भीम आर्मी और चन्द्र शेखर

🐘: #भीमआर्मी_के_युवा
मुद्दो पर सबका विरोध होना चाहिए, हर नेता का विरोध होना चाहिए | लेकिन विरोध के नाम पर नफरत नही होनी चाहिए और अगर नफरत भी हो तो उसकी वजह बहुत मजबुत होनी चाहिए | मेरा सवाल भीम आर्मी के सिर्फ उन युवाओ से है जो उतर प्रदेश की पुर्व मुख्यमंत्री मायावती जी का मुद्दो पर विरोध नही बल्कि बेवजह नफरत करते है| बात सिर्फ वोट डालने की या विरोध करने की नही है - वो तो सबका सवैंधानिक हक है जिसको जहाँ डालनी है, वो डालेगा ही | आजादी के बाद का दलित आंदोलन मैने पढ़ा भी है और समझने की कोशिश भी की है लेकिन छोटे मोटे मतभेदो के अलावा मुझे तो उनके एक नेता के तौर पर किए गए 40 सालो के सामाजिक व ऱाजनैतिक संघर्षो मे और किसी मुख्यमंत्री द्वारा वंचितो और शोषितो के लिए लागु की गई योजनाओ के लागु करने मे उनके अंदर बाबा साहिब अम्बेड़कर और मान्यवर काशीराम की छवि नजर आती है| 

उनका अधिकतर विरोध अनाप सनाप बातो पर भीम आर्मी युवा करती नजर आती है जैसे उन्होने ये ट्वीट नही किया, ट्वीट किया तो पहले क्यों नही किया, वो रोड़ पर क्यो नही उतरती, वो राजनीति से सन्यास क्यो नही लेती,  मध्यप्रदेश के उपचुनाव मे क्यो कैंडिडेट उतार रही है, वो गठबंधन क्यों नही करती, गठबंधन करले तो उन्होने गठबंधन क्यों किया, उन्होने काशीराम को मारा है, वो एअर कंडीशनर मे क्यों बैठती है वगैरा वगैरा फालतु बातो से उपर उठकर कोई विरोध का सही कारण बतायेगा क्या कि वो कैसे अब तक दलितो का नुकसान कर रही है |

 कांग्रेस भाजपा के समर्थक तो कुछ भी कहेे लेकिन भीम आर्मी के दलित युवा अगर कहते है तो उनको सॉलिड कारण बताने चाहिए | भीम आर्मी से बंधा युवा अगर बहनजी द्वारा मुख्यमंत्री के तौर पर दलितो के लिए किए कोई 10 काम ही बता दे जबकि उन्होने दलितो व वंचितो के उत्थान के लिए काम के नये नये रिकॉर्ड बनाये थे या फिर कोई 2 काम ऐसे ही बता दे जो दलितो और वंचित वर्गो के खिलाफ किए हो, तो मै समझुँगा कि वो अपनी बुद्धि लगा रहा है | कोई पढ़ा लिखा भीम आर्मी का युवा अगर सही मे ही बहस का मैटेरियल और दम रखता हो तो, कृपया करके शालीनता से अपनी बात जरूर रखे | आज बहन जी की सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र मे की गई गलतियो की आलोचना सुनेगे, आईये स्वागत है आपका - दिखाओ अपनी सुझबुझ और बुद्धि का जौहर | चुप रहोगे तो पता कैसे चलेगा भाई ? 

