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महिषासुर और दुर्गा

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हमारा अपना महिषासुर एक दैत्य अथवा महान उदार द्रविड़ शासक, जिसने अपने लोगों की लुटेरे-हत्यारे आर्यो से रक्षा की। महिषासुर ऐसे व्यक्तित्व का नाम है, जो सहज ही अपनी ओर लोगों को खींच लेता है। उन्हीं के नाम पर मैसूर नाम पड़ा है। यद्यपि कि हिंदू मिथक उन्हें दैत्य के रूप में चित्रित करते हैं, चामुंड़ी द्वारा उनकी हत्या को जायज ठहराते हैं, लेकिन लोकगाथाएं इसके बिल्कुल भिन्न कहानी कहती हैं। यहाँ तक कि बी. आर. आंबेडकर और ज्योति राव फूले जैसे क्रांतिकारी चिन्तक भी महिषासुर को एक महान उदार द्रविडियन शासक के रूप में देखते हैं, जिसने लुटेरे-हत्यारे आर्यों (सुरों) से अपने लोगों की रक्षा की। इतिहासकार विजय महेश कहते हैं कि ‘माही’ शब्द का अर्थ एक ऐसा व्यक्ति होता है, जो दुनिया में ‘शांति कायम करे। अधिकांश देशो के राजाओं की तरह महिषासुर न केवल विद्वान और शक्तिशाली राजा थे, बल्कि उनके पास 177 बुद्धिमान सलाहकार थे। उनका राज्य प्राकृतिक संसाधनों से भरभूर था। उनके राज्य में होम या यज्ञ जैसे विध्वंसक धार्मिक अनुष्ठानों  के लिए कोई जगह नहीं थी। कोई भी अपने भोजन, आनंद या धार्मिक अनुष्ठान के लिए...

RSS पर FIR

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जनवरी 1948 - पंजाब में भारतीय तिरंगे को फाड़ने और बेइज्जत करने पर RSS के सदस्यों पर FIR

आज के दौर में सड़क का संघर्ष

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मैं सड़क पर संघर्ष को बड़े शक की नजर से देखता हूँ।  मैं यहाँ इस बात का उत्तर दे रहा हूँ  कि  बहिन जी मायावती सड़क पर नहीं उतर रहीं हैं।  काफी लोग ऐसा कह रहे हैं।   बाबा साहेब अम्बेडकर  ने कितनी बार सड़कों पर उतरे थे , 1927 -28  में महद आंदोलन और कालाराम मंदिर आंदोलन के बाद उन्होंने कोई आंदोलन भी नहीं किये। 1928 से लेकर 1956 तक जब तक  दलितों के साथ जुल्म ज्यादती हुयी, तो उन्होंने कितनी बार सड़को पर उतरने की बात कही। मैंने बाबा साहेब अम्बेडकर को अच्छी तरह पढ़ा है, जुल्म हो, और सड़कों पर उतर जाओ ,   ऐसे बात बाबा साहेब ने तो नहीं कही।  यदि कही है कही, तो आप दिखा सकते है।   मान्यवर कांशीराम  तो दलित उत्पीड़न पर जाते ही नहीं थे , वे तो साफ़ कहते थे मैं वहां जाकर क्या करूँगा ??  जुल्म हो जाये , तो सड़को पर उतरो , मुझे नहीं लगता कि यह अम्बेडकर - कांशीराम की पद्धति है।  ध्यान रहे कि मैं सड़क पर उतरने की आलोचना नहीं कर रहा  , मेरा यहाँ यह कहना है कि यह अम्बेडकर - कांशीराम की पद्धति नहीं है।  वैसे भी मै...

संगीत के रैदास "चमार" गीतकार शैलेन्द्र

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"जोर जुल्म के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है"  "तू जिंदा है जिंदगी की जीत पर यकीं कर"  जैसे गीतों के माध्यम से दलित वंचना को आवाज देने वाले भारतीय हिन्दी सिनेमा जगत के सफल गीतकार, फिल्म निर्माता, निर्देशक #शैलेंद्र साहब (30 August 1923-14 December 1966) के गानों को शायद ही किसी ने एंज्वाय न किया हो। बिहार से ताल्लुक रखने वाले गीतकार शैलेंद्र   का जन्म एक गरीब दलित परिवार में हुआ. बचपन से ही गरीबी और जातियता की दंश झेलते हुए मुकाम हासिल करना बहुत बड़ी बात थी. ये वो दौर था जब दलित-मुस्लिम कलाकारों को जाति व नाम छुपाकर  भारतीय सिनेमा जगत में रहना होता था। #श्री_420 #मेरा_नाम_जोकर #आवारा #संगम #आग जिस देश मे गंगा बहती है #मधुमति #जागते_रहो #गाइड #काला_बाजार #यहुदी #तीसरी_कसम जैसी महान फिल्मों के गीत के माध्यम से दुनिया भर में अलग ही पहचान बनाने वाले शैलेंद्र साहब अपने जमाने के सभी मशहूर कलाकार, गायक, संगीतकार के साथ काम किया. कई कलाकारों को फिल्मों मे मौका देकर भारत में मशहूर भी किया। तत्कालीन भारत के बहुजन समाज के एक लीजेंड कलाकार के तौर पर पेश किया। जा...

