पीपल का महत्व क्यों और कैसे 👇👇

शूद्रों की सभी जातियाँ मौर्यवंशी है तथा बुद्ध अनुयायी हैं, ये है प्रमाण. 
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 (1)अपने बच्चे का प्रथम प्रजनन के लिए शूद्र स्त्रियों का अपने मायके जाने का रिवाज , ये रिवाज बुद्ध की मां के महामाया के मायके प्रजनन के लिए जाने के रिवाज से जुड़ा है. 

 (2) विवाह के मौके पर तथागत बुद्ब की माँ को हरेक शूद्रों के यहाँ बकायदे निमंत्रण देकर घर लाना जिसे बिहार के हमारे घरों में कहा जाता है कि आज महामाया को न्यौता देकर लाने जा रहे हैं. मधुर गीतों से महामाया का नाम लेकर गीत गाती हुई उन्हें सब मिलकर लाती हैं. 

(3) विवाह के मौके पर दुल्हे को मौर्यवंशी मुकुट जिसे मौहर कहा जाता है पहनाया जाता है जिससे सिद्ध होता है कि सभी शूद्र मौर्यवंशी तथा बुद्धवंशी है. 

(4) पीपल के पेड को शूद्र नहीं जलाता है जबकि आश्चर्यजनक रूप से ब्राह्मण जलाते हैं तात्पर्य है कि शूद्र बुद्ध के ग्यान की निशानी से प्रेम करते हैं जबकि ब्राह्मण नफरत. 

(5) बुद्ध ने मृत्यू वरन के समय अपनी मष्तिक यानी सर को उत्तर दिशा में रखने को कहा और उसी दशा में मृत्यू को प्राप्त हुए अर्थात परिनिर्वाण को प्राप्त हुए. ध्यान देने वाली बात ये है कि ऐसा ही देह त्याग चुके सभी शूद्रों के साथ किया जाता है. 
  
जागो और जगा लो साथियों अपने मुलनिवासी नागवंशी बहुजन समाज को....

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