पैर छूने का रिवाज मतलब गुलाम पैदा करना

पैर छूने की रिवाज़ प्राथमिक उपाय है तुम्हें ग़ुलाम बनाने का......
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दुनिया के किसी भी देश में पैर छूने की रिवाज़ नहीं है फ़िर भारत में क्यों....? किसी बच्चे को उसके माता पिता अपने पैरों में न झुकाएं तो बड़ा होकर वह किसी के पैरों में नहीं झुकेगा l अगर कोई दूसरा उसे अपने पैरों में झुकाना चाहेगा तो वह मना कर देगा l अगर उससे जबर्दस्ती की जाएगी तो वह क्रांति करेगा l वे इस बात को जानते थे l उन्हें इस देश के लोगों को ग़ुलाम बनाना था l इसके लिए जरूरत थी यहाँ के लोग बगैर क्रांति किए उनके पैरों में अपना सिर रख दें l 
वे सीधे ऐसा नहीं कर सकते थे l इसलिए उन्होंने हमारे घरों में "पैर छूने की रिवाज़" डाली l उन्होंने पैर छूने को बड़ों के सम्मान से जोड़ दिया l लोग अपने पुत्रों को शिशु अवस्था से ही पैर छूने का प्रशिक्षण देने लगे l जो लड़का बचपन से ही किसी के पैरों में झुकता आया हो, उसके लिए दूसरों के पैरों में अपना सिर रखना कोई बड़ी बात नहीं रही l जवान होकर वह अब आसानी से उनके पैरों में झुकने लगा l बगैर किसी क्रांति के उन्हें ग़ुलाम मिल गया l
        अब उन्हें अपनी उम्र से बड़े लोगों को भी अपने क़दमों में गिराना था l इसके लिए उन्होंने हमारे लोगों को समझाया कि कुछ संबंध ऐसे होते हैं जिनके पैर छूने चाहिए l इसके लिए उन्होंने घर की बेटी को पूजनीय बताया और भाइयों से कहा बहन चाहे तुमसे छोटी हो तब भी उसके पैर छूने चाहिए l साथ ही बताया कि जब बहन की शादी हो जाए तो तुम्हें उसके पति के भी पैर छूना है l बचपन से जिस भाई ने अपनी छोटी बहन के पैर छुए हों वह आसानी से उसके पति के क़दमों भी झुक जाता है l उन्होंने जैसा कहा हमारे लोगों ने वैसा किया l अब उनके लिए अपनी उम्र से बड़े लोगों को अपने क़दमों में सिर रखवाना बेहद आसान हो गया l 
इससे उनका एक काम और बना l पैर छूने की रिवाज़ से अंतरजातीय विवाह भी मुश्किल हो गए l कोई भी जाति दूसरी जाति के क़दमों में झुकना नहीं चाहती l अगर कोई लड़की किसी दूसरी जाति के लड़के से शादी कर लेती तो पूरी जाति के लिए इज्ज़त का सवाल हो जाता l उन्हें दूसरी जाति के लोगों के क़दमों में झुकना न पड़े इसलिए वे ऐसी लड़कियों की हत्या करने लगे l
उन्होंने हमारे लोगों को ग़ुलाम बनाने के लिए ताकत नहीं दिमाग़ का इस्तेमाल किया है l ग़ुलाम बनाने के लिए उन्होंने जो उपाय बनाए उन्हें रीति रिवाजों के रूप में हमारे घरों में घुसेड़ दिया l अब हमारे लोगों को गुलाम बनाने के लिए उन्हें कोई काम नहीं करना पड़ता l न किसी विरोध का सामना करना पड़ा और न ही किसी क्रांति को झेलना पड़ा l
हम ख़ुद ग़ुलाम बनाते हैं अपने बच्चों को.......
आप भी समझो इस बात को l हमारे बच्चों को ग़ुलाम बनाने की मशीन उन्होंने हमारे घरों में लगा रखी है और हम सब लगातार उस मशीन से ग़ुलाम तैयार कर रहे हैं l उनके लिए ::::::::::


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