मान्यवर साहब दादा कांशी राम जी का जन्म दिवस कितना खास और क्यों ✌
मान्यवर कांशीराम साहेब के जन्म जयंती की पूर्वसंध्या पर नमन
बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहब के जन्मदिन के पावन अवसर पर उन्हें शत शत नमन तथा आप सभी को सहृदय मंगल कामनाएं।
साथियो,
सदियों से मानव मूल्यों और अधिकारों से वंछित किये गए बहुजन समाज की मुक्ति लिए महाराष्ट्र में 1848 से शुरू सांस्कृतिक क्रान्ति 1956 तक नियमित रूप से चलती रही।
1848 से 1891 तक महामना ज्योतिराव फुले जी के नेतृत्व में,1892 से लेकर 1922 तक क्षत्रपति शाहूजी महाराज के नेतृत्व में और 1922 से लेकर 1956 तक बाबासाहब डॉ0 भीम राव अम्बेडकर जी के नेतृत्व में यह संघर्ष चलता रहा।
बाबा साहब के 14 दिसंबर 1956में परि निब्बत होने के बाद इस संघर्ष की गति कुछ समय के लिये धीमी हुई परंतु 1978 से पुनः बहुजन नायक मान्यवर कांशी राम जी ने इन सांस्कृतिक क्रान्ति को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया और इस बहुजन आंदोलन को पूरे देश में विस्तारित और असरदार करने का कार्य किया।वर्तमान समय में बहुजन समाज के युवाओं और बुद्धजीवियों में सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए उत्पन्न आंदोलनकारी भावना को गतिशील बनाने में मान्यवर कांशी राम जी के संघर्ष की मुख्य भूमिका रही है।
कांशी राम जी द्वारा 1974 के पूर्व से लेकर 2003 तक ( गम्भीर बीमार होने के पूर्व तक) अनवरत बिना थके,बिना रुके इस आंदोलन को न केवल आगे बढ़ाया वरन इसे सम्पूर्ण देश में व्यापकता प्रदान की। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में उनके द्वारा निर्मित राजनीतिक संगठन (बहुजन समाज पार्टी ) द्वारा सत्ता प्राप्त कर बहुजन महा पुरुषो द्वारा शुरू किए गये आंदोलन के एक लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता भी प्राप्त की ।मान्यवर कांशी राम द्वारा अपने जीवनकाल में बहुजन आंदोलन को मजबूती प्रदान कंरने हेतु निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य किये:
1.बामसेफ का गठन:
किसी भी जनांदोलन को सफल बनाने के लिये जनशक्ति,धनशक्ति समय और अनुशासन की आवश्यकता होती है। उक्त आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर कांशी राम जी का संघर्ष औपचारिक रूप से 06 दिसंबर 1978 से सरकारी कर्मचारियों के गैर राजनीतिक और गैर आंदोलनात्मक संगठन बामसेफ" ( Backward and minorities communities employees federation ) के निर्माण से शुरू हुआ। इस संगठन निर्माण का उद्देश्य समाज के सक्षम लोगों को Pay Back to Societyके लिए प्रेरित करना था।
बामसेफ के माध्यम से कांशी राम जी ने बहुजन समाज के talent, time, और Treasury का स्रोत सरकारी कर्मचारियों को हज़ारों की संख्या में संगठित कर उनका उपयोग समाज में जागृति लाने के लिए बड़े स्तर पर किया। देश में हज़ारों की संख्या में विचार गोष्ठी,और सम्मेलन साइकिल मार्च आयोजित किये गए। नागपुर,दिल्लीऔर चंडीगढ़ में आयोजित किये गए बामसेफ के राष्ट्रीय सम्मेलन बहुजन मूवमेंट में मील के पत्थर साबित हुये।
2.DS4 (दलित शोषित समाज संघर्ष समिति )
