सर्व जन नीति यही बुद्ध का धम्म है

बहनजी की सर्वजन नीति यह बुध्द धम्म का ही एक प्राथमिक स्वरूप है 

(आर्टिकल थोड़ा बड़ा है, आराम से पढ़ने की कोशिश कीजिये, कुछ गलत लगा तो कॉमेंट्स बॉक्स में अपनी बातें रखे)

पिछले कई दिनोंसे मनुवादी लोग और खासकरके बहुजन समाज में जन्मे मनुवादी जातिवादी चमचे "सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय" को लेकर बहन मायावतीजी पर अर्थहिन् आरोप करके बहुजन समाज के बिच फिरसे मनुवाद को बढ़ावा देने की कोशिस करते रहते है, जिससे समाज में भ्रम की स्थिति निर्माण होती है। 

🌀आज तक जितनी भी ब्राम्हणवादी सरकारे बनी है, उन्होंने जाती वर्ण वर्ग के आधार पर भेदभाव करके अपने अपने समाज का विकास किया.. लेकिन महान बौद्ध उपासिका बहन मायावतीजी जब देश के सबसे बड़े सुबे की मुख्यमंत्री बनी तो, बहन मायावतीजी ही इस देश की एक अकेली ऐसी नेत्री है जिसने अपने सरकार का स्लोगन *"सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय"* रखा, जो पुरी तरह से तथागत बुद्ध के धम्म मापदंडो पर खरा उतरता है.. बहन मायावतीजी के इस नीती के  कारण जातीव्यवस्था पर कड़ा प्रहार पड़ा और ब्राम्हणवादियों में खलबली मच गई है. क्योंकि आने वाले समय में इसी निति की, इस देश की बहुसंख्यक जनता मांग करेंगी। क्यू की तथागत बुध्द का धम्म यह कोई विशिष्ट वर्ग, वर्ण, जातियोंको ही लाभ पहुंचाने के लिये नहीं, बल्कि इस देश के और दुनिया के समस्त मानव जाती के कल्याण के लिए है। 

🌀बाबासाहेब कहते थे, "तथागत बुद्ध के धम्म आंदोलन के वजह से ही इस देश में शूद्रों को राजा बनने का अधिकार प्राप्त हुआ था।" और इस देश के ब्राम्हणवादी नहीं चाहते है की, बहनजी के सर्वजन निति के तहत एससी, एसटी, ओबीसी इस देश के हुक्मरान बने, इसलिये ब्रम्हणवादियोने बहन मायावतीजी को बुद्धविरोधी घोषित करने के लिये और बदनाम करने के लिये बहुजन समाज में जन्में मुलनिवासी, दलित, बहुजन, रिपब्लिकन्, समाजवादी जैसे नाम धारण करनेवालों  चमचों का सहारा लेकर ऐसा भ्रामक प्रचार किया की, "मायावती ने ब्राह्मणों के कहने पर तथागत बुद्ध के बहुजन हिताय बहुजन सुखाय इस विचार को सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय में परिवर्तीत किया.." 😃😃😃

🌀बाबासाहेब डॉ आंबेडकरजी ने भी अपनी रिपब्लिकन स्क्रिप्ट में 4 थे नम्बर की कलम में लिखा है की, *"हर भारतीय को समान अवसर प्रदान होंगे, लेकिन जिन लोगो ने समान अवसर का लाभ उठाया है, और जो लोग समानता के अधिकार से वंचीत है, उन लोगोंको समान अवसर का लाभ उठाने के लिए पहले प्राथमिकता होगी, इसका समर्थन हमारी पार्टी करेगी।"*

