नंगेली

मैं ऐसी जाति व्यवस्था के बहिष्कार का समर्थक हूं,
जान देकर क्रूर "स्तन कर  " (ब्रेस्ट टैक्स) प्रथा  खत्म कराने वाली दलित महिला नानगेली  का दास्तान   
         समाज में   बदलाव लाने और महिला के जीवन को बेहतर बनाने के लिए "ब्रेस्ट टैक्स "  प्रथा के विरोध में दलित महिला नानगेली ने अपने प्राण न्यौछावर कर दी। आजादी से पहले दक्षिण भारत में एक रियासत थी  त्रावणकोर। 1749 से 1949 ई तक इस रियासत का विस्तार केरल से तमिलनाडु के कई हिस्सा तक था। इसी त्रावणकोर में महिलाओं को खासकर दलित महिलाओं को राजा के आदेश पर स्तन ढकने की इजाजत नहीं थी। यह एक प्रथा थी, रिवाज था। त्रावणकोर में जातिवाद की जड़े बहुत गहरी थी और निचली  जातियों की महिलाओं को उनको अपनी स्तन नहीं ढकने का आदेश था। उल्लंघन करने पर उन्हें " स्तन कर " यानी  "ब्रेस्ट टैक्स" देना पड़ता था।  नानगेली एक गरीब परिवार की दलित महिला थी। वह  "स्तन कर " देने में असमर्थ थी। जब टैक्स अधिकारी "ब्रेस्ट टैक्स" लेने के लिए नानगेली  के घर गया। तो इस टैक्स के विरोध में  नानगेली ने क्रान्तिकारी कदम उठायी । उन्होंने अपने दोनों स्तनों को  काटकर एक केले के पत्ते पर रखकर उस टैक्स अधिकारी के सामने रख दी। टैक्स अधिकारी यह देखकर भाग गया। खून से लथपथ   नानगेली ने वही दम तोड़ दी। नानगेली की मौत की खबर  आग की तरह चारों तरफ फैल गयी। नादर समुदाय"शूद्र जाति "ने इस टैक्स के खिलाफ विरोध शुरु कर दिये।  फलस्वरूप   त्रावणकोर  के राजा को इस क्रूर टैक्स को समाप्त करना पड़ा। यही है भारत में वर्ण व्यवस्था। भारत में वर्ग संघर्ष से  पहले वर्ण संघर्ष की जरूरत है l भारत में अमीर- गरीब की खाई को पाटने से पहले वर्ण व्यवस्था जिसमे  ऊँच- नीच  का भेद भाव है उसको समाप्त करने की जरुरत है तभी देश का  सर्वांगीण विकास होगा।  नानगेली को शत- शत नमन और श्रद्धांजलि।

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