कोई भी जन आंदोलन बिना संघर्ष के सफल नही हो सकता है, इस सत्य को स्वीकार करते हुए बामसेफ के गठन के तीन वर्ष पश्चात मान्यवर कांशी राम जी द्वारा 06 दिसंबर 1981 में DS4 ( दलित शोषित समाज संघर्ष समिति ) नामक सामाजिक और आंदोलनात्मक संगठन का निर्माण किया । DS4 के माध्यम से मान्यवर साहब द्वारा बड़े पैमाने पर युवाओं,महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक संघर्ष के लिए तैयार किया और पूरे देश में बड़े स्तर पर सामाजिक और आर्थिक आंदोलन का संचालन किया गया ,DS4 के माध्यम से संचालित किए गए आंदोलन में प्रमुख थे: 1982 में पूरे देश में "पूना पैक्ट धिक्कार परिषदों का आयोजन", उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के कटरा चाँद खां की शराब भट्टी हटाने को जेल भरो आंदोलन।यह आंदोलन एक माह से ज्यादा समय तक जारी रहा और हजारों की संख्या में लोगों ने गिरफ्तारी दीं और महीनों तक जेल में रहे,इस आंदोलन में बहुजन समाज की महिलाओं ने भी सक्रिय भाग लिया ।डीएस4 के माध्यम से जम्मू कश्मीर,और हरियाणा विधान सभा तथा दिल्ली नगर निगम के चुनाव भी लड़े गए।
3.बहुजन समाज पार्टी का गठन।
बाबा साहब ने कहा था कि "राजनैतिक सत्ता समस्त समस्याओं की मास्टर चाबी है जिसके माध्यम से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है" इस मूल मंत्र के महत्व को समझते हुए बामसेफ और डीएस4 के माध्यम से समाज में पर्याप्त जागृति लाने के बाद कांशी राम जी ने दिल्ली के जी वी मावलंकर हॉल में दिनांक 14/04/1984 से 15/04/1984 तक दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया ।कार्यक्रम के प्रथम दिन बहुजन समाज के लिए एक राजनीतिक संगठन " बहुजन समाज पार्टी" के गठन की घोषणा की तथा उसके अध्यक्ष बने तथा दिनांक 15/04/1984 को हिंदी और अंग्रेजी के दैनिक "समाचार पत्र क्रमशः बहुजन संगठक और बहुजन टाइम्स का प्रकाशन शुरू किया ।
बहुजन समाज पार्टी गठन के 08 महीने बाद दिसंबर 1984 में लोक सभा का चुनाव हुआ जिसमें पार्टी ने गंभीरता पूर्वक चुनाव में सहभागिता की । इस चुनाव में साहब कांशी राम, मध्य प्रदेश ( वर्तमान मेंछत्तीसगड़ )
के जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से और माया वती ,उत्तरप्रदेश के कैराना लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ीं।
पार्टी को 1996 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हुआ।बसपा से बहिन मायावती 1995 ,1997,2002 और 2007 में उत्तर प्रदेश में मुख्य मंत्री बनीं।
पार्टी का स्वर्णम काल 2007 से 2012 तक रहा।इस काल में बसपा देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई ( 206 विधायक)।पार्टी के लोकसभा में 19 सांसद भी थे।
2009 के लोक सभा चुनाव से बसपा के प्रभाव में कमी आना शुरू हुआ जो अभी तक जारी है।वर्तमान समय में बसपा का प्रभाव केवल उत्तर प्रदेश राज्य तक ही सीमित है,इसके बहुत से कारण हो सकते हैं । प्रभाव कम होने के कारणों पर पार्टी द्वारा गम्भीर चिंतन और प्रभाव बढ़ाने के लिए एक कारगर रणनीति बनाने की आवश्यकता थी परंतु यह हो न सका और पार्टी आज हँसिए पर है।
