श्रृंगार

रति, रम्भा, ऊर्वशी, मेनका, उनके लिए था ये साजो श्रंगार मतलब सीधी बात जो मनोरंजन का साधन थी 👈
जो थी तो वेश्यायें लेकिन नर्तकी बोलकर एक मुखौटे के पीछे इनका असली रुप छुपा दिया जाता था जैसे देवदासी के साथ होता था 👈
लेकिन मनुवाद से ग्रसित महिलायें आज ये समझने को बिलकुल तैयार नहीं, क्योंकी जान बस रही है इसी ढ़ोंग मै रामायण,  महाभारत, चन्द्र कांता जैसे धारावाहिकों और सिनेमा के ज़रिये इसको भारतीय महिलाओं के दिमाग मै स्थापित किया गया 👈
सभी महिला साथियों से निवेदन है ये महज आपको मानसिक गुलाम बनाने के साधन हैं ऐसी किसी भी मूर्खता से किसी इंसान की ज़िन्दगी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता चाहूँ तो इस विषय पर अधिक भी लिख सकता हूँ लेकिन अगर किसी को समझना है 
तो चार शब्द काफी हैं और अगर नहीं समझना है तो ग्रंथ भी 
लिख दिये जायें वो भी बदलाव नहीं ला सकते अपनी मानसिक गुलामी का त्याग करें 🙏
VIDROHI SAGAR AMBEDKAR

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