Manyvar Sahab Kanshiram Ji 14 May 1994

बाबासाहेब डा. अम्बेडकर कितनी मुश्किलो और अपमान का सामना करके संविधान सभा गये थे, एक बार समय निकालकर मान्यवर कांशीराम साहेब का यह भाषण जरूर पढ़े

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भंडारा की सभा में इकट्ठे हुए मेरे सारे साथियों आप लोगों ने सभा का प्रबंध करके मुझे पहली बार भंडारा में किसी सभा को संबोधित करने का मौका दिया हैं पहली बार ही मुझे आप लोगों को आप लोगों के उत्साह आप लोगों के ख्यालात को सुनने का इस भंडारा में मौका मिला है। भंडारा का नाम तो मैंने पहले भी काफी सुना था। आप लोगो ने मेरे बोलने से पहले ही जिस बात का ज्ञान था जिसके हिसाब से मैं भंडारा को जानता था याद करता था तो आप लोगो ने उसका जिकर मेरे से पहले भी किया हैं। आपके जिलाध्यक्ष ने आपको बताया हैं कि भंडारा का नाम बाबासाहेब को हराने वालो में गिना जाता हैं। मुझे भी इस बात का ज्ञान हैं कि बाबासाहेब भंडारा से चुनाव में हारे थे लेकिन इसमें  मैं समझता हूं भंडारा वालो का कुसूर नहीं था, कुसूर समय का था। वो समय जीतने वाला समय नहीं था बल्कि हारने वाला समय था। बाबासाहेब अम्बेडकर अगर 1954 में उपचुनाव जो हारे बोरकर ने उनको हराया तो 1952 में बम्बे से कजरोलकर ने उनको हराया। 1946 में जब Constituent assembly बनाने का ऐलान हुआ तो इस देश का संविधान बनाने वाले Assembly बनेंगी उसके लिए वोट डाले जायेंगे। बाबासाहेब डा. अम्बेडकर को लगा जब संविधान बनेगा जो असेंबली संविधान बनायेगी उसमें मुझे जाना चाहिए। बाबासाहेब ने सिर्फ भंडारा के ऊपर नहीं सारे महाराष्ट्र पर निगाह दौड़ाई। उनको लगा कि मैं महाराष्ट्रा की किसी भी जगह से चुनकर नहीं आ पाऊंगा। गांधी और उनके कांग्रेस ने ऐलान कर दिया कि बाकी कोई भी चुनकर आ जाये तो चलेगा लेकिन डा. अम्बेडकर संविधान बनाने वाली असेंबली में चुनकर नहीं पहुंचना चाहिए । तो भंडारा हीं नहीं पूरे महाराष्ट्रा और सारे देश पर निगाह मारने के बाद उनको नजर आया कि एक जगह मेरे लोग हैं जिनको चंडाल कहते हैं। चंडालो की संख्या जयशुर और खुलना में इतना ज्यादा हैं कि वो मुझे चुनकर Constituent Assembly में भेज सकते हैं, तो बाबासाहेब अम्बेडकर बम्बे से कलकत्ता गये, कलकत्ता से आगे गये जो आज बंग्लादेश हैं उस बंग्लादेश में जयशुर और खुलना गये। उधर से चंडाल लोगो ने जयशुर और खुलना की सीट से बाबासाहेब को चुनकर संविधान बनाने वाली Assembly में 1946 में भेजा। लेकिन गांधी, नेहरू, उनकी कांग्रेस और सारे ब्राह्मणवादी नेताओं को बहुत बुरा लगा कि अब वो अम्बेडकर जो 1930-31-32 राउंटेबल कांफ्रेंस में पहुचा था और अपने लोगो की हितो की रक्षा के लिए उन्होंने हमें परेशान किया था। अब संविधान बनाने वाली असेंबली में भी चंडालो ने उन्हें भेज दिया हैंं और अब हमें ये Constituent assembly में परेशान करेगा इसलिए चंडाल लोगो को सजा