वैसे खुद को तुफान से भी तेज गति का बताने वाले बिहार युपी हरियाणा के चुनाव और उपचुनाव मे गठबंधन मे चुनाव लड़ चुके है लेकिन किसी 1 सीट से अपनी जमानत राशि तक नही बचा पाये है| मै तो यही कामना करता हुँ कि भीम आर्मी के युवा अपना बड़बोलापन कम करके राजनीति मे खुद को बसपा का 2-3% वोट कटवा ना साबित होने दे | लोग तो सवाल चंद्रशेखर/रावण से भी करेंगे कि जहाँ मान्यवर काशीराम व बहन जी को अपने राजनीतिक संघर्षो के दिनो मे पहले 15 सालो से ज्यादा समय पैसे की कमी के कारण साईकिल भी मुश्किल से नसीब होती थी तो चंद्रशेखर के शुरूआती दिनो मे ही पीछे चलने वाले कारो के झुंडो के लिए पैसा कहाँ से आया |
🐘: कुछ दिन पहले उतरप्रदेश की 10 राज्यसभा सीटो का चुनाव था जिसमे मौजुदा विधायको की गिनती के हिसाब से 8 सीटे भाजपा और 1 सीट समाजवादी पार्टी को जानी थी जोकि निर्विरोध चुने जाने थे और चुने भी गए थे | लेकिन दसवीं सीट के लिए पर्याप्त विधायक किसी भी पार्टी के पास नही थे| बसपा सुप्रीमो मायावती चाहती थी कि दसवी सीट पर सपा कैंडिडेट के तौर पर अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिम्पल यादव को खड़ा करे और सपा, बसपा और कांग्रेस मिलकर ये दसवी सीट आराम से जीत ले | लेकिन उन्होने मना कर दिया और मौके का फायदा उठाकर बसपा ने रामजी गौतम को खड़ा करके दसवे कैंडिडेट को भी निर्विरोध चुनने को मजबुर कर दिया| लेकिन सपा के अखिलेश यादव का ये कौनसा गणित था जो अंतिम समय मे भाजपा समर्थित कैंडिडेट उद्योगपति बजाज को निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर ला खड़ा किया, जिनका पर्चा रद्द होने पर सभी दस सीटो पर कैंडिडेट निर्विरोध चुने गए | सवाल मायावती पर खड़े किए गए जबकि उन्होने राजनीति मे अखिलेश यादव व अन्य पार्टियों को बौना साबित करते हुए रामजी गौतम को निर्विरोध जितवाकर राज्यसभा भिजवा दिया | 

मेरा सवाल से है कि अखिलेश यादव ने ऐसा क्यो किया होगा, जवाब तब नही मिला था लेकिन अब सबके सामने है| सवाल पूछा जाना चाहिए कि पश्चिम उतरप्रदेश की बुलंदशहर सीट पर अखिलेश यादव की सपा और अजीत सिंह की रालोद का सांझा उम्मीदवार सिर्फ 7000 (केवल सात हजार) वोट लेकर पाँचवे नम्बर पर था तो सपा व रालोद के वोट बसपा को हरवाने के लिए किस पार्टी को ट्रांसफर करवाये गए | 

                भाजपा =  86,879
                  बसपा =  65,917
            भीम आर्मी =  13,094
                  कांग्रेस =  10,067
                     सपा =    7,000

रही भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी की, उनका लक्ष्य तो पहले से ही साफ था कि वोट बसपा के ही काटने थे, वो तो चिराग पासवान की तरह ही हनुमान है वरना मायावती को दिन रात कामचोर कहने वाले, एअर कंडीशनर मे बैठने वाली, काशीराम के मिशन को बर्बाद करने वाली कहकर कोसने वालो को बिहार मे सीट ना सही इज्जत बचाने लायक कुछ वोट तो जरूर पड़ते | फिर वो 'दा ग्रेट चमार' की फिलिंग मे फुलकर गुब्बारे बने युवाओ की वोट किसको डलवा दी गई या काशीराम का मिशन वोट वाले दिन याद ही नही रहा था | राजनीति मे शोषितो और वंचितो की राजनीति का नरैटिव सैट करने का काम चिराग पासवान या चंद्रशेखर जैसे युवा सैट करने लायक कम से कम आज की तारीख मे तो बिल्कुल भी नजर नही आ रहे है| अगर चंद्रशेखर को आने वाले कल का काशीराम बनने की चाह है तो उनकी वंचितो के लिए की गई राजनीति का पहला सबक सीख ले वरना हैलिकाप्टर की जल्दी सैर करने के चक्कर मे फुलसिंह बरैया बनना भी नसीब होना आसान काम नही होगा|
 🐘: #अम्बेड़करवादी_बनो_जातिवादी_नही
फोटो मे एक बोर्ड दिख रहा है जिसमे दलित समाज से सम्बन्ध रखने वाली जाति चमार के लिए गाँव के इंट्री पवाइंट पर बोर्ड मे लिखा है " दा ग्रेट चमार" और जो शख्स खड़ा है, वो है भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर उर्फ रावण जिन्होने कुछ महीनो पहले आजाद समाज पार्टी नाम से एक राजनैतिक पार्टी भी बनाई है | ये महाशय आज के दलित युवाओ से कहते फिरते है कि वो अम्बेड़कर को समझते है, अम्बेड़कर विचारधारा को समझते है और खुद को संविधान का रक्षक तक बताने से पीछे नही रहते, मै उनसे पुछना चाहता हुँ कि अगर इस बोर्ड पर "दा ग्रेट ब्राह्मण", "दा ग्रेट ठाकुर" "दा ग्रेट बनिया", "दा ग्रेट जाट" या "दा ग्रेट यादव" लिखा होता तो उसको आप जातिवाद का परिचायक कह कर कैसे विरोध कर  सकते है जबकि वो तो शुद्ध रूप से जातिवादी मानसिकता का ही परिचायक है| 

