आर एस एस का बदला हुआ यूनिफॉर्म
*एक चिन्तन*
*एक गहरा राज़ छिपा है आर एस एस की निक्कर से लेकर फुल पैंट पहनने के सफ़र में।ज़रा सोचिए-:क्या आपने सोचा है कभी की आजतक निक्कर पहनकर लाठी में घूमने वाले संघी संगठन के कार्यकर्ता ने इस बार भाजपा के सत्ता में आते ही अपनी वर्दी में अचानक बदलाव क्यूं किया है?*
*यह बदलाव ऐसे नहीं हुआ यह एक अत्यंत ही सोची समझी रणनीति के तहत हुआ है। क्यूंकि इनकी मंत्रणा हुई होगी कि हमने देश के संस्थानों को पूंजीपतियों को बेचना है हमारी नितियों का जनता कड़ा विरोध करेगी और हमें स्थानीय स्तर पर ही जिला पुलिस बल प्रयोग से इनके विरोध को दबाना है और केन्द्रीय बल नियुक्त न करने पड़ें नहीं तो हो हल्ला मचेगा लोग,विपक्ष जागेगा। परन्तु समस्या यह थी कि राज्य पुलिस बल कम पड़ेगा कहीं कहीं पुलिस के लोगों को भी उनकी आस्थानुसार नियुक्त करना होगा कि कहीं वोही बल प्रयोग से मना कर दें,तो ऐसे में चुने हुए पुलिस बल को लगाया जाना पड़ेगा तो उनकी संख्या कम होगी।तो फिर यह कमी पूरी कौन , कैसे करेगा? जवाब स्पष्ट है कि वहां अपनी खाकी पैंटें पहनकर वहां के लट्ठधारी प्रशिक्षित आर एस एस के कार्यकरता ऊपर कोई जैकेटस् व सिर पर हेलमेट पहनकर एक जाली पुलिस वालों की तैनाती कर कमी पूरी की जाएगी।अगर हम अपनी नज़र पिछले अनेक दंगों के वायरल हुए वीडियो व समाचार पत्रों,टीवी हम प्रसारणों पर घुमायें तो साफ़ दिखता है कि पुलिस के साथ लगभग-लगभग कुछ प्रतिशत लोग आधी खाकी वर्दी पहने लोग होते हैं जिन्हें पुलिसबल बताया जाता है। चाहे जो भी हो हमें यकीन है कि पुलिस इन भगवाधारियों के समय में जितनी बर्बर हुयी है इतनी पहले कभी नहीं हुई क्यों?क्योंकि इनमें राजनीतिक दल आर एस एस के लोग घुसे होते हैं और वह विपक्षियों पर भेष बदलकर सीधे घातक हमले करते हैं। निक्कर में पहचाने जाने का डर रहता है।*
यही राज़ है निक्कर से पैंट पहनने का सफ़र।इसका पर्दाफाश करने की ज़रूरत है। ज़रुर चिन्तन करें।
One forward please
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