बहिन मायावती जी
मेरे देश और की आन, बान, शान, महिला शक्ती की पहिचान सादगी की अनुपम मिशाल, बुद्ध, रविदास, फुले, अम्बेडकर, और कांशी राम जी आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन ऐसा वो सोचते हैं ज़िनमे बहिन जी को समझने की समझ नहीं हैं 👈
लेकिन मै जब जब बहिन जी को देखता हूँ तो मुझे मेरा हर आयडियल बहिन जी मै नजर आता है 👈
माननीया बहन जी सिर्फ अपराधियों के लिए #सख्ती से कानून द्वारा कानून का राज चलाने में यकीन रखती हैं बल्की आम नागरिकों से आज भी हंसकर बड़े शिष्टाचार के साथ बिना स्लीपर, सैंडिल, शूज़ आदि के भी... हाथ जोड़कर आज भी मिलने में कोई संकोच नही करती हैं गौर से देखना फ़ोटो ज़मीन की ही हैं कोई आसमान की नही। बहन जी को समझना बच्चों का खेल नही👈
बहन जी जमीन पर ही हैं बस कोई समझें तब न। विभीषण, हरिजन लोग पता नही क्यों चार बार की पूर्व मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा को चाहतें हैं कि वो (बहन जी) तांगे में बैठकर चलें👈
जैसे मोदी भैंसा बुग्गी में चलता हों, राहुल गांधी थ्री व्हिलहर में चलता हों, अमित शाह और योगी जुगाड़ गाड़ी, ट्रैक्टर में चलते हों
सामने वाले व्यक्ति हंसकर अपने हाथ जोड़कर मिल रहें हैं तो बहन जी भी हंसकर अपने हाथ जोड़कर मिल रही हैं। जबकि बाकी सब लोगों ने जूते पहने हुए हैं 👈
मै तो कहता हूँ बहिन जी जैसा कोई नहीं अगर कोई मुझे बोले Vidrohi Sagar Ambedkar और बहिन जी मै से एक की ज़िन्दगी चुनो मै बिना सोचे खुद को मार सकता हूँ क्योंकी हम जैसे जाने कितने पैदा हो सकते हैं लेकिन बहिन जी जैसी अमर ज्योति 👈
बार बार पैदा नहीं होती जिसने लाखों ज़िन्दगियों को ऊजाला दिया और शान से जीना सिखाया और बताया की तुम हरिजन नहीं हो मैने तो यहां तक मेहसूस किया है बहिन जी रेलियों मै बहिन का इंतजार लोग बड़ी शिद्दत से करते हैं और बहिन जी जब आती तो आँखे ख़ुशी से भर आती हैं मन झूम उठता है ऐसी हैं हमारी बहिन जी 👈
मान्यवर कांशीराम बनना अगर "आसान" नही है तो यह भी ध्यान रखे की "मायावती" बनना भी आसान नही है आप खुद सोच कर देखें और मेहसूस अगर ज़मीर ज़िन्दा हो 🤔
उत्तराखंड मे "प्रमोशन में आरक्षण" विषय काफी गर्म है क्योकि सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के निर्णय को पलटते हुए "आरक्षण" को राज्य पर निर्भर कर दिया व "प्रमोशन में आरक्षण" भी राज्य सरकार पर छोड़ दिया है.
अब ओबीसी वर्ग, उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण का विरोध कर रहा है. जबकि;
1.स्वय के लिए प्रमोशन में आरक्षण मान सकता है. एससी/एसटी ने 2012 से ही कह रखा है की वो इसका समर्थन करेंगे 👈
2.कोर्ट ने जो यह शब्द कहे है की आरक्षण मूल अधिकार नही है, यह राज्य पर निर्भर करता है की देना चाहे तो दे, नही देना चाहे तो मत दे. इससे ओबीसी भी प्रभावित हो रहा है. लेकिन फिर भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पक्ष में सडको पर प्रदर्शन कर रहा है 👈
खैर👇🏼
"मुद्दा यह है की संसद क्यों इस विषय पर एक दिन बोलकर चुप हो गयी"
वास्तव में 👇🏼
"आप 2012 का समय देखिये, जब प्रमोशन में आरक्षण मुद्दा पैदा हुआ था. तब कोंग्रेस के लिए समस्या यह थी की;
"मायावती जी, मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद संसद की सदस्य बन गयी थी"
यह वो समय था जब बसपा के कुछ सांसद होने के बाद भी मायावती जी ने संसद चलने नही दी. उस समय मायावती जी ने मनमोहन सरकार को अल्टीमेटम दे दिया की बिल पास होना चाहिए नही तो वो किसी भी हद तक जा सकती है
इससे डरकर मनमोहन सरकार ने राज्स्यब्षा से इसे पास करवा दिया. लेकिन चाल चलकर , सपा के सहयोग से, बिजनौर के एससी सांसद यशवीर सिंह से फडवा भी दिया. अब अगर कोंग्रेस की मंशा सही होती तो वो दूसरी कॉपी मंगवाकर पास करवा सकती थी 👈
अब👈
"संसद में एक दिन विरोध हुआ, पासवान व् उसके पुत्र चिराग भी एक दिन विरोध किया, बस उसके बाद चुप हो गया.
भीम आर्मी ने भारत बंद बुलाया था, जिसमे अंतिम समय में CAA भी सम्मलित कर लिया गया और महिलाये नई दिल्ली के जाफराबाद में धरने बैठ गयी, उसके बाद नई दिल्ली हिंसा के कारण "आरक्षण" का मामला भी दब गया"
इसलिए👇🏼
"मायावती को हर कोई इसलिए ही खत्म करने पर समय लगा रहा है, क्योकि पता है की पासवान जैसे को मंत्री पद देकर गेट पर खड़ा करा जा सकता है, लेकिन मायावती को कोई मंत्री पद का लालच नही है. वो सरकार को मजबूर कर देगी"
इसलिए👇🏼
"अगर मान्यवर कांशीराम बनना मुश्किल है तो मायावती जी जैसा बनना भी आसान नही है" 👈
19/032019
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