4.समाचार पत्र पत्रिकाओं का संपादन।
किसी भी आंदोलन को सफल बनाने में समाचार पत्र और पत्रिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है ,इसी बात को ध्यान में रख कर मान्यवर कांशी राम साहब ने 14 अप्रैल 1979 में अंग्रेजी में "The Oppressed Indian" नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया। 30 मार्च 1980 में बहुजन नायक (मराठी साप्ताहिक) और 14 अप्रैल 1980 को
"बहुजन संगठक" ( हिंदी साप्ताहिक) नामक समाचार पत्रों का प्रकाशन शुरू किया और उनका संपादन भी किया।
मान्यवर कांशी राम जी ने "चमचा एज "नामक पुस्तक का लेखन भी किया जो तत्कालीन और वर्तमान समय में समाज के चापलूस और गुलामी मानसिकता के नेताओं पर सटीक टिप्पणी करती है।
5.बौद्ध धम्म के अनुयायी :
समता,स्वतंत्रता, भाईचारे पर आधारित समाज व्यवस्था , वैज्ञानिक और तर्क की कसौटी पर खरा उतरने वाले बौद्ध धम्म को मान्यवर कांशी राम जी को भी प्रभावित किया। वह सच्चे अर्थ में बौद्ध धम्म के वास्तविक अनुयायी थे। आत्मा- परमात्मा, देवी - देवता ,मूर्ती पूजा अंध विश्वास और पाखंड के घोर विरोधी थे।बाबा साहब अम्बेडकर के बौद्ध धम्म ग्रहण करने की 50 वें वर्ष 2006 में तीन करोड़ लोगों के साथ कांशी राम साहब बौद्ध धम्म ग्रहण करने वाले थे परंतु 09 अक्टूबर 2006 को उनके परिनिब्बत होने के कारण उनका यह कार्य पूर्ण नहीं हो सका।
बौद्ध धम्म के संबंध में उनके विचारों को इस प्रकार समझा जा सकता है।
1. बौद्ध धम्म को बढ़ाने के लिए जाति को धम्म से दूर रखना होगा।
2. बहुजन समाज का निर्माण किये बिना हम भारत को बौध्दमय नहीं बना सकते हैं।
3.हम शासक बनकर ही भारत को बौध्दमय बना सकते हैं।
4.कांशी राम साहब के सपनों का भारत, महान सम्राट अशोक का भारत है।
मान्यवर कांशी राम साहब का पूरा जीवन एक भिक्खु के समान आदर्शवादी औऱ प्रेरणादायक रहा।
1.ग्रह त्याग करने के वाद वह कभी अपने घर नहीं गए ,पिता जी के परिनिर्वाण पर भी नहीं।
2. उन्होंने अपने और अपने परिवार ले लिए कोई संपत्ति अर्जित नहीं की।
3. अपनी राजनीतिक हैसियत का अपने परिवार और रिस्तेदारो को कोई लाभ नहीं होने दिया।
4. राजनीति के उच्चशिखर पर पहुचने के वाद भी उनका जीवन और रहन सहन सामान्य लोगों की तरह ही रहा।
5.संगठन निर्माण से लेकर जीवन पर्यन्त ,संगठन का पैसा ( चंदा और सहयोग, दान राशि) अपने पास नहीं रखा।
6.कांशी राम साहब निर्भीक और स्पष्टवादी और धुन के पक्के थे।
मान्यवर साहब द्वारा चलाये गए प्रमुख आंदोलन व कार्यक्रम।
1.चलता- फिरता अम्बेडकर मेला का आयोजन 14 अप्रैल 1980 से जून 1980 तक देश के विभिन्न भागों में ।
2.बामसेफ के क्षेत्रीय और तीन राष्ट्रीय अधिवेशन नागपुर,दिल्ली और चंडीगढ़ में 1979 से 1982 में।
3.डीएस4 के क्षेत्रीय सम्मेलन 1982 में
4. पूना पैक्ट धिक्कार दिवस का आयोजन 1982 में सम्पूर्ण भारत में।
5. जन संसद और दो पैर और दो पहियों का कमाल - 3000 किलोमीटर का साईकल मार्च।
6. उत्तर प्रदेश के बरेली
जनपद में कटरा चाँद खान से शराब की भट्टी हटाने के लिए जेल भरो आंदोलन 1986 में।
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