हरिजन और चमार :-

हरिजन और चमार में फ़र्क़ कुछ यूँ है :-

हरिजन= जो अपने समाज के लोगों के पास नही बैठता वो सुबह उठ कर पंडित व राजपूत व यादवों के पास जा कर अपने ही समाज अंदरूनी बातें झट से बताता है और इन कथाकथित दबंगो से अपने समाज के भाई बहनो को पिटवाता है और उनके चरणो में बैठना प्राउड फ़ील करता है और जगजीवन राम बोरकर, चन्द्र शेखर जैसे दलाल चमचे लोगों की चमचा गिरी करता है और राज नैतिक रूप से अपने राज नैतिक संगठन का समर्थन ना करके कांग्रेस भाजपा का समर्थन करता है/

चमार= मेहनत करता है अपने बच्चों को ऊँची  दिलवाता है वो दुःख सुख में अपने लोगों से कंधा से कंधा मिला कर चलता है वो अपने बच्चों व समाज को अम्बेडकरवादी बनाता है और अम्बेडकरवादी बच्चे अपने बाबा साहेब और उनकी शिक्षाओं को सात समन्दर पार भी रूम व ऑफिस मैं साथ रखते है वो अपने बाबा साहेब के साथ फ़ोटो खिंचवाने फ़ील ही नहीं करते बल्कि उनके संदेश और शिक्षाओं को आत्म सात भी करते है

(सुधर ज़ाओ समाज के ग़द्दारों अपने समाज के गरीब के घर एकदिन का खाना खाओ तब मालूम पड़ेगा अपने लोग कैसे जीते है/

 20 मार्च 1927 को भारत मे अछूतों को पानी पीने का अधिकार बाबा साहेब ने ही दिलाया था आज हम मिनरल वॉटर पी रहे ये जो हम सब जो साँसे ले रहे है वो भी बाबा साहेब की देन है इसे भूलना नहीं याद रखना है/

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