के आर नारायरन
डॉ. के.आर. नारायणन, एक प्रकांड विद्वान, प्रखर राजनीतिज्ञ, कुलपति और संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन में भारत के राजदूत और भारत के महान राष्ट्रपति थे! अनुसूचित जाति से आनेवाले वो भारत के पहले राष्ट्रपति थे। आज उनकी पुण्य तिथि है।
डॉ. नारायणन का सम्पूर्ण जीवन संघर्षों से भरा है। उनका जन्म केरल राज्य के एक गांव में फूस की एक झोंपड़ी में 4 फरवरी 1920 को वाल्मीकि परिवार में हुआ था!
उनके पिता आयुर्वेदिक औषधिओं के जानकार थे, इसी से वे अपना परिवार चलाते थे। गरीबी इतनी भयंकर थी कि वे 15 कि.मी. दूर सरकारी स्कूल में पैदल पढ़ने जाते थे! कभी-कभी फीस की राशि समय पर जमा नहीं करने की वजह से उन्हें कक्षा से बाहर खड़ा होना पड़ता था!
बाद में उन्होंने अपने विद्वता की बदौलत लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की।
ज़ब वे पढ़ाई खत्म करके भारत लौटे तो उनके कॉलेज के एक प्रोफेसर ने एक पत्र भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल के नाम दिया। उस पत्र में उनकी प्रतिभा का उल्लेख था। क्योंकि उन्होंने तीन वर्ष का कोर्स 2 वर्ष में ही विशेष योग्यता के साथ पास किया था। ज़ब वो पत्र उन्होंने नेहरूजी को दिया तो नेहरूजी ने डॉ. के.आर. नारायणन को भारतीय विदेश सेवा (IFS) के तहत भारत का राजदूत नियुक्त किया!
भारतीय विदेश सेवा से रिटायर होने पर उन्हें J.N.U. का कुलपति बनाया गया!
डॉ. के.आर. नारायणन सन 1992 से 1997 तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे। उसके बाद वे 25 जुलाई 1997 को भारत के राष्ट्रपति बने !
*विशेष योग्यता की मिशाल :-*
1. सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों के नियुक्ति के समय उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बिना हस्ताक्षर किये एक फाइल यह कहते हुए वापस कर दी थी कि 10 न्यायाधीशों के इस पैनल में एक भी SC/ST का जज क्यों नहीं है? उनके तेवर देखकर सरकार में हड़कंम मच गया था। तब के.जी. बालकृष्णन को मुख्य न्यायधीश बनाया गया जो अनुसूचित जाति के पहले मुख्य न्यायाधीश बने। इस व्यवस्था को मूलनिवासी कभी भी भूल नहीं सकते। वे भी केरल के ही थे!
2. दूसरा कड़ा कदम तब उठाया जब उन्होंने वाजपेयी सरकार के सावरकर को भारत रत्न देने के प्रस्ताव को वापस कर दिया!
3. तीसरा कड़ा कदम तब उठाया जब उन्होंने वाजपेयी सरकार द्वारा बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव ख़ारिज कर दिया!
ऐसे महामहिम की आज सख्त जरूरत है। ऐसे महान पुरुषों को उत्तर भारत के SC/ ST और OBC के लोग जानते तक नहीं!
*जो समाज अपना इतिहास नहीं जानता, वह जिंदगी भर दूसरों की गुलामी करता है!*
ऐसे महान शख्सियत को उनकी 16वीं पुण्य तिथि पर कोटि कोटि नमन।
*जय भीम जय संविधान*
Comments
Post a Comment