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एक अमीर व्यक्ति कभी नहीं चाहता कि कोई भी व्यक्ति उसकी बराबरी करे। एक अड़ोसी अपने पड़ोसी की तरक्की कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता। एक उच्च कुलीन व्यक्ति कभी एक निम्न कुलीन को अपने समकक्ष नहीं देख सकता है। 

भाई-भाई, व्यक्ति-व्यक्ति, समाज-समाज में यह भावना जन्म जन्मांतर से है क्यों कि कोई भी पक्ष तब तक ही उच्च है जबतक समाज में निम्न भी होंगे। अमीरों में अमीर तभी होगा जब समाज में गरीबी होगी। 

अब आप इसे दूसरे तरीके से सोचिये कि कोई भी नेता, नौकरशाह, कुलीन वर्ग, व्यक्ति आदि क्यों चाहेगा कि सब समृद्ध, सक्षम व शिक्षित हो जाएं? फिर उन्हें कामवाली, माली, धोबी, ड्राईवर, चपरासी आदि ही नहीं मिलेंगे।

 यदि इन तमाम सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, आर्थिक अगुवानी लोगों को नौकर, चाकर, गुलाम, भक्त, चमचे, चाटुकार आदि नहीं मिलेंगे तो वे भीड़ में खड़े होकर कैसे गा सकेंगे, स्वर्ग से सुंदर, स्वर्ग से प्यारा, मेरा देश, सबसे न्यारा? 

हमारा देश गरीब, कमजोर, अशिक्षित नहीं  बल्कि व्यवस्थापकों को गरीब, कमजोर, अशिक्षित लोगों की जरूरत है। जबतक ऐसे दबे, कुचले, पिछड़े लोग रहेंगे तबतक ही उनका डंका बजता रहेगा। 
जय भीम-जय भारत

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