दलित:- शोषित जातियों की जमात:-
#दलित_मतलब_क्या?
आपने अखबारो मे, टीवी मे अक्सर पढ़ा या सुना होगा कि दलित युवती का रेप किया गया, सवर्णो ने दलित युवक को घोड़ी पर नही चढ़ने दिया, फलाने दलित नेता आदि आदि| बाबा साहिब अम्बेड़कर इन लोगो के लिए अछूत, अस्पृश्य, डिप्रेस्ड क्लासेज या डाऊनट्रोडन्स शब्द का इस्तेमाल करते थे | डिप्रेस्ड क्लासेज या डाऊनट्रोडन्स जिसका हिन्दी मे मतलब दबाये हुए, दलित या शोषित वर्ग होता है| मान्यवर काशीराम ने डी.एस-4 यानि दलित शोषित समाज संघर्ष समिति नाम का सामाजिक संगठन बनाया| बहन जी यानि मायावती जी भी अपने भाषणो, लेखो और बोलचाल मे दलित शब्द का इस्तेमाल करती आई है|
शब्द का इतिहास भी है, सटीक अर्थ भी है और इनके साथ शोषण की आज भी कहानियों के ढ़ेर लगे पड़े हैं| हरियाणा हो, यूपी हो, बिहार हो, महाराष्ट्र हो, पंजाब हो, राजस्थान हो या तमिलनाडु हो - कहीं कम कहीं ज्यादा शोषण हो ही रहा है| लेकिन शोषित वर्गो से कुछ लोगो को लग रहा है कि वो अब इस समाज से अलग है, वो अब दलित, शोषित नही है बल्कि दा ग्रेट फलाने ढ़िमकाने बन चुके है| इनमे से ज्यादातर लोगो के या तो माँ बाप रिजर्वेशन का फायदा लेकर मिडल क्लास बन चुके है या वो खुद माँ बाप के कमाए हुए पैसे से अपना काम धंधा खड़ा कर चुके है या अच्छी शिक्षा का मौका पाकर अब थोड़ा बहुत प्राइवेट मे ठीक ठाक सी सेलरी ले रहे है| ये व्हाटसप, फेसबुक या ट्वीटर पर खुद को राजाधिराज महाराज के वंशज साबित करने या खुद को क्षत्रिय बताने मे अन्य पिछड़े वर्गो की तरह जैसे तैसे अपने को क्षत्रिय बताने की होड़ मे खड़े है|
पहली और आखिरी सच्चाई यही है कि आज अगर वो मिडल क्लास बने है तो डायरेक्ट या इनडायरेक्ट उसी रिजर्वेशन के कारण बने है जो मिला ही इसलिए था क्योकि इन वर्गो को सदियो से दबाया गया था, शोषण किया गया था, हको और अधिकारो से वंचित किया गया था लेकिन आज पेट भरते ही अपने इतिहास से मतलब नही रहा और दलित या शोषित वर्ग कहलवाने मे इन राजाधिराज महाराजाओ के वंशजो को शर्म आ रही है|
भाई अगर शर्म आ रही है तो उस समाज की वर्तमान दशा को सुधारने मे अपने रोल को याद करो क्योंकि अभी भी इन वर्गो के करोड़ो आदमी/औरते/बच्चे कुड़ा कचरा बीनने, दुसरो के खेतो मे मजदुरी करने, दुसरो के घरो मे बर्तन मांजने और बहुत प्रकार के छोटे मोटे काम करने के लिए मजबुर है| पाँच क्लास तक स्कुल मे बच्चो को भेज नही पा रहे, बच्चो के शौक पूरे करना तो बहुत दुर की बात है|
तुमको दलित शब्द से दिक्कत है, कोई बात नही लेकिन करोड़ो लोग जो आज भी इस जातिप्रधान देश मे पैदा होने की कीमत चुका रहे है - क्या कभी उनकी हालात पर शर्म आई है या हे आरक्षणजीवीयो के मिडल क्लास स्टैंडर्ड वाले राजाधिराज महाराज के वंशजो क्या तुमको सिर्फ "दलित" कहलवाने पर ही शर्म आती है| जाओ खोजो तुम्हारे समाज के कितने लोग आज तक प्रधानमंत्री बने है, कितने मुख्यमंत्री बने है, कितने सुप्रीम कोर्ट - हाई कोर्टो मे जज बने है, कितने युनिवर्सिटीयो मे प्रोफेसर बने है, कितने बिजनेस टायकुन बने है, जब ये आपकी आबादी के अनुपात से आधे के करीब भी पहुँच जाये, तब कहना कि अब हमको किसी इतिहास वितिहास को नही जानना, हमको किसी अम्बेड़कर या काशीराम को नही जानना, हमको तो सिर्फ राजा महाराजाओ वाले घमंड मे जीने के पल चाहिए| समाज उठेगा तो सब उठेगे| सच्चाई तो ये है कि अकेले उठने का क्लेजा होता तो तुम भी अखबारो मे छा जाते बंधुओ|
Comments
Post a Comment