अशोक महान

हम बनायेंगे सम्राट अशोक का भारत ......
साहब कांशी राम जी....
चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान की जयन्ती, अशोकाष्टमी को राष्ट्रीय पर्व के रूप में क्यों मनाया जाना चाहिए? आईए जानते हैं, क्यों?
     
☸ 1 : संसार में सर्वप्रथम सम्राट अशोक ने लोहे की कलमों से पत्थरों की शिलाओं पर लोकतांत्रिक, लोकहित कल्याणकारी संविधान को लिखवाया था। जो संसार में अशोक के शिलालेख के नाम से जाना जाता है।

संपूर्ण प्राणी जगत में प्राचीन भारत को स्वर्णिम भारत, सोने की चिड़िया, अखंड भारत, विश्वविजयी, विश्वगुरु, एशिया का प्रकाश, प्रबुद्ध, सत्य, अहिंसा, शांति, करुणा, दया, बंधुत्व इत्यादि से खुशहाल केवल तथागत बुद्ध, चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, चक्रवर्ती धम्म सम्राट प्रियदर्शी अशोक महान के वजह से ही जाना जाता है. इस अद्वितीय, गौरवशाली, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, समतामूलक एवं मानवीय लोक-कल्याणकारी अशोक के धम्म शासन को  स्वतंत्र भारत के संविधान के Preamble में ही पूर्ण रूप से समावेशित कर आदर्श बुद्ध धम्म राष्ट्र के महत्व का देश एवं दुनियां को स्पष्ट लिखित संदेश दे दिया गया है। 
जो इस प्रकार है —

☸ 2: राष्ट्रपति के सिंहासन के शीर्ष पर "धम्मचक्कपवत्तनाय" और धम्म चक्र/ अशोक चक्र का अंकित होना।

देश का सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का होता है। जिस सिहांसन पर राष्ट्रपति के आसीन होने पर सुशोभित होता है। बुद्ध की गरिमा को ध्यान में रखते हुए 'राष्ट्रपति सिंहासन' से भी ऊपर भगवान बुद्ध के मुख से लोक कल्याण के लिए सारनाथ, उत्तर प्रदेश में निकला प्रथम उपदेश "धम्मचक्कपवत्तनाय" को अंकित किया गया है। जो बुद्ध धम्म के सम्मान का सूचक है। स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्वयं तथागत बुद्ध के मानवीय धम्म का ही शपथ लेकर पदासीन हुए थे।

☸ 3: सम्राट अशोका हाल

राष्ट्रपति भवन के अन्दर अशोका हाल है। जहां पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायधीश, अन्य मंत्री गण इत्यादि का शपथ समारोह होता है। दूसरे देशों से आने वाले राजा-महाराजाओं का स्वागत-सम्मान भी इसी हाल में किया जाता है।

☸ 4 : बुद्ध प्रतिमाएं

राष्ट्रपति भवन के अन्दर दो विशाल बुद्ध प्रतिमाएँ, अशोका हाल में स्थापित हैं। जिनमें एक  कुषाण काल की बुद्ध प्रतिमा है। जो बौद्ध सम्राट कनिष्क द्वारा बनवायी गयी थी।

दूसरी प्रतिमा सन 1962 में चीन द्वारा भेंट की गयी थी. जो चीन-भारत मैत्री समझौता में भारत को प्रदान की गयी थी।

☸ 5: धम्मचक्क  एवं पाली भाषा

राष्ट्रपति भवन में दीवारों पर धम्म चक्र और पाली भाषा अंकित है।

☸ 6: संसद भवन को बौद्ध कला से साज-सज्जित

दिल्ली के संसद भवन सह ऊपरी गुम्बद सांची स्तूप जैसा निर्मित किया गया है। सांची स्तूप सम्राट अशोक ने अपनी पत्नी के लिए बुद्ध वंदना के लिए बनाये थे।

☸ 7: राष्ट्रपति भवन, सर्वोच्च न्यायालय, संसद भवन, इंडिया गेट इत्यादि का ऊपरी गुम्बद सम्राट अशोक निर्मित सांची के स्तूप के आकार यानि बौद्ध कला शैली में बना है।

☸ 8 : राष्ट्रीय ध्वज                

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा तीन पट्टियों जिसमें पहला रंग केसरिया, दूसरा सफेद और तीसरा हरा रंग द्वारा 2×3 आकार में निर्मित हैं। सफेद पट्टी के बीचों-बीच में बुद्ध के प्रतीत्य समुत्पाद का प्रतीक 24 तिल्लियों वाला धम्म चक्र को नीले रंग से अंकित किया गया है। जिसे सरकारी तौर पर अशोक चक्र कहा जाता है. सफेद रंग शान्ति और 24 तीलियों वाला "अशोक चक्र" बुद्ध की शिक्षाओं का प्रतीक है।