 "दा ग्रेट चमार" का मतलब है कि इस जाति मे पैदा होने से आदमी ग्रेट यानि महान हो गया, फिर आपको वे महानता वाले काम भी बताने चाहिए | मेरी राय मे तो सदियो तक जातीय नफरत और छुआछूत के दंश को झेलकर और कुछ महापुरूषो की मेहनत से आज भी ये चमार जाति समानता के अधिकार पाने की लड़ाई ही लड़ रही है | अम्बेड़करवादी बनो और युवाओ को भी बनाओ लेकिन युवाओ को जातिवादी मत बनाओ, इस आग मे पता नही कितने घरो के युवा जवानी के जोश जोश मे बर्बाद हो जायेंगे | अगर सिखा सकते हो तो अम्बेड़कर फुले की विचारधारा सिखाओ, काशीराम का संघर्ष सिखाओ, वोट की कीमत सिखाओ, लोकतंत्र का मतलब सिखाओ ताकि ये समाज अपने जायज सवाल उठाना सीखे, अपने आत्मसम्मान और हको की रक्षा करना सीखे - देश मे जातिवाद सीखाना तो सबसे आसान काम है वैसे भी देश मे 5-6 साल की उम्र से ही जातिवाद सीखाना तो  पहले से ही चालु है
#चन्द्रशेखर_रावण_आजाद की #हकीकत
चन्द्रशेखर कॉलेज के दौरान
आरएसएस (बीजेपी) की स्टूडेंट विंग एबीवीपी का क्रिएटिव वर्कर रहा है।
कॉलेज से निकलने के बाद बजरंग दल की जिला कार्यकारिणी में विभिन्न पदों पर पदाधिकारी रहा है।
जब चन्द्रशेखर मनुवादी विचारधारा में परिपक्व हो गया तब एससी की चमार (जाटव) जाति में हीरो बनाने के लिए द ग्रेट  चमार नाम से संगठन के सहारनपुर में बोर्ड लगाए जाते है और आरएसएस अपनी दूसरी मनुवादी राजनैतिक विंग कांग्रेस के माध्यम से द ग्रेट चमार के नेता के रूप में हीरो बनाया जाता है जिसके अंतर्गत सहारनपुर के कांग्रेसी नेता इमरान मसूद को चन्द्रशेखर का मेंटर बनाया जाता है और तमाम 5 स्टार कल्चर की सुविधाओं के साथ इंडिवर गाड़ी,10 गनर,उपलब्ध कराए जाते है तथा  द ग्रेट चमार के बोर्ड लगाए जाते है, टीवी पर दलित आक्रामक युवा नेता के रूप में प्रचारित किया जाता है। भीम आर्मी बनाकर दलित युवाओं को आकर्षित करवाया जाता है फिल्मी कहानी की तरह जातीय उत्पीड़न करवाए जाते है जिनका जवाब देने के लिए चन्द्रशेखर भीम आर्मी लेकर पहुंच पूरा नाटक करते है ।
दिल्ली के जंतर मंतर जैसे देश के प्रसिद्ध स्थान पर पर्दे के पीछे रहकर कांग्रेस द्वारा लाखो,करोड़ों खर्च करके प्रदर्शन करवाए जाते है। बदले में चन्द्रशेखर मसूद के लिए सहारनपुर लोकसभा चुनाव के लिए दलित समाज को वोट देने की अपील करता है लोग अनभिज्ञ होने के कारण 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी मसूद को लगभग 4 लाख वोट देते है लेकिन 2019 आते आते भीम आर्मी के जोशीले युवा समझने लगते है और धीरे धीरे अपने बहुजन आंदोलन में वापस लौटने लगते है जिसका परिणाम यह हुआ कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी हाजी फजलुर्रहमान 