पेरियार ई वी रामस्वामी :-
*17,सितंबर,1879*
*वो थे इसलिए आज हम है |*
*इतिहास के पन्नों से*
_____________________________________
*💥बहुजन नायक,द्रविड़ राजनीति के मसीहा,समता समानता का पाठ पढ़ाने वाले बहुजन जनक्रांति के पुरोधा,युग पुरूष,तमिल राष्ट्रवादी,राजनेता,पाल गड़रिया बहुजन समाज में जंन्में महायोद्धा,पांखडवाद के विनाशक,सामाजिक क्रांति के पुरोधा,सामाजिक कार्यकर्ता,भारत के सुकरात,मानवता के प्रचारक भेदभाव पांखडवाद के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाले पेरियार ई.वी. रामास्वामी की जंयती की हार्दिक बधाईयां एवं मंगलकामनाएं |*
*‘‘सम्मानित साथियों पेरियार का अर्थ तमिल भाषा में बड़ा या सम्मानित व्यक्ति होता है |*
‘‘जब जरूरत थी चमन को तो लहू हमने दिया अब बहार आई तो कहते हैं तेरा काम नहीं |
_____________________________________
*💥तमिलनाडु की सामाजिक और राजनीतिक बनावट पर ईवी रामास्वामी यानी पेरियार का असर कितना गहरा है, इसका एक अंदाजा इससे भी लग सकता है कि साम्यवाद से लेकर दलित आंदोलन, तमिल राष्ट्रवाद, तर्कवाद और नारीवाद तक हर धारा से जुड़े लोग उनका सम्मान करते हैं | सम्मान ही नहीं करते बल्कि उन्हें मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं | उन्हें एशिया का सुकरात भी कहा जाता है |*
_____________________________________
पेरियार को अपने वक्त से आगे का आदमी भी कहा जाता है. यह महिलाओं की स्वतंत्रता को लेकर उनके विचारों से भी जाना जा सकता है. उन्होंने बाल विवाह खत्म करने, विधवा महिलाओं को दोबारा शादी का अधिकार देने, शादी को पवित्र बंधन की जगह साझीदारी के रूप में समझने जैसे तमाम मुद्दों पर अभियान चलाए. अपने भाषणों में वे लोगों से कहा करते थे कि वे कुछ भी सिर्फ इसलिए स्वीकार न करें कि उन्होंने वह बात कही है. *पेरियार का कहना था, ‘इस पर विचार करो. अगर तुम समझते हो कि इसे तुम स्वीकार सकते हो तभी इसे स्वीकार करो, अन्यथा इसे छोड़ दो.’*
अपनी राजनीतिक आवाज को धार देने के लिए पेरियार ने 1938 में जस्टिस पार्टी का गठन किया. फिर 1944 में इसे भंग करके उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) बनाई. कांग्रेस को तमिलनाडु से बाहर करने का पेरियार का सपना 1968 में पूरा हुआ जब डीएमके ने पहली बार राज्य में सरकार बनाई. _____________________________________
💥*साथियों यूनेस्को ने अपने उद्धरण में उन्हें ‘नए युग का पैगम्बर, दक्षिण पूर्व एशिया का सुकरात, समाज सुधार आन्दोलन के पिता,अज्ञानता,अंधविश्वास और बेकार के रीति-रिवाज़ का दुश्मन’ कहा |*
*मृत्योपरान्त यूनेस्को ने जो शील्ड प्रदान किया उस पर पेरियार, अर्वाचीन विचारो के प्रणेता, दक्षिण पूर्व एशिया के सोक्रेटिस, सामाजिक क्रांति के प्रणेता और अज्ञानता, अंधविश्वास,अर्थविहीन रीतिरिवाजों के कट्टर दुश्मन 27/6/1970, यूनेस्को अंकित है इस अवार्ड द्वारा ई.वी .रामास्वामी की उपलब्धियों और प्रयासों को यूनेस्को ने मान्यता प्रदान किया है |*
पेरियार-जातिवादियों,सांमतवाद के ठेकेदारों की नींव हिला देने वाले महान शख्सियत |
_____________________________________
*💥तमिलनाडु में जातिवादियों,सामंतवाद&धर्म के ठेकेदारों के सामाजिक,सांस्कृतिक और राजनीतिक वर्चस्व को तोड़ने में पेरियार की मुख्य भूमिका रही है। जीवन के सभी क्षेत्रों में उन्होंने बहुजनों को उनका हक दिलाया |* पेरियार ई.वी. रामास्वामी जी अपने भाषणों में वे लोगों से कहा करते थे कि वे कुछ भी सिर्फ इसलिए स्वीकार न करें कि उन्होंने वह बात कही है. पेरियार का कहना था, ‘इस पर विचार करो. अगर तुम समझते हो कि इसे तुम स्वीकार सकते हो तभी इसे स्वीकार करो, अन्यथा इसे छोड़ दो |
*‘‘आज बहुजन नायक इरोड वेंकट नायकर रामासामी की जंयती है जिन्होंने दक्षिणी भारत में बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी के आंदोलन को उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर लड़ा |*
_____________________________________
*💥शोषित व पिछड़ों की आवाज थे पेरियार ई.वी. रामास्वामी पेरियार ई.वी. रामास्वामी जी के योगदान को झुठला नहीं सकता है समाज लोग आज भी उन्हें ऐसे मुक्तिदाता के रूप में याद करते है जो शोषित समाज के आत्मसम्मान तथा हित के लिए अंतिम साँस तक लड़े |*
