मुस्लिमों मैं पनपता मनुवाद 👇👇👇

#मायावती_और_मुस्लिम_वोटर्स
#क्या_मुस्लिमो_मे_भी_मनुवादी_विचारधारा_है
मुझे कभी कभी लगता है कि हिन्दुओ मे जो जातिवाद है, उसका अनुसरण हिन्दु ही नही बल्कि कुछ हद तक मुस्लिम सम्प्रदाय भी करता है|। मै फेसबुक पर मायावती का नाम आते ही अक्सर मुस्लिमो के मायावती पर लगाए गए आरोपो की बाढ़ सी देखता हूँ कि वो तो भाजपा की "बी" टीम है, वो भरोसे लायक नही है, वो मौकापरस्त है। लेकिन जब इतिहास की नजरो से हकीकत को समझने की कोशिश करता हूँ तो कुछ और ही समझ आता है। जिसने अपने 4-4 बार के मुख्यमंत्री काल (कुल मिलाकर लगभग 7 साल) मे एक बार भी मुस्लिमो को दंगे की आग मे जलने नही दिया हो, हर चुनाव मे उनको आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व दिया हो, मंत्रीपद दिये हो, संगठन मे पद दिए गए हो जबकि लगभग सभी पार्टियो मे जिस हिसाब से इन्होने धड़ाधड़ वोट दिए, उन पार्टियों ने उसी रफ्तार से धड़ाधड़ धोखे भी दिए| बसपा ने आजतक किसी राज्य मे या केंद्र मे भाजपा की सरकार के साथ मिलकर चुनाव नही लड़ा, इसके विपरीत अनेक मौको पर कांग्रेस की सरकारो को बाहर से समर्थन देती आई है। अटल बिहारी वाजपेई की एक वोट से सरकार गिरवाने वाली मायावती की बजाय हमेशा मुस्लिम समाज बाकी पार्टीयो की तरह बसपा पर यकीन क्यों नही करता?

1) मायावती को मौकापरस्त कहने वाले लोग ममता बैनर्जी पर यकीन कैसे कर लेते है जबकि वो तो भाजपा की सरकार मे कैबिनेट मंत्री तक रही है लेकिन वोट तो उनको धड़ाधड़ मिलते आये है।

2) मायावती को मौकापरस्त कहने वाले लोग नीतिश कुमार पर यकीन कैसे कर लेते है जबकि वो तो भाजपा की सरकार मे कैबिनेट मंत्री तक रहे है और मिलकर बिहार मे भी सरकार चला रहे है लेकिन वोट तो उनको अच्छे खासे मिलते आये है।

3) मायावती को मौकापरस्त कहने वाले लोग महबुबा मुफ्ती पर यकीन कैसे कर लेते है जबकि वो तो भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला चुकी है लेकिन वोट तो उनको धड़ाधड़ मिलते आये है।

4) मायावती को मौकापरस्त कहने वाले लोग उमर अब्दुल्ला/ फारूख अबदुल्ला पर यकीन कैसे कर लेते है जबकि वो तो भाजपा की सरकार मे शामिल रहे है लेकिन वोट तो उनको धड़ाधड़ मिलते आये है।

5) मायावती को मौकापरस्त कहने वाले लोग चंद्रबाबु नायड़ु पर यकीन कैसे कर लेते है जबकि वो तो भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाये है लेकिन वोट तो उनको धड़ाधड़ मिलते आये है।

इसी प्रकार उद्धव ठाकरे की शिवसेना, जयललिता की  ए.आई.डी.एम.के, चंद्रशेखर राव की टी.आर.सी जैसी देशभर मे अनेको पार्टियो को मुस्लिम वोट मिलता है जो भाजपा की सहयोगी भी रही है और सरकारो मे शामिल भी रही है लेकिन मौकापरस्ती और भाजपा की "बी" टीम का लेबल सिर्फ मायावती पर ही लगता आया है। जबकि सच्चाई ये है कि अपनी इसी प्रकार की बेवकूफियाना सोच के कारण ही मुस्लमान राजनीति मे सिर्फ एक वोट बनके रह गया है। मायावती से उनकी चिढ़ का कारण भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनना तो बिल्कुल भी नही होना चाहिए क्योकि वो मुस्लिमो के लिए दंगा रहित और सबसे सुरक्षित शासनो मे से था। फिर ये जो चिढ़ दिखती है वो हिन्दुत्व मे विद्यमान जातियो मे उँच नीच से प्रेरित चिढ़ है या कुछ और?  मेरा मानना है दलित मुस्लिम वोटो का मजबुत गठजोड़ मुस्लमानो को भारत की राजनीति का कढ़ी-पत्ता बनने से रोक सकता है 

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