5 लाख से ज्यादा वोट लेकर विजयी होता है और चन्द्र शेखर की लाख कोशिशों के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी मसूद बुरी तरह हारता है क्योंकि भीम आर्मी के सैनिक पत्रकारों के पूछने पर कहते है कि  चन्द्रशेखर हमारा भाई है उसके लिए हम सामाजिक आंदोलन के लिए जान तक देने को तैयार हैं लेकिन वोट केवल बसपा को ही देंगे और यह बात चुनाव में साबित हुई। 
चन्द्रशेखर की हकीकत तब और सामने आई जब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा चन्द्रशेखर से मिलने पहुंचती है तथा बनारस से कांग्रेस प्रत्याशी बनाने की घोषणा करती है इतना सुनते ही जगह जगह भीम आर्मी के युवा भीम आर्मी छोड़कर बीएसपी में शामिल होने लगते है जिसके कारण चन्द्रशेखर चुनाव तो नहीं लड़ता है लेकिन पूरी ताकत अपने मेंटर मसूद को जिताने में लगाता है लेकिन सहारनपुर की जनता चन्द्रशेखर को अच्छा सबक सिखाती हैं।
अब दलित वोटों के बंटवारे के लिए कांग्रेस चन्द्रशेखर के नेतृत्व में आजाद समाज पार्टी का गठन करवाती है और गठन होते ही सामाजिक आंदोलन के लिए बचे कुचे भीम आर्मी के सैनिक चन्द्रशेखर की हकीकत जानकर और उसे छोड़कर  बीएसपी में शामिल होकर बहुजन आंदोलन को मजबूती प्रदान करने के लिए एकजुट हो रहे है। अब वो लोग समझ चुके है कि मान्यवर कांशीराम साहेब और माननीय बहिन जी के त्याग और समर्पण से समाज की को ताकत बनी है उसे मनुवादियों आरएसएस, बीजेपी, कांग्रेस के द्वारा चन्द्रशेखर के माध्यम से बिखरते हुए देखना नहीं चाहते हैं।
सभी बहुजन समाज के लोगों से हाथ जोड़कर जोड़कर निवेदन है कि विघटनकारी शक्तियों से सावधान होकर अपने बहुजन आंदोलन को मजबूत करने के लिए अपनी एक मात्र राजनैतिक पार्टी बसपा को समर्थन और वोट देकर बहुजन आंदोलन को मंजिल तक पहुंचाने में मदद करते रहे।
देश में लोकसभा की 412 सीटें जनरल हैं। जिन पर कुछ अपवाद छोड़कर प्रायः जनरल प्रत्याशी ही चुनाव लड़ते हैं..क्योंकि देश की एकमात्र #बहुजन_समाज_पार्टी को ही छोड़कर कोई भी पार्टी sc/st की इन 131रिजर्व सीटों के अलावा किसी अन्य जनरल सीट पर इन अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को चुनावों में टिकट देने का काम नहीं करती। यहीं आपको याद दिला दूँ, गौरतलब है कि #बीएसपी संस्थापक #मान्यवर_कांशीराम_साहब ने अपने जीवन के समस्त लोकसभा चुनाव जनरल सीटों से ही न केवल लड़े ही नहीं बल्कि जीते भी। इसलिए यही 412 जनरल सीटें ही सरकार व प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक भी होती हैं। यही कारण है कि आजतक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से कोई देश का प्रधानमंत्री भी नहीं बन सका है।