दक्षिण भारत में शोषितों,वंचितों,पिछड़ो के हकों के लिए लड़ने वाले पेरियार ई.वी.रामास्वामी नायकर का जन्म *दक्षिण भारत के ईरोड (तमिलनाडु) नामक स्थान पर 17 सितम्बर 1879 ई. को हुआ था। इनके पिताजी का नाम वेंकटप्पा नायकर तथा माताजी का नाम चिन्नाबाई था |* वर्णव्यवस्था के अनुसार शूद्र, वेंकटप्पा नायकर एक बड़े व्यापारी थे। धार्मिक कार्यों, दान व परोपकार के कार्यों में अत्यधिक रुचि रखने के कारण उन्हें उस क्षेत्र में अत्यधिक सम्मान प्राप्त था |पेरियार रामास्वामी नायकर की औपचारिक शिक्षा चौथी कक्षा तक हुई थी। 10 वर्ष की उम्र में उन्होंने पाठशाला को सदा के लिए छोड़ दिया। पाठशाला छोड़ने के पश्चात वे अपने पिताजी के साथ व्यापार के कार्य में सहयोग करने लगे। इनका विवाह 19 वर्ष की अवस्था में नागम्मई के साथ सम्पन्न हुआ |
_____________________________________
*‘‘प्यार से लोग उन्हें लोग “पेरियार” कह के बुलाते थे पेरियार एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘द ग्रेट मैन’ यानि महान व्यक्ति. ई.वी. रामास्वामी को यह उपाधी वहां के शूद्रों एवं अस्पृश्य समाज के लोगों ने उनके आंदोलन से प्रभावित होकर दी थी |*
*💥उत्तर भारत के लोगों का साक्षात्कार पेरियार से पहली बार 1968 में ललई सिंह यादव द्वारा लिखी गई ‘सच्ची रामायण’ से होता है |* 1978 के पश्चात बहुजन महानायक मान्यवर कांशीराम ने उत्तर भारतीयों को ही नहीं ई.वी. रामासमी पेरियार को बामसेफ के माध्यम से एक समाज सुधारक के रूप में बहुजन समाज (अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति एवं कंनवर्टेड माइनॉरिटी) के बीच में स्थापित किया | अपनी सामान्य जनता को समझाने के लिए मान्यवर उनको ‘दाढ़ी वाला बाबा’ कह कर बुलाते थे | *पेरियार मान्यवर कांशीराम द्वारा स्थापित पांच समाज सुधारकों,नारायणा गुरु, जोतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज,पेरियार ई.वी.रामासमी नाइकर एवं बाबासाहेब अंबेडकर जी में से एक थे | पेरियार ई.वी. रामास्वामी ने तर्कवाद,
आत्मसम्मान और महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर जोर दिया और जाति प्रथा का घोर विरोध किया |*
_____________________________________
*💥पेरियार ई.वी. रामास्वामी जी के द्वारा शोषित,वंचित,पिछड़े लोगों के लिए चलाए गये दो महत्वपूर्ण आंदोलन |*
*1-वायकोम सत्याग्रह केरल.राज्य के वायकोम कस्बे में हालत इतनी खराब थी कि दक्षिण भारत के कई मंदिरों में निचली,शुद्र जातियों के लोगों को प्रवेश तो दूर उन्हें पास की सड़कों पर भी नहीं आने दिया जाता था वाईकॉम आन्दोलन का नेतृत्व भी स्वीकार किया उनकी पत्नी तथा दोस्तों ने भी इस आंदोलन में उनका साथ दिया। केरल में छूआछूत की जड़ें काफ़ी गहरी जमीं हुई थीं। यहाँ सवर्णों से अवर्णों को 16 से 32 फीट की दूरी बनाये रखनी होती थी। अवर्णों में में ‘एझवा’ और ‘पुलैया’ अछूत जातियाँ शामिल थीं |*
2-आत्मसम्मान आंदोलन पेरियार जी और उनके समर्थकों ने समाज से असमानता कम करने के लिए अधिकारियों और सरकार पर सदैव दबाव डाला। ‘आत्म सम्मान आन्दोलन’ का मुख्य लक्ष्य था द्रविड़ों को उनके सुनहरे अतीत पर अभिमान कराना | *सन 1925 के बाद पेरियार ने ‘आत्म सम्मान आन्दोलन’ के प्रचार-प्रसार पर पूरा ध्यान केन्द्रित किया। आन्दोलन के प्रचार के एक तमिल साप्ताहिकी ‘कुडी अरासु’ (1925 में प्रारंभ) और अंग्रेजी जर्नल ‘रिवोल्ट’ (1928 में प्रारंभ) का प्रकाशन शुरू किया गया। इस आन्दोलन का लक्ष्य महज ‘सामाजिक सुधार’ नहीं बल्कि ‘सामाजिक आन्दोलन’ भी था |*
_____________________________________
*बाबा साहेब अम्बेडकर जी की पुस्तक ‘एनीहीलेशन आफ कास्ट‘ का तमिल अनुवाद प्रकाशित किया। यह इस पुस्तक का पहला अनुवाद था। अन्य भारतीय भाषाओं में इसका अनुवाद काफी बाद में हुआ सन् 1920 के दशक के उत्तरार्ध से ही पेरियार के साथी पत्रकारों ने बाबासाहेब के आंदोलनों पर नजर रखी और उन पर रपटें प्रकाशित कीं, जिनमें आंबेडकर के दृष्टिकोण का समर्थन किया गया और उनकी प्रशंसा की गई |*
