बसपा का संदेश :-
बसपा का संदेश!
✍️ Vidrohi Sagar Ambedkar
बसपा का विरोध करने वाले बहुजनों व बसपा के बारे में लिखने वालों से यह कहना चाहता हूं की सारे बहुजन एक हो अपने आसपास शिक्षित करें संगठित रहें वह अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करें॥ अपनी सामाजिक व संवैधानिक लड़ाई जारी रखें, मान्यवर कांशी राम कहा करते थे कि "सामाजिक क्रांति के बिना राजनैतिक क्रांति अधूरी है"|
चर्चा अक्सर होती है कि उत्तर प्रदेश की बसपा में बहुजन की जगह सर्वजन शब्द का प्रयोग, तो मेरा मानना है कि हर राजनीतिज्ञ अपनी अनुसार; नया के नाम पर कुछ शब्द गढ लेता है बहन जी भी गढ ली होंगी ऐसा नहीं बहुजन की तरह सर्वजन भी उचित है
जिस तरह बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने संविधान मै हर जाति धर्म और मजहब के लोगों का खयाल रखा सबको बराबर अधिकार दिये वही अगर बहिन जी ने दोहराया तो कोई अनर्थ नहीं कर दिया मेश्राम, बरैया, मानकर, और मिरगी के मरीज जो नवें नेता बने हैं बाबा साहब के ज़माने मै होते तो इन्डिया गेट पर कोंग्रेस
की जगह खुद पुतले जलाते क्योंकी सबका भला इनको रास नहीं आता बस अपनी मुछों की एंठन अच्छी लगती है 👈
और रही बात 👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
सतीश मिश्रा जी जिसे अन्य बहुजन बसपाई "विभीषण" तक का नाम दे दिया है कुछ देर के लिए मान भी लिया जाए की विभीषण हैं|
अब प्रश्न उठता है कि सर्वजन व सतीश मिश्रा शब्द से हमें कितना नुकसान हुआ है? तो हमारी समझ से जितना नुकसान 'सर्वजन शब्द' व 'सतीश मिश्रा' नहीं किए हैं; उससे कहीं ज्यादा नुकसान कुकुरमुत्ता की तरह उगने वाले बसपाई नेता व बसपा को तोड़कर गठित अन्य बसपा संगठन किये है| काश ये सभी अपने क्षेत्र में यदि सामाजिक क्रांति किए होते तो वह ऐसे ही हमारे समाज के नेता बन गए होते लेकिन यह कुकुरमुत्ते बसपाई कभी बाबा साहब के नाम पर तो कभी कांशी राम के नाम पर समाज को संदेश देते हैं, हल्ला मचाते, चिल्लाते हैं, "संगठित रहो, संघर्ष करो" लेकिन जैसे ही कुछ वोट बढ़ जाता है चुनाव के समय बसपा के विरोधी गोल में चुपचाप बैठ जाते हैं गुपचुप तरीके से बैठ जाते हैं वह कमाई कर लेते हैं जिसे कांशी राम साहब ने "चमचा" का नाम दिया था| जितना सतीश मिश्रा बुरा नहीं करते उससे कहीं ज्यादा यह विभीषण बसपाई घर की लंका को ही ढाह देते हैं वही इसके उदाहरण आप अपने आसपास नगर पालिका लोकसभा विधानसभा के चुनाव में आए दिन दिख जाएंगे| जिस बहुजन की बात करते हैं हैं यह लोग अपने को हजार से दो हजार रुपए में बेच देते हैं इन्हें अपने वोट की कीमत ही समझ में नहीं आती है, और अपने वोट के साथ ही साथ पूरे परिवार वह समाज का वोट बिक जाता है ऐसा हर चुनाव में होता है। ऐसा बाबा साहब के जमाने से ही समाज को धोखा देते आ रहे हैं|
व्हाट्सएप पर जितने लोग जुड़े हैं वह जितनी बातें होती है उसमें कितने प्रतिशत वास्तविक रुप से जागरूक है। उसमें सिर्फ बांटने का काम होता है। उसका 50% भी लोग यदि वास्तविक रूप से जागरूक हो जाए सामाजिक वह राजनीतिक जीवन में इस्तेमाल करने लगे तो धरती पर दिखने लगेगा|
आतः हमारा अनुरोध वह आग्रह है कि समाज को शब्दों के बहस के बजाय आगे की ओर ले चलने का काम करें। हजारों संगठन खड़ा करके अपनी नेतृत्वकर्ता के शक्ति को कम ना करें सही नेता को पहचाने व उसका साथ दें राजनीति के नाम पर सिर्फ उत्तर प्रदेश वह मायावती की बहस करने के बजाए अन्य 28 राज्यों में मायावती की तरह नेता बने वह सरकार बनाएं मुख्यमंत्री बने 28 राज्य आप सभी विरोधी बसपा बहुजन सर्वजन के लिए छोड़ा हुआ है|
जय भीम जय भारत.... 🙏
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