भीम आर्मी प्रमुख का कहना है कि भीम आर्मी सामाजिक संगठन है (जबकि अब यह राजनीतिक पार्टी भी बना चुके हैं।) और कहते हैं कि चुनाव में बहुजनों की सरकार व उसका ही प्रधानमंत्री बनायेगें? कैसे बनाएंगे ?? ये जाने! साथ ही साथ भीम आर्मी किसी भी जनरल प्रत्याशी को वोट न देने की अपील भी करती रही है।

उदाहरण के लिए-

अब जैसे कि पिछले लोकसभा चुनावों में वाराणसी लोकसभा सीट के चुनाव में प्रमुख चार उम्मीदवारों में सर्वश्री विजय प्रकाश जायसवाल जी BSP, अरविंद केजरीवाल AAP, नरेंद्र मोदी BJP और अजय राय INC उम्मीदवार थे। इन चारों में मात्र मोदी जी ही तथाकथित बहुजन समाज के प्रत्याशी थे। भीम आर्मी के मुताबिक इन चारों प्रत्याशियों में मोदी जी और उनकी भाजपा ही उनके पैमाने पर खरी उतरती है इस प्रकार से तो उन्हीं को ही भीम आर्मी समर्थकों को वोट देना चाहिए। यानी भीम आर्मी भी ठीक उसी तरह अपने समर्थकों को कंफ्यूज कर रही है जैसे हाल ही में समाजवादी पार्टी संरक्षक श्री मुलायम सिंह जी ने लोकसभा में टोटका करते हुए (प्रोफेसर श्री रामगोपाल यादव साहब के शब्दों में इसे टोटका बताया गया था) कहा कि मोदी जी को दुबारा प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं।

बहुजन समाज बड़ा ही भोला-भाला समाज है । इसलिए ऐसे कंफ्यूज और टोटके वालों से सावधान रहने की जरूरत है।
अतः
एक ही पार्टी, एक ही निशान।
★★★★★★★★★★★★
#ये_कौनसा_मिशन_बचाना_है
बहनजी को सतीश मिश्रा के हाथो की कटपुतली कहने वाले चंद्रशेखर और आसपा के सपोर्टर मान्यवर काशीराम के राजनैतिक मिशन की चिंता मे इतने डुबे हुए है कि कांग्रेस या सपा के साथ हाथ मिलाने के लिए उतावले है और मान्यवर काशीराम की बनाई पार्टी को नुकसान पहुँचाने के लिए पुरी जी जान से जुटे है| वही दुसरी तरफ सतीश मिश्रा बसपा मे सवर्ण वोटरो और खासतौर पर ब्राहमणो को जोड़ने की पुरी कोशिश करते नजर आते है|

क्या सपा और कांग्रेस जैसी बिना ब्राहमणो वाली पार्टीयो से गठजोड़ करके और 10-12 सीटो पर चुनाव लड़के मिशन को बचाना कहा जायेगा और ये बात यकीन करने लायक है कि कुछ ग्रेट फलाने ग्रेट ढ़िमकाने लोगो की वोटो की मदद से चंद्रशेखर मान्यवर काशीराम के मिशन को बचाने के लिए लड़ रहा है - इन बातो पर यकीन करने वालो से बहस करना बेवकुफी है| 

खुद को दलिक चिंतक, लेखक और यु-टयुब चैनल चलाने वाले इनडायरेक्ट कांग्रेस और सपा के हितैषियो को खुलकर सपा, कांग्रेस के लिए वोट मांगनी चाहिये, मै यकीन के साथ कहता हुँ उनकी खरी सोच की ज्यादा इज्जत होगी| अगर सच मे ही मान्यवर के सामाजिक और राजनैतिक मिशन की समझ होती तो अपनी जड़े मजबुत करने की सोच रखते नाकि 10-12 सीटो पर लड़ने का उतावलापन दिखाते| ये बात नेतागिरी के भुखे कुछ ग्रेट फलाने ढ़िमकाने युवाओ की समझ मे अभी नही आना है|

मुझे तो ऐसा लगता है कि अगर बहनजी को सिर्फ 2-4 विधायक जीतवाने तक का लक्ष्य होता तो आज 2021 मे हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल, उतराखंड, महाराष्ट्र, बिहार, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, छतीसगढ़, झारखंड, गुजरात, प. बंगाल, राजस्थान आदि राज्यो मे से बहुत से राज्यो मे बेहतर पोजीशन मे होती लेकिन दो तीन चुनावो मे पार्टी की हालत गो कोरेना गो वाले रामदास अठावले या सबरीपुत्र चिराग की पार्टी की तरह हो जाती| आज देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है - बड़ी सोच रखना बहुत जरूरी है वरना मिशन विशन की बात करना बेमानी है|

#बीएसपी की क्या पहचान।

नीला झंडा ,#हाथी निशान ।।
कुछ पुरानी यादों के साथ 👇👇👇
कोई बोल नही सकता पहले आगाह नहीं किया
जयभीम जयभारत जयसंविधान जय कांशीराम साहेब जय बहुजन

Comments

Popular posts from this blog

जब उत्तर प्रदेश बना उत्तम प्रदेश

अपने ही गिराते हैं नशेमन पे बिजलियाँ

बोधिसत्व सतगुरु रैदास