मिलनी चाहिए। वो जयशुर और खुलना का हिस्सा जो बटवारे के हिसाब से India में आया था। गांधी और उनकी कांग्रेस ने जिन्ना के हवाले कर दिया। गांधी ने जिन्ना से कहा कि ये क्षेत्र जिसने अम्बेडकर को चुनकर भेजा हैं ये हमें अपने देश में नहीं चाहिए तो आप इसे ले लें। जिन्ना को क्या चाहिए था अगर कोई थाली पर रखकर दो जगह दे दे तो उनको क्या चाहिए था। जयशुर और खुलना पाकिस्तान में चले गये। किसलिए चले गये एक तो चंडालो को सजा देने के लिए दूसरी तरफ बाबासाहेब जयशुर और खुलना से चुनकर आये जब वो हिस्सा पाकिस्तान चला गया तो बाबासाहेब अंबेडकर पाकिस्तान असेंबली के मेंम्बर बन गये। पाकिस्तान में जाओ और संविधान बनाओ। गांधी और उनकी कांग्रेस ने बाबासाहेब को पाकिस्तान भेजा जो बनने वाला था। तो बाबासाहेब अम्बेडकर पाकिस्तान जाने के बजाय इंग्लैंड चले गये। चर्चिल से मिले और दूसरे मेंम्बर पार्लियामेंट जो ब्रिटिश मेंबर पार्लियामेंट थें उनसे मिले ऊन्होने इंसाफ के लिए उनके सामने अपील की। जिन अंग्रेजो ने हमेशा दबे-कुचले लोगो को इंसाफ देने की कोशिश की उनके हित में उन्होंने बाबासाहेब को इंसाफ दिया। और कांग्रेस को मजबूर किया कि अब संविधान बनाने वाली असेंबली का चुनाव तो खत्म हो चुका हैं, 1946 में खत्म हो चुका हैं। ऊन्होने  मई-जुन 1947 में गांधी और उनकी कांग्रेस से कहा;"अगर आप आजादी चाहते हैं तो डा. अम्बेडकर को अपने  हित में चुनकर संविधान बनाने वाली असेंबली में भेजें।" तब गांधी जी और उनकी कांग्रेस को ये काम करना पडा़, मजबूरी की हालत में करना पड़ा। पूना के एक ब्राह्मण जयकर को रिजाइन कराकर संविधान बनाने वाली सभा में बाबासाहेब को चुनकर भेजना पड़ा। और उसके ऊपर अंग्रेजों ने कहा कि आपकी नियत साफ नहीं हैंं, हम चले जायेंगे अगर आपको आजादी चाहिए तो डा. अम्बेडकर Schedule Caste और Schedule Tribe के हितो की रक्षा करेंगे ये बात आपको माननी होंगी। संविधान बनाने वाली असेंबली में वो ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयर मैन होंगे ये बात आपको माननी होगी। तो इसलिए साथियों भंडारा के लोगो से मैं कहना चाहता हूं कि बाबासाहेब अम्बेडकर को आपने हराया हैं इससे आपको ज्यादा दुखी नहीं होना चाहिए वो समय हारने का था। उसमें सिर्फ भंडारा का कुसूर नहीं हैं वो देश के किसी भी जगह से खड़े हो जाते उसी जगह से उनका वो हारने का समय था। लेकिन चंडालो ने जिसमें हरिचंद्र-गुरुचंद पैदा हुए। ऊन्होने बाबासाहेब अम्बेडकर के पैदा होने से पहले संघर्ष किया। चंडालो को तैय्यार किया ब्राह्मणवादी समाज व्यवस्था का मुकाबला करके परिवर्तन की लहर चलाई। उन्हीं चंडालो ने हमारे लिए एक रास्ता दिखाया और आज भी वो चंडाल बहुजन समाज पार्टी का बीड़ा उठाकर आगे बढ़ रहें हैं।

-#मान्यवर_कांशीराम_साहब

  
(14 May 1994, Bhandara, Maharashtra)

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