सामाजिक परिवर्तन के महानायक

सामाजिक परिवर्तन के महानायक मान्यवर श्री कांशीराम साहब के 15 वे परिनिर्वाण दिवस 9 अक्तूबर 2021 की संध्या पर कोटी कोटी नमन् एवं विनम्र श्रद्धांजलि💐💐💐

#कांशीराम #जी #की #कलम #याद #है
अपने कैडर में मान्यवर कांशीराम एक बहुत दिलचस्प किस्सा बताते थे. और इस किस्से के जरिए तमाम लोग मान्यवर की बात को समझ जाया करते थे. असल में मान्यवर कांशीराम जिन लोगों के बीच काम कर रहे थे, जिन्हें जगा रहे थे उसका बहुसंख्यक हिस्सा गरीब और कम पढ़ा-लिखा था. उन्हें उनकी ही भाषा में समझाना जरूरी था, तभी वो कांशीराम जी की बात समझ पाते.

इस लिहाज से कांशीराम जी ऐसे-ऐसे किस्से ढूंढ़ लाते, जिससे बहुजन समाज के लोग उनकी बात आसानी से समझ जाते. जैसे बाबासाहेब को वह टाई वाले बाबा कहते थे तो ऐसे ही ज्योतिबा फुले को पगड़ी वाले बाबा कह कर संबोधित किया करते थे. जब वो बहुजन समाज को इनके बारे में बताते तो ऐसे संबोधन सुनकर सभी लोग तुरंत समझ जाते कि आखिर मान्यवर किसके बारे में बात कर रहे हैं.

इसी तरह से कांशीराम जी एक कलम के जरिए भी अपनी बात बताते थे. हाथ में कलम लिए उनकी वह फोटो काफी चर्चित है. कांशीराम जी यह पूछते कि कलम चलती कैसे है, लोग बताते कि स्याही या फिर लीड से कलम चलती है. फिर कांशीराम जी उनसे यह पूछते थे कि दिखता क्या है, जाहिर सी बात है मौजूद लोग पेन के कवर को बताते थे. मान्यवर लोगों को यह समझाते थे कि पेन का काम लिखना होता है और लिखने का काम पेन की लीड करती है. यानि कि अगर पेन का कवर न हो तो भी पेन लिखता रहेगा. वह समझाते कि असली ताकत दिखने वाले कवर में नहीं बल्कि लिखने वाली स्याही में है.

मान्यवर कांशी राम साहब ने कलम दर्शन समझाते हुए कहा था की कलम का बड़ा हिस्सा यानी पचासी परसेंट काम करता है. असली ताकत उसके पास है, ऊपर का 15 परसेंट सिर्फ दिखावे के लिए है. जब पचासी पर्सेंट काम करता है तो 15 परसेंट हिस्सा उसके सिर पर सवार हो जाता है और अपनी हुकूमत का एहसास कराता है.

इसे वह बहुजन समाज से जोड़ते हुए कहते थे कि देश के 85 फीसदी मेहनतकश लोग ही देश की असली ताकत हैं. ताकत होते हुए भी वह लाचार हैं, जबकि 15 फीसदी लोगों के पास सारी ताकत है और उनका सत्ता पर कब्जा है. मान्यवर की ऐसी ही परिभाषाओं ने बहुजन समाज को उसकी ताकत का अहसास कराया, जिसके बूते बहुजन समाज सत्ता के शिखर तक पहुंच सकी...!!!
Vidrohi Sagar Ambedkar 
Sagar Gautam Nidar

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