वो कंस नहीं कनिष्क थे :- 26 /9/2018
*वह कंस नहीं, महान बौद्ध सम्राट कनिष्क था*
हमें पढाया गया कि कृष्ण का मामा कंस था और कंस अपने बहन के बच्चों को मार देता था। भला ऐसा कौन मामा होगा जो भानजों को मारे? खैर,आखिर मथुरा के राजा कंस की हत्या हुई, मथुरा में विद्रोह हुआ कृष्ण को द्वारका भागना पड़ा, यह है पौराणिक कथा जिसे खींच तान कर पौराणिक ग्रंथों के कई अध्याय भर दिए गए हैं.
127 ईसवी में महान बौद्ध सम्राट कनिष्क सम्राट हुए उन्होंने मथुरा को राजधानी बनाई ।चौथी अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संगीति (कॉन्फ्रेंस) इसी महान सम्राट ने करवाई 147 ईसवी के आसपास इस सम्राट की हत्या हुई , जनता में विद्रोह हुआ । सुख सम्पदा से भरपूर मथुरा को बर्बाद कर दिया गया। आज कुषाण सम्राट कनिष्क की जितनी भी मूर्तियां मथुरा से मिली हैं ज्यादातर खंडित हैं और भारत मे सबसे ज्यादा बौद्ध शासको व बुद्ध की मूर्तियां मथुरा के म्यूजियम मे अग्रेजों ने सुरक्षित रखी।इससे कनिष्क की लोकप्रियता व शासन की विशालता का अंदाजा लगाया जा सकता है।मजेदार बात यह है कि खुदाई में कृष्ण के जीवन की कोई निशानी नहीं मिली।
क्या आपको दोनों घटनाओ में कुछ समानता नजर आई ?
अगर समानता नजर नही आई तो बाबा साहेब अंबेडकर के इस कोटेशन को समझिए कि "भारत का इतिहास श्रमणों और ब्राह्मणों के संघर्षों के सिवाय कुछ नही है"
सच्चाई यह है कि मथुरा का पौराणिक कंस ही मथुरा का बौद्ध राजा कनिष्क था ।जिसे गद्दी से हटाने के लिए उसी के परिवार के सदस्य की सहायता ली गई और आठवी सदी के बाद लिखे गये पौराणिक ग्रंथों में उसे विष्णु के अवतार कृष्ण के रूप में घोषित कर दिया गया,कई तरह की कहानियां गढी गई , बौद्ध ग्रंथ धम्म पद से कई पद चुरा कर गीता में डाले गये और आज कृष्ण नाम पर कितना धार्मिक अंधविश्वास व लूट का जाल फैला रखा है वह आपके सामने है।
नमो बुध्दाय जय भीम 🐘
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