बाबा साहब हमारा वजूद आपसे है
#बाबा_साहिब_हमारा_तो_वजुद_भी_आपसे_ही_है
आज बाबा साहिब अम्बेड़कर का जन्म दिवस है | एक ऐसी सख्सियत जिसने एक ऐसे समाज मे जन्म लिया जो मोटे तौर पर हिन्दू धर्म की अमानवीय सोच का सदियों से सबसे बड़ा शिकार रहा | हिन्दुत्व जब अपनी उँच नीच, छुआछूत और जातिवादी मानसिकता मे आकंठ डूबकर अपनी नीचता के एक से बढ़कर एक प्रमाण दे रहा था तब हिन्दू धर्म की इन खोखली अमानवीय , पाखण्डो से युक्त प्रणाली को बाबा साहिब ने इतनी जोर से झंझकोरा कि हिन्दू धर्म के ठेकेदारो तक की सत्ता हिलने लगी|
इस जाति प्रधान देश मे जातियो का प्रभाव इतना था कि हिन्दू धर्म मे अछुत समझे जाने वाली जातियो की परछाईयो तक से नफरत की जाने लगी | ये सोचकर भी मेरा दिमाग चकरा जाता है कि सैकड़ों वर्षो की अंग्रेजो की गुलामी करने वाला गुलाम सवर्ण वर्ग क्यो अछुतो/दलितो/आदिवाशियो/पिछड़ो को हिन्दू धर्म द्वारा थोपी गई सामाजिक गुलामी से मुक्त करने को तैयार नही थे| ऐसी परिस्थितियों मे जब देश गुलाम हो, तब बाबा साहिब को अपना संघर्ष अंग्रेजो की गुलाम सवर्ण जातियो से लड़ना पड़ रहा था और डिमांड के नाम पर मौटेतौर पर अपने ही देश मे सिर्फ इंसान होने का दर्जे के लिए समानता के अधिकार के लिए लड़ना पड़ रहा था|
सदियों से चल रही असमानता की इस लड़ाई के लिए बाबा साहिब ने धरातल पर सामाजिक लड़ाई के साथ साथ अंग्रेजो और हिन्दुओ के सर्वमान्य नेता महात्मा गांँधी और कांग्रेस के साथ भी लड़ना पड़ रहा था जो अछुतो को अधिकार देने के पक्ष मे खड़े होने के बजाय जातिवाद और छुआछूत को हिन्दु धर्म का आंतरिक मामला मानकर अंग्रेजो के इसमे हस्तक्षेप का विरोध करते नजर आते थे| आज भी आरक्षण का फायदा उठाकर जाति छिपाने वाले लोगो को तो ये भी नही मालूम कि ये आरक्षण उनको एक लम्बी लड़ाई जो पृथक निर्वाचन की माँग से चलते चलते लन्दन की तीन तीन गोलमेज़ कान्फ्रेंसेस से चलते चलते गाँधी जी के साथ हुए पुना पैक्ट तक जाकर मुश्किल से अपने पैर जमा पाया था| निसन्देह इस आरक्षण से आज करोड़ो परिवारो को सिर उठाकर जीने के मौके मिले लेकिन संसद से लेकर विधान सभाओ तक और लाखो अफसर बनने के बाद भी ज्यादातर लोग बाबा साहिब की गुँगी, बहरी और मौकापरस्त औलादो से ज्यादा कुछ साबित नही हो पायी है| लेकिन जिसने दिल से उनके विचारो को समझा है, वो कुछ बेखौफ लोग भी पैदा हुए है जो लोगो को सोचने के लिए मजबूर कर रहे है| आज सोशल मीडिया और धरातल पर ऐसे हजारो लाखो लोग भी है जो उनके विचारो के लिए लड़ते भी नजर आ रहे है |
अगर इतिहास की निर्दयता की बात करे तो हिन्दू धर्म औरतो के लिए भी किसी नासुर से कम नही निकला| बाबा साहिब ने उनको हिन्दू कोड बिल के जरिये मुख्यधारा मे लाने की जो कोशिश की थी, ये सफर अब पैरो की जुती से लेकर लेडीज फर्स्ट तक सफलतापूर्वक जा रहा है | लेकिन शर्म की बात तो ये है कि वो भी बाबा साहिब को उनकी जाति और आरक्षण शब्द से ज्यादा शायद समझना ही नही चाहती| भले ही आज की औरत/ लड़की कामयाब होती जा रही हो लेकिन अपने पिता या अपने पति की जाति और करवा चौथ व्रत से आगे ना सोचने की ये भी जिद्द लगाये खड़ी दिखती है|
विश्व भर मे "सिंबल आफ् नॉलेज" माने गए इस महामानव ने ही देश का सविंधान बनाने मे सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निम्भाई जिसकी बदौलत औरतो और शोषितो को बराबरी का कानुनी हक एवम् सम्मान मिला | वो हिंदु धर्म के 33 करोड़ देवी देवताओ के कवच को भी तोड़कर वो कर गया जो तुलसीराम दुबे जैसी मानसिकता वालो को आज भी नागवार लगता है| उस मानसिकता की खीज आज भी इतनी है कि इनकी मुर्तियो तक को आज भी तोड़ा और अपमानित किया जा रहा है| वंचितो, शोषितो और नारियो के हको के लिए संघर्ष करने वाले महामान्य परमपूज्य बाबा साहब डा0 भीमराव अंबेडकर जी को उनके जन्मदिन पर सभी देशवाशियों को बहुत बहुत बधाई।💐💐
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