गौतम बुद्ध विश्व विद्यालय

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यह #गौतम_बुद्ध_विश्वविद्यालय है जो 511 एकड़ एरिया में फैला हुआ है, जिसमे 50000 से ज्यादा हरे भरे पेड़ लगाए हुए है। गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश का मुख्य एकेडमिक ब्लॉक है। जिसमें तथागत बुद्ध द्वारा प्रतिपादित सम्यक जीवन के लिए आठ मग्गो को आधार मानकर बनाये गए आठ संकाय नजर आ रहे हैं । यह विश्वविद्यालय (महाविहार) नालंदा, तक्षसिला, विक्कमसिला, जगदल्ला, ऊदंतपुरी, सोमपुरा, वल्लभी एवं पुस्पागिरी जैसे विश्व विख्यात एवं विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों की महान बौद्धिक परम्परा को आगे बढ़ाता हुआ, बौद्ध स्थापत्य कला की एक अद्भुत एवं उत्कृष्ट कलाकृति का जीता जागता उदाहरण है। यह वर्तमान में दुनिया का शायद सबसे खूबसूरत शैक्षिक परिसर है इतना सुरुचिपूर्ण एवं व्यवस्थित कि देखते ही मन को भा जाये। यहां बना बौधिसत्व डा. आंबेडकर पुस्तकालय, गोलाकार मध्य में स्थित तथागत बुद्ध की प्रतिमा के ठीक पीछे स्थित है संस्था के बौद्धिक सिरमौर के रूप में #बुद्धि_ही_सब_कुछ_है एवं #बुद्धि_साधना_मानवीय_जीवन_का_महानतम_उपक्रम_है जैसे कालजयी दर्शन एवं सिद्धांतों को चरितार्थ करता हुआ नजर आता है। 2000 स्टूडेंट्स के एक स...

गौंड योद्धा वीरप्पन

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विरप्पन गोंड ने 17 वर्ष की उम्र में जंगलों में अपनी हकूमत कायम कर वहाँ आसपास के मनुवादी शासन-प्रशासन में भय पैदा कर दिया था। श्रीनिवासन ब्राह्मण ने विरप्पन की बहन को प्यार के झांसे में रखकर व गर्भवती बना कर शादी से इन्कार कर दिया तो विरप्पन गोंड ने श्रीनिवासन की हत्या कर और टुकडे-टुकडे कर मछलियों को खिला दिया था। विरप्पन-गोंडर के प्रभाव के कारण ही वहाँ के आदिवासियों को अत्याचार, बलात्कार, हत्या व शोषण से मुक्ति मिल गयी थी और उन्हें मजदूरी का पूरा पैसा मिलने लगा था, जो मनुवादी शासन-प्रशासन नहीं चाहता था कि आदिवासियों की आर्थिक हालात में फायदा हो। . फिल्म अभिनेता राजकुमार का अपहरण करने के बाद विरप्पन गोंड ने सरकार के सामने राज्य की दस प्रमुख समस्या रखी और मांगे पूरा करने का अल्टीमेटम दिया। मांगे निम्नलिखित थीं । . 1- कावेरी पानी का विवाद जबतक हल नहीं होता तबतक कर्नाटक सरकार तमिलनाडु के लिये प्रतिमाह 250TMC पानी दे। . 2- सन 1991 में भडके कावेरी-पानी विवाद में जो तमिल पुलिस फायरिंग में मारे गये थे, उनके परिवारों को उचित मुआवजा दिया जावे। . 3- स्पेशल टास्क फोर्स की ज्यादतियों की...

बाल्मिकी ब्राह्मण या भंगी, एवं चमार या जाटव की साजिश।

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इस लेख को आप पढ़ने से पहले यह वादा कीजिए कि अगर यह लेख आपको पसंद आए तो स्वार्थी बन कर इसे अपने पास नही रखोगे बल्कि ज्यादा से ज्यादा  और भाइयों में आगे भी भेजेंगे । अगर यह वादा मंजूर नही कर सकते तो लेख ना ही पढ़ा जाए तो अच्छा है । 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 वाल्मीकि समाज को भंगी / चुहडा /खाकरोब /मेहतर /स्वीपर आदि नामों से भी पुकारा  या जाना जाता था। "वाल्मीकि" नाम बहुत बड़ी साजिश /षडयंत्र के तहत दिया गया था, साजिश  /षडयंत्र क्या था? वाल्मीकि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सत्यता की जानकारी हेतु यह लेख लिखा गया है, कृपया   इसे जरूर पढियेगा।*_ आखिर वाल्मीकि कौन थे ब्राह्मण या अछूत, आइये जानते हैं अब तक की सबसे कड़वी सच्चाई। काफी समय से यह चर्चा का विषय रहा है कि आखिर वाल्मीकि कौन थे, ब्राह्मण या अछूत, अब पूरी तरह सिद्ध हो चुका हैं कि महाकवि वाल्मीकि ब्राह्मण थे ,उनका अछूतों और दलितों से किसी भी प्रकार का दूर- दूर तक क़ोई सम्बन्ध ही नही था और न है । महाकवि वाल्मीकि का खानदान इस प्रकार है ब्रह्मा, प्रचेता और वाल्मीकि। वाल्मीकि रामायण के उत्तर काण्ड सर्ग 16 श्लोक में व...