काला राम मंदिर प्रवेश

कालाराम मंदिर प्रवेश दिवस :- 21 अप्रैल

02 मार्च 1930 को अछूतों के सम्मान के लिए डॉ0 अंबेडकर जी द्वारा शुरू किए गये कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन के पांच वर्षों के वावजूद जब अछूतों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिला तो बाबा साहब ने 13 अक्टूबर 1935 को नासिक के निकट येओला में एक सम्मेलन में यह घोषणा की कि मेरा जन्म हिंदू के रूप में अवश्य हुआ है मगर मेरी मृत्यु हिन्दू के रूप में नहीं होगी
इससे पूर्व उन्होंने अछूतों से एक भाषण में कहा कि आप लोग जानते है कि हिंदू और हिंदू धर्म के संबंधों ने आप लोगों पर किस प्रकार बुरा प्रभाव छोड़ा है कोई आपकी इज्जत नहीं करता आपका कोई सामाजिक स्तर नहीं प्रतिष्ठा नहीं, यहाँ तक कि मनुष्यता भी नहीं। यदि आप लोग चाहते है कि यह प्रतिष्ठारहित स्थिति बदले यानि आप लोग छुआछूत के कलंक व मनुष्यों के नीचले स्तर से मुक्ति चाहते हैं, और चाहते हैं कि इस बहुमूल्य जीवन का उपयोग हो तो इसके सिवाय कोई अन्य पर्याय नहीं है कि आप लोग हिंदू धर्म व समाज की गुलामी से जिसके साथ सदियों से चिपके हैं संबंध तोड़ दें

डॉ0अम्बेडकर जी के धर्म परिवर्तन की घोषणा के साथ ही हिंदुओं में हड़कम्प मच गया जिसका परिणाम यह हुआ कि कालान्तर में दस वर्ष बाद कालाराम मंदिर अछूतों के लिए 21 अप्रैल 1940 को खोल दिया गया जो कि वास्तव में अछूतों की जीत न होकर हार ही रही क्योंकि इसने अछूतों के मन में दुविधा उत्पन्न कर दिया
और जो आंदोलन धर्म परिवर्तन और राजनीतिक/आर्थिक/शैक्षिक/सामाजिक सत्ता की ओर बढ़ना था वह मंदिर प्रवेश आंदोलन में बदल गया। दुख की बात यह है कि गाहे-बगाहे यह आज भी जारी है। 
लेकिन कालाराम मंदिर प्रवेश सत्याग्रह आन्दोलन अछूतों में सम्मान की भावना पैदा करने के लिए सदैव याद किया जाता रहेगा।

Comments

Popular posts from this blog

जब उत्तर प्रदेश बना उत्तम प्रदेश

अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ

बोधिसत्व सतगुरु रैदास