☸ 9: राष्ट्रीय चिन्ह -अशोक स्तंभ शीर्ष

भारत के राष्ट्रीय चिह्न के रूप में बुद्ध संस्कृति का प्रतीक चार मुंह वाले 'सिंह शीर्ष', सम्राट अशोक द्वारा सारनाथ में बनवाये हुए सिंह स्तम्भ से लिया गया है। जो सम्राट अशोक के राज चिह्न के रूप में अंकित था। 
सरकारी कागजात/दस्तावेज :-*
हर सरकारी न्यायिक और गैर न्यायिक दस्तावेजों-कागजातों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में बौद्ध संस्कृति के प्रतीक चिन्ह "अशोक स्तंभ' और धम्म चक्र" ही अंकित होता है।

☸ 10 : सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न व वीरता पुरस्कार अशोक चक्र 

भारत का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न पर सोने के पीपल की पत्ती और 32 आरों वाला धम्म चक्र तथा वीरता का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार सैनिकों को सोने का अशोक चक्र का प्रतीक चिन्ह ही दिया जाता है।

☸ 11 : अशोका राजपथ

दिल्ली में राष्ट्रपति भवन व संसद भवन का मुख्य मार्ग अर्थात भारत के राजपथ का नाम अशोका राजपथ ही है। जहाँ प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को राजकीय परेड होती है।

☸ 12 : भारत का राष्ट्रीय चिह्न चौमुखी सिंह, पक्षी मोर इत्यादि बुद्ध धम्म एवं मौर्य राजवंश के सम्राटों का ही प्रतीक है।

☸ 13 : संवैधानिक लोकतांत्रिक/गणतांत्रिक संसदीय शासन व्यवस्था

भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजाद भारत के संविधान का निर्माण पंचशील के सिद्धान्तों पर और भिक्खुओं के संघ जीवन जीने के नियमों को ही धाराओं के नाम से कानूनी पावर देकर दर्शाया गया है। आज देश की राजनैतिक व्यवस्था भारतीय संविधान से चलती है। यहां का शासन-प्रशासन बौद्धों की लोकतांत्रिक राज्य शासन प्रणाली के अनुसार ही किया जाता है। बौद्ध राजा-महाराजाओं द्वारा सुचारू रुप से कार्यान्वित थी।  अपने पूर्वजों के शासन को पुन:स्थापित करने के लिए मनुस्मृति के स्थान पर भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 ई में संवैधानिक राष्ट्रीय प्रतीक धम्म सम्राट अशोक के लोक-कल्याणकारी गणराज्य को ही लागू किए/कराए। जिसका अनुपालन आज भी जारी है और रहेगा।

☸ 14: पुरातत्व विभाग

भारत  सरकार के इस विभाग द्वारा सम्पूर्ण भारत के अनगिनत स्थानों से बौद्ध अवशेष, धम्म सम्राट अशोक महान इत्यादि के सिक्के, मुहर, स्तंभ एवं शिलालेख प्राप्त हुए हैं। आज भी भारत के बौद्ध राष्ट्र होने के अनेकों प्रमाण प्राप्त होते रहते हैं ।

☸ 15 : सर्वोच्च भारतीय पदक भारत रत्न
      
🔹संविधान सभा में सर्वसम्मिति  से भारत के सर्वोच्च पदक भारत रत्न के स्वरूप का खाका तैयार किया गया। भारत रत्न के स्वरूप में बोधिवृक्ष के पत्ते के एक तरफ 32 तिल्लियों वाला धम्म चक्र (अशोक स्तम्भ शीर्ष पर सबसे ऊपर मौजूद होता है) स्थापित है, जो भगवान बुद्ध के 32 लक्षणों का प्रतीक है।
                      तो 
🔹दूसरी तरफ धम्म सम्राट अशोक महान का चिह्न सिंह शीर्ष, अशोक स्तंभ निर्माण किया गया। उसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा हुआ है।

हमारे देश में 'भारत रत्न' सबसे बड़ा पुरस्कार है।

☸ 16 : विदेशी राष्ट्राध्यक्षों- अतिथियों का सम्मान प्रतीक उपहार भी अधिकतर बुद्ध प्रतिमा/फोटो देकर की जाती है। अधिकतर राष्ट्राध्यक्ष-अतिथि बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर जाकर बुद्ध को नमन करते हैं।

विश्वगुरु शाक्यमुनि तथागत गौतम बुध्द का हर जीव से प्रेम, दया, करुणा, प्रज्ञा के देशना को संसार में फैलाने वाले पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा के पिता संसार के सबसे बड़े दानी राजा देवानंप्रिय प्रियदर्शी चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान का जन्मोत्सव अशोकाष्टमी 13 अप्रैल 2019 को जरूर मनायें।

इन्हीं कारणों से सम्राट अशोक की जयन्ती राष्ट्रीय पर्व के रूप में अवश्य ही मनाया जाना चाहिए.

सबका मंगल हो ।
Repost.... अशोकाष्टमी (Asoka's Birth Anniversary) : 13th April 2019

जय भारत ! 
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