🌀बाबासाहेब के इसी विचारोको साक्ष मानकर बहन मायावतीजी ने भी कई बार कहा है की, "सर्वजन निति के तहत उन समुदाय का सबसे पहले विकास किया जाएगा जो समुदाय हजारों साल से मनुवाद का सबसे जादा शिकार वर्ग रहा। इसके साथ ही बाबासाहेब ने अपनी 9 वे नम्बर की प्रतिज्ञा में कहा है की, "सभी मनुष्य प्राणी समसमान है, ऐसा मैं मानता हु"। बाबासाहेब के 9 वे नम्बर की प्रतिज्ञा को साकार करने के लिए बहन मायावतीजी ने अपने बौद्ध शासन के दौरान सम्राट अशोक की तरह ही अपने सरकार में सभी विभागों को आदेश दिए की वो "सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय" के निति पर चले कोई भी विभाग राज्य के लोगोंके साथ जातीय भेदभाव नहीं करेंगा। और जो लोग मनुवाद के आधार पर सबसे जादा पीड़ित है उन लोगो के कल्याण को पहले प्राथमिकता दे।

🌀साथियों, अपने प्रथम धम्मचक्र प्रवर्तन सुत्त में ही तथागत बुद्ध ने अर्हत भिक्खुओं को यह  उपदेश दिया था की, *"चरथ भिक्खवे चारिक बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय, "लोकानुकम्पाय अत्थाय हिताय-सुखाय" देव मनुस्सानं, देसेथ भिक्खवे धम्म आदि कल्याणं मज्झकल्याणं परियोसानकल्याणं.."

🌀तथागत ने अपने अर्हत भिक्खुओं को बहुजन हिताय - बहुजन सुखाय के साथ *"लोकानुकम्पाय अत्थाय हिताय-सुखाय" की भी जिम्मेदारी दी थी। इसके अलावा "देव मनुस्सान"*भी कहा है..  इसमें उन्होंने अर्हत भिक्खुओं को भी जनकल्याण के लिए जन-जन तक जाने की अनुमति दी थी. तथागत की चाहत यह थी की, उनका धम्म संसार के जादा से जादा लोगों तक पहुंचे.. उनके धम्म के कारण संसार के जादा से जादा लोगों का कल्याण और हित साध्य हो.. इसी को संक्षिप्त भाषा मे  *बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय* कहा गया। यह कोई मात्र विचार ही नहीं थे, बल्कि तथागत बुद्ध द्वारा अर्हत भिक्षुओं को दी गयी एक बड़ी और कठीन जिम्मेदारी थी। 

🌀यहाँ तक की, तथागत बुद्ध ने अर्हत भिक्षुओं से यह कहा की उनका धम्म देवी-देवताओं (देव मनुस्सान) तक भी पहुंचाये, (जिनकी मान्यता वैदिकों में थी)  इसके लिये तथागत बुद्ध स्वयं भी जनकल्याण के लिए चल पड़े थे.. इस प्रचार में  उन्होंने किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया है.. उनके लिए सभी मानव प्राणी समसमान है.. तथागत बुद्ध को जन्म, वर्ण, जाति, वंश और वर्ग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव, ऊंच-नींच का व्यवहार अमान्य था. इसका अर्थ यह है की, तथागत बुद्ध सिर्फ किसी विशिष्ट वर्ण, वर्ग या जाती का हित नहीं चाहते थे, बल्कि तथागत बुद्ध *सर्वजनों* का हित चाहते थे.. चाहे वह अमिर हो. या चाहे वह गरीब हो.. उनका धम्म सर्वजनों के लिये समसमान ही है.. 

इसलिये तथागत बुध्द ने समानता पर आधारित मानविय संवेदनाओं और संवेदनशीलताओं पर स्थापित नए समाज के निर्माण के लिए अपने धम्म और दर्शन की स्थापना की. इसी  तत्त्व पर चलते हुए बहुजन समाज पार्टी ने अपने सरकार के तहत *सर्वजन हिताय..सर्वजन सुखाय* के तहत एक नये समाज का निर्माण करने जा रही है.. जिसमें सभी मनुष्य समान हो.. और यही बाबासाहब डॉ. आंबेडकरजी की भी चाहत थी...
*जयभीम नमोबुद्धाय*

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