महां पुरुष भी मर सकते हैं 👇👇👇
#महापुरुष_भी_मर_सकते_हैं
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ये बात सन 1917 की है जब बाबासाहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर कोलंबिया यूनिवर्सिटी-अमेरिका में पी.एच.डी. की पढ़ाई करने गये तो वहाँ की लाइब्रेरी में दीवार के ऊपर दो लाइनें लिखी हुई थीं.....
"आम आदमी पैदा होता है और मर जाता है."
"महापुरुष पैदा होता है जो कभी नहीं मरता ."
बाबासाहेब ने जो नीचे की लाइन थी उसे काली स्याही से काट दिया और वहाँ से चले गये. उसके बाद पूरी यूनिवर्सिटी में हंगामा मच गया. प्रशासन की तरफ से उन्हें नोटिस मिल गया कि कल 12 बजे तक अपना स्पष्टीकरण दें, अगर स्पष्टीकरण गलत पाया गया तो आपको यूनिवर्सिटी से निकाल दिया जायेगा. दूसरे दिन पूरा हाल खचा-खच भरा हुआ था, यह जानने के लिये कि बाबा साहेब क्या स्पष्टीकरण देते हैं ? बाबासाहेब आये और पूरे कॉन्फिडेंस के साथ उन्होंने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि ऊपर की लाइन बिल्कुल सही है कि "आम आदमी पैदा होता है और मर जाता है" लेकिन दूसरी लाइन ( महापुरुष पैदा होता है जो कभी नहीं मरता) से में सहमत नहीं हूँ. उन्होंने आगे कहा कि ….. "महापुरुष पैदा होता है, अगर उसके विचारों को नष्ट कर दिया जाये तो वो भी मर जाता है."
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बाबासाहेब का स्पष्टीकरण सुनकर पूरा हाल तालियों से गड़गड़ाने लगा.
हाँ.....महापुरुष की विचार-धारा नष्ट कर दी जाये तो महापुरुष की मृत्यु हो जाती है | जैसे भारत में जिस दिन तथागत गौतम बुद्ध की विचार-धारा को नष्ट कर दिया गया, उसी दिन उनकी मृत्यु हो गयी थी.
और..... बाबासाहेब के इस स्पष्टीकरण के बाद उस प्रथम लाइन के नीचे "वही लाइन" लिख दी गयी जो बाबासाहेब ने अपने स्पष्टीकरण में कही थी. तभी तो बाबासाहेब को आज पूरा विश्व "ज्ञान का प्रतीक" (Symbol Of Knowledge) कहता है.
कोटि-कोटि नमन #बाबासाहेब को
#जयभीम__नमो_बुद्धाय
#vidrohi_sagar_ambedkar
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