बहानेबाजी
#बहाने_बनाना_बन्द_करिये
कोई कहता है मैं अपनी मां को नहीं समझा सकता पूजा पाठ बन्द करने के लिए तो कोई कहता है मैं अपनी पत्नी को नहीं समझा सकता करवाचौथ के व्रत के लिये
याद रहे मनुवादीयों का हर त्योहार पोल खोलता है। नकली बनावटी अम्बेडकरवादियों का,
कुछ अंबेदकरवादी तो ऐसे हैं कि बकायदा सारा पाखंड और अन्धविश्वास बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी के नाम पर या उनके तस्वीर या मूर्तियों के सामने करते हैं।
कुछ लोग बाबा साहेब के नाम पर कथा करना,हाथ में कलावा बाँधना,बाबा साहेब के मूर्तियों के सामने हाथ जोड़कर अगरबत्ती,फुल,माला,मिठाई चढाना शुरू कर दिया है। अब तो हद ही कर दिये बेवकुफों ने।
बकायदा गोबर का बाबा साहेब के मूर्ति बना कर गोबर्धन पूजा कर रहे हैं
बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी ने हमें गोबर से निकाल कर इन्सान बनाया और हम (बनावटी अम्बेडकरवादी)बाबा साहेब के मिशन,विचार,मूवमेंट और उनके नाम को गोबर बनाने पर तुले हूए हैं।
तो फिर आखिर हम सोशल मीडिया पर किसको जागरूक कर रहे हैं अंधविश्वास और पाखंडवाद के खिलाफ ????
तो फिर कैसे बदलाव आयेगा समाज में ?
तो फिर ढोते रहो अपनी झूठी शान और पाखन्डवाद का बोझ अपने कन्धों पर ।
और करते रहीये मनुवाद को मजबूत।
मै लिखकर दे सकता हूं सबसे ज्यादा शिक्षित महिलाएं अन्धविश्वास पाखंडवाद जैसे सोमवार, शुक्रवार, शनिवार, महाशिवरात्रि, नवरात्र, छठ पूजा, करवाचौथ आदि के व्रत यही रखती हैं और पूजा पाठ के चक्कर में आकंठ डूबी हुई हैं। मनुवाद का सारा बोझ इन्होंने अपने कंधों पर उठा रखा है।
अनपढ़ या कम पढ़ी-लिखी तो छोड़ो, अच्छी खासी पढ़ी-लिखी, कामयाब नौकरीपेशा महिलाओं को भी अपने इतिहास की जरा सी जानकारी नहीं है।
बाकी इनसे आप एक-एक व्रत कथाएं जुबानी सुन लीजिए मजाल जो कहीं अटक जाएं। शिवलिंग पूजन से शुरू करके जागरण में माता की थाल सजाने से लेकर सारी रात बैठकर हथेलियां पीटना इन्हें बखूबी आता है
परंतु इतना सब होने के बावजूद मुझे यह कहने में कोई हर्ज नही कि इस मानसिक बीमारी की वह अकेली जिम्मेदार नहीं है। इसके जिम्मेदार वो पुरुष भी हैं जो सुबह अपने काम-धंधों पर निकल जाते हैं
और पीछे इन्हें छोड़ जाते हैं ब्राह्मणवादी मानसिकता वाले टीवी और अखबार के सहारे जो दिन भर इन्हें भजन कीर्तन कराते रहते हैं। इतना ही नही यदि कहीं कोई जागरूकता कार्यक्रम भी लगता है तो वहां हम अपनी तौहीन समझकर इन्हें ले जाना पसंद नही करते
क्या हमारा फर्ज नही बनता कि हम इन्हें तथागत गौतम बुद्ध,छत्रपति शाहू जी महाराज, महामना ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले, माता फातिमा शेख, रामास्वामी पेरियार नायकर, ललई सिंह यादव, राम स्वरूप वर्मा, बाबू जगदेव कुशवाहा, सर छोटूराम,चौ महाराज सिंह भारती, संतराम B.A. प्रजापति, डॉ. भीम राव अम्बेडकर, मान्यवर कांशीराम साहेब की विचारधारा से जोड़ने का कार्य करें ताकि ये खुद जागरूक होकर आने वाली पीढ़ियों का उद्धार करें
आज जब आप घर जाएं तो इस बात को ठंडे दिमाग से सोचिएगा जरूर कि अगर आपके घर मे ही परिवर्तन नही हो पा रहा है तो इसका मूल कारण क्या है, कहीं इसके जिम्मेदार आप भी तो नही? 🙏🙏🙏
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