_____________________________________
💥शोषित समाज को जागृत करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा सामाजिक क्रांति के महानायक शोषित पिछड़ों के सच्चे मशीहा पेरियार ई.वी.रामास्वामी जी अमर रहें,मैं सागर गौतम पेरियार ई.वी. रामास्वामी जी को कोटि-कोटि नमन करता हूं |
*पेरियार ई.वी. रामास्वामी जी ऐसे योद्धा का नाम है, जिसने शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद की और उपेक्षितों को उनका हक दिलाने के लिए जीवन समर्पित कर दिया |*
जातिगत भेदभाव पांखडवाद को बढाने वालों के खिलाफ वास्तविक और ठोस लड़ाई छेड़ने वालों में पेरियार ई.वी. रामास्वामी जी का उल्लेखनीय नाम है,बहुजनों के इस अप्रितम योद्धा को नमन ऐसे *महामानव, जन्मजात क्रांतिकारी को एक क्रांतिकारी को मेरा नीला सलाम. कोटि-कोटि नमन करता हूँ मै सागर गौतम जनपद इटावा उत्तर प्रदेश
_____________________________________
"{विशेष साभार-: बहुजन समाज और उसकी राजनिति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट,दलित दस्तक,लेखक विकिपीडिया,समयबुद्धा,फारवर्ड प्रेस,बीबीसी न्यूज}
शोषित समाज को जागृत करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा |
_____________________________________
— विशेष साभार-बहुजन समाज और उसकी राजनिति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट,दलित दस्तक,लेखक विकिपीडिया,फारवर्ड प्रेस,बीबीसी न्यूज}
*— साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए —*
— साथियों आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है,समानता का अधिकार है तो यह सिर्फ और सिर्फ परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है.भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा.इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूं। सामाजिक न्याय के पुरोधा तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं
*— जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान —*
— सच अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है, कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है ! इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास दबा है —
*―मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया —*
―इसका पूरा श्रेय मान्यवर कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए !
— ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो —
*―साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है —*
—– साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था ——
―तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !
*―साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो"*
―सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !
―सभी अम्बेडकरवादी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम! सप्रेम जयभीम !!
―बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है !”
*― इसलिए मैं सागर गौतम जनपद- इटावा उत्तर प्रदेश आप लोगो को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा हूं जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे, सकते हैं !*
―पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है —
— इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए —
*―उन तमाम बहुजन नायकों को मैं सागर गौतम जंनपद :- इटावा उत्तर प्रदेश कोटि-कोटि नमन करता हूं !*
जय रविदास
जय कबीर
जय भीम
जय नारायण गुरु
जय ज्योतिबा फुले
जय सावित्रीबाई फुले
जय माता रमाबाई अम्बेडकर
जय ऊदा देवी पासी
जय झलकारी बाई कोरी
जय बाबा तिलका मांझी
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर
जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी
जय कर्पूरी ठाकुर
जय पेरियार ललई सिंह यादव
जय मंडल
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी, स्वाभिमान से जीना सिखाया |
____________________________
